इंदौर: इंदौर में पुरुषों ने अपनी पत्नी से परेशान होकर अनूठी मुहिम शुरू कर दी है. मकसद यही है कि झूठे केस में फंसने से परेशान होकर जान देने को तैयार बैठे पतियों को बचाया जा के. मेरठ में पति की हत्या कर शव को ड्रम में छुपाने की घटना के बाद कई शहरों में अब पत्नी प्रताड़ित पुरुषों ने अभियान छेड़ दिया है. एक बार फिर पुरुष आयोग बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. इंदौर में इसके लिए पत्नियों के अत्याचार से पीड़ित पतियों की संस्था पौरुष (पीपल्स अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हरासमेंट) का गठन किया गया है.
इंदौर में पीड़ित पतियों की मदद करने को बनी संस्था
पौरुष संस्था पत्नी से पीड़ित पतियों की वैधानिक और विधिक रूप से मदद करने लगा है. इस समूह में ऐसे कई पुरुष हैं, जो अपनी पत्नियों द्वारा मनमानी और प्रताड़ना के बाद की गई कार्रवाई के चलते न्यायालय की शरण में हैं. संस्था के प्रमुख अशोक दशोरा बताते हैं "आजादी के बाद से ही लगातार अबला बताई गई महिला के पक्ष में आज करीब 65 कानून हैं. इतना ही नहीं, महिलाओं के लिए महिला हेल्पलाइन, महिला थाना, महिला आयोग और इस प्रकार की करीब डेढ़ दर्जन एजेंसी हैं, जो सिर्फ महिलाओं के पक्ष में ही कार्रवाई करने के लिए बनी हैं."
तलाक के केस भी अप्रत्याशित रूप से बढ़े
पौरुष संस्था का कहना है "देश में हर साल डेढ़ लाख पुरुष प्रताड़ित होकर जान दे रहे हैं. वहीं दहेज की धारा 498 ए और घरेलू हिंसा के मामलों में पति को फंसाए जाने के मामले हजारों की तादाद में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की है कि दहेज व घरेलू हिंसा के 95 फ़ीसदी मामले महिला के अवैध संबंध उजागर होने पर बदले की भावना से दर्ज कराए जाते हैं. इसका परिणाम यह है कि देश में जहां 1952 में तलाक का एकमात्र कैस चल रहा था, वहीं ऐसे तमाम कानून और कथित महिला सशक्तिकरण के प्रयासों के चलते आज देश में करीब 3 करोड़ मुकदमे तलाक के लिए चल रहे हैं. ऐसे कानून के चलते महिलाओं की बढ़ती मनमानी के कारण अब पुरुषों को काटकर ड्रम में भी दफनाया जा रहा है."
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पुरुष आयोग बनाने की मांग गूंजी
ऐसे माहौल को देखते हुए अब पुरुषों के पक्ष में भी एक व्यवस्थित हेल्पलाइन और पुरुष आयोग बनाने की मांग लगातार उठ रही है. अब इंदौर में पौरुष संस्था के अशोक दशोरा खुद एक हेल्पलाइन चला रहे हैं, जिसमें वह खुद वकील होने के नाते ऐसे तमाम केसों में पैरवी करते हैं. पीड़ित पतियों और पुरुषों को एकत्र करके वह धरना प्रदर्शन और विरोध का बीड़ा भी उठाए हुए हैं. इंदौर में पत्नी पीड़ित संघ के बाद पुरुष आयोग बनाने की वकालत कर रहे संस्था पौरुष से जुड़े तमाम पीड़ितों का कहना है "महिलाओं के पक्ष में इतने कानून के बावजूद पुरुषों के पक्ष में आज तक कोई कानून नहीं बना है. इसकी मांग को लेकर पिछले चुनाव में भी 'पुरुष आयोग नहीं तो वोट नहीं' के नारे के साथ मतदान करने के बजाय लोगों ने नोटा का समर्थन किया था."