भोपाल: राजा रघुवंशी की शिलांग में हुई हत्या के बाद हर घंटे नए खुलासे तो हो ही रहे हैं, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या वजह है कि महिलाओं का इस तरह के रिश्तों में अचानक इतना हिंसक रूप सामने आ रहा है? सोनम के ही मामले में सिरे से उठा एक सवाल, ये भी है कि क्या राईट टू च्वाइस के लिए अभी भी हमारा समाज तैयार नहीं हो पाया है? क्या अब महिला थानों की तरह प्रताड़ित पुरुषों के लिए थाने खुलने की नौबत आ रही है.
25 साल तक राजधानी भोपाल के महिला थाने में परामर्श देती रही सीनियर काउंसलर मोहिब अहमद कहती हैं, "अपने 23 साल के तजुर्बे में मैंने सबसे ज्यादा मामले एक्स्ट्रा मेरियटल अफेयर के ही डील किए हैं. शादी इसी की वजह से टूटने पर आती हैं." मेरठ में प्रेमी के लिए पति की हत्या फिर लाश के टुकड़े करके उन्हें नीली टंकी में डालने का मामला हो या फिर शिलांग में सोनम द्वारा सुपारी किलर से कराई गई राजा रघुवंशी की हत्या. मोहिब कहती हैं, "ये मामले मुझे 25 साल के तजुर्बे के बाद हैरान कर रहे हैं. मैं पहले भी महिला थाने की परामर्श में पुरुषों का भी पक्ष सुनती थी, लेकिन अब तो लग रहा है कि प्रताड़ित पुरुषों के लिए थाने खुलवाने पड़ेंगे."

अफेयर से घर टूटे, पर ऐसे हार्ट लेस मर्डर नहीं हुए
राजा रघुवंशी मर्डर मामले के बाद से भोपाल की मोहिब अहमद भी सकते में हैं. वे कहती हैं 25 साल के मेरे तजुर्बे में इस तरह का तो एक भी मामला नहीं आया. देखिए एक्स्ट्रा मेरेटियल मामले तो बहुत बरसों से आते रहे हैं. ये केवल लड़की या लड़के का मामला नहीं है. दोनों ही तरफ प्रेशर में शादियां हुई, फिर निभाना मुश्किल हुआ और बात तलाक तक पहुंची. लेकिन अभी जो हॉरिबल माहौल बना है. ये मेरे तजुर्बे में तो इतने सालों में नहीं आया."

पुरुषों की मर्डर की वजह बन रहे अफेयर
मोहिब कहती हैं, "आप देखिए ये इत्तेफाक तो नहीं है कि मेरठ का नीली ड्रम वाला मामला हो या फिर ये शिलांग में हुए राजा रघुवंशी मर्डर का केस. दोनों में ही वजह अफेयर था. असल में सामाजिक तौर पर महिला को हम पुरुषों से ज्यादा संवेदनशील रूप में देखते और मानते हैं. इसलिए वो हत्या करवाए ये स्वीकार नहीं किया जाता. मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि मेरे पास जो मामले आते हैं. उनमें महिलाएं हर हाल में अपना घर बचाने की कोशिश करती हैं. अक्सर पुरुष यहां हिंसक होते हैं, लेकिन अब कहानी उलट रही है.

प्रताड़ित पुरुषों के लिए थाने खुलने चाहिए
महिला थाने में परामर्श के दौरान मोहिब महिलाओं की पीड़ा सुनने के साथ पुरुषों को भी पर्याप्त मौका देती थी. वे कहती हैं तब मुझसे कहा जाता था कि पुरुषों की क्यों सुनती है. ये परामर्श केन्द्र महिलाओं के लिए है, लेकिन सारे पुरुष ही गलत नहीं होते ये मेरी उस समय भी सोच थी. इसलिए मैं बराबर का मौका देती थी. लेकिन अब ये जो मामले आ रहे हैं, जिनमें महिलाएं हिंसा की हद तक और क्रूएलिटी पर उतारूं हैं. कहीं पति के टुकड़े टुकड़े हो रहे हैं, तो कहीं मेंहदी उतरने से पहले हाथ खून से सन गए. ये देखकर लगता है कि अब तो प्रताड़ित पुरुषों के लिए केन्द्र खोले जाने चाहिए.

राजा रघुवंशी हत्याकांड के बाद परिवारों के लिए जरुरी है.
मोहिब कहती हैं, "इस घटना ने समाज को भीतर तक हिला दिया है. ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हनीमून पर जा रहा व्यक्ति सुरक्षित तो लौटेगा. ऐसे में जरूरी है कि परिवार कुछ डूज एण्ड डोंट्स तय कर लें."
- बेटे की शादी करें या बेटी की बैकग्राउण्ड अच्छी तरह से चैक करें.
- लड़के और लड़की को पर्याप्त समय दीजिए.
- बेहतर ये हो कि परिवार के सामने भी लड़का लड़की की बातचीत हो.
- इंकार की आजादी भी बच्चों को दिया जाना बहुत जरुरी है.
- तन का मिलन नहीं शादी विचारों का भी मिलन है.
- शादी के समय लड़कियों पर ये दबाव नहीं होना चाहिए कि उन्हें हर हाल में शादी निभानी है.
हमें बेटियों को इंकार की आजादी देनी चाहिए
महिला हिंसा के मुद्दों पर पिछले 23 सालों से काम कर रही प्रार्थना मिश्रा संगिनी संस्था चलाती हैं. वे कहती हैं, "मेरी निगाह में सोनम राजा रघुवंशी अपने आप में पहला मामला है. लेकिन मैं ये मानती हूं कि बिना मर्जी के सामाजिकता में जब ऐसे व्यक्ति से विवाह कर लेना, जो हम नहीं करना चाहते लेकिन कर लेते है, तो फिर ऐसी ही घटनाएं होती है. जो हत्या आत्महत्या को जन्म देती हैं.
इस वजह से महिलाएं हो रही हिंसक
महिलाओं के हिंसक होने के मामले तेजी से क्यों बढ़ गए हैं. इस सवाल के जबाव में प्रार्थना कहती हैं, "ये अंदर की दबी छुपी कुंठा है, जो सदियों से परिवार समाज द्वारा दबाई गई है. उन्हें लगता है कि मुक्त होने का यही रास्ता है या तो खुद मर जाओ या सामने वाले को मार दो. कई मामलों में महिलाएं मर भी जाती है पर वो मीडिया में नहीं आता. पुरुषों के भी अन्य महिला से संबंध होने के कारण पत्नी की ही हत्या होती है, लेकिन समाज महिला से ये अपेक्षा नहीं करता, तो ये मामले खबर बन जाते हैं.
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ऐसे मामलों में परिवार की ज्यादा गलती
हालांकि हमें लड़कियों को भी समझाने की जरूरत है कि दम से न कहो. वे बताती हैं कि कितने मामले हैं, जहां बालिग लड़की घर छोड़ आई, लेकिन व्यवस्था में बैठे लोगों ने उसको वापस उसी घर में पहुंचा दिया. जबकि वो बालिग थी किसी को पसंद करती थी, लड़कियां भी इसी समाज का हिस्सा हैं. वो भी इसी समाज से सीखती है और सीखा हुआ आजमाती हैं. परिवार की ज्यादा गलती होती है, जो अपना निर्णय उन और थोपते है और कई जिदंगियों को बर्बाद करते हैं.