इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले एक 6 वर्षीय बच्चे को अबू धाबी में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. जिसके बाद डॉक्टरों के आग्रह पर मासूम के माता-पिता ने अपने जिगर के टुकड़े के लिवर, दिल और दोनों किडनियों को दान कर दिया. इससे अबू धाबी में 4 लोगों को नया जीवनदान मिल गया. माता-पिता के इस साहसिक कदम की सराहना करते हुए अबू धाबी सरकार ने हॉस्पिटल का बिल और बच्चे के पार्थिव शरीर को भारत लाने का सारा खर्च वहन किया. 12 अप्रैल को मासूम का इंदौर में अंतिम संस्कार किया गया.
स्विमिंग पूल में कूदने के दौरान सिर में लगी चोट
दरअसल, इंदौर निवासी विवेक छपरवाल अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ पिछले 6 साल से अबू धाबी में रह रहे हैं. 29 मार्च को वह अपने दोनों बेटों आयान्वित (6), अतुलित (2) और अपनी पत्नी के साथ अपने एक दोस्त से मिलने गए थे. वो जिस बिल्डिंग में गए थे उसमें 5वीं मंजिल पर एक स्विमिंग पूल भी था. आयान्वित स्विमिंग पूल देख उसमें कूद पड़ा. इस दौरान उसके सिर में गंभीर चोट आ गई. जिससे उसको कार्डियक अरेस्ट भी आ गया. तत्काल सीपीआर देने के बाद बच्चे को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उपचार के दौरान डॉक्टरों ने 5 अप्रैल को बच्चे को ब्रेन डेड घोषित कर दिया.
बच्चे का अंगदान कर 4 लोगों को दी नई जिंदगी
अपने कलेजे के टुकड़े के इस तरह चले जाने से माता-पिता गहरे शोक में डूब गए. लेकिन इसी बीच डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का अंगदान करके 4 लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. मासूम बेटे के गम में खोए माता-पिता ने हिम्मत दिखाते हुए अंगदान के लिए सहमति दे दी.
जिसके बाद डॉक्टरों ने 9 अप्रैल को आयान्वित की बॉडी से दिल, लिवर और दोनों किडनी सुरक्षित निकाल ली. अबू धाबी सरकार ने आयान्वित के माता-पिता के इस साहसिक कदम की सराहना करते हुए उनकी मदद का फैसला किया. जिसके बाद सरकार ने इलाज से लेकर पार्थिव शरीर को भारत लाने तक का सारा खर्च वहन किया.
- मरकर भी जिंदा रहेंगे पूरन! ब्रेन डेड के बाद दान की किडनियां, जबलपुर में फिर बना ग्रीन कॉरिडोर
- इंदौर में पहली बार दोनों हाथ दान, 60वीं बार बना ग्रीन कॉरीडोर, सुरेंद्र जैन ने 4 को दी नई जिंदगी
अबू धाबी सरकार ने वहन किया पूरा खर्च
मामले को लेकर अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के मीडिया प्रभारी रामस्वरूप मुंदडा ने बताया कि "छपरवाल परिवार के सभी सदस्य इंदौर रहते हैं, इसलिए उनके 6 वर्षीय बच्चे के अंगों को डोनेट करने के बाद अबू धाबी सरकार ने बच्चे के माता-पिता को सम्मानित करते हुए उन्हें एक विशेष प्लेन से उसकी बॉडी के साथ इंदौर भेजा. जहां पर परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार रीति-रिवाज के मुताबिक किया."