ETV Bharat / state

दिल्ली में बनेगा देश का पहला E-Waste Eco Park, राजधानी के कुल ई-वेस्ट का 25 फीसदी करेगा प्रोसेस - E WASTE ECO PARK IN DELHI

दिल्ली में होलंबी कलां में 150 करोड़ रुपये की लागत से देश का पहला ई-वेस्ट इको पार्क बनाया जाएगा.

मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : June 9, 2025 at 11:34 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने देश के पहले अत्याधुनिक ई-वेस्ट इको पार्क के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. होलंबी कलां में बनने वाले इस इको पार्क की पहल मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में की जा रही है. इस परियोजना को उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा तथा दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है.

मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है. ई-वेस्ट इको पार्क दिल्ली को एक ऐसी सर्कुलर इकोनॉमी में बदलने का प्रयास है जहां हर संसाधन का सदुपयोग होगा और हर श्रमिक को उसका उचित सम्मान व अवसर मिलेगा. इस परियोजना से हम न केवल कचरे का प्रबंधन कर रहे हैं, बल्कि इनोवेशन, रोजगार और सस्टेनेबल इंडस्ट्री के लिए एक भविष्य तैयार कर रहे हैं.

मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में डीएसआईआईडीसी को ग्लोबल टेंडर (आरएफक्यू कम आरएफपी) जारी करने का निर्देश दिया गया, जिससे विश्व की सर्वश्रेष्ठ ग्रीन टेक्नोलॉजी से इस परियोजना का निर्माण सुनिश्चित किया जा सके. 11.4 एकड़ में बनने वाले इस पार्क का निर्माण बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) मॉडल के तहत पीपीपी मॉडल के आधार पर किया जाएगा, जिसकी रियायत अवधि 15 वर्ष होगी. यह पार्क हर साल 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेसिंग करेगा, जिसमें ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2022 के तहत सूचीबद्ध सभी 106 श्रेणियां शामिल होंगी. इससे अनुमानित 350 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है. इसका निर्माण कार्य 18 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है. पूरी तरह से चालू होने के बाद, यह इको पार्क अगले पांच वर्षों में दिल्ली के कुल ई-वेस्ट का लगभग 25 फीसदी प्रोसेस करेगा.

देश की बढ़ती ई-वेस्ट समस्या का समाधान

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है, जहां हर साल 16 लाख मीट्रिक टन से अधिक ई-वेस्ट उत्पन्न होता है और इसकी वृद्धि दर 23% प्रतिवर्ष है. दिल्ली अकेले देश के कुल ई-वेस्ट में लगभग 9.5% का योगदान करती है. वहीं वैश्विक स्तर पर केवल 17.4% ई-वेस्ट ही रिसायकल किया जाता है, जिससे लगभग 57 बिलियन डॉलर मूल्य के तांबा, लिथियम व अन्य दुर्लभ धातुएं नष्ट हो जाती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सर्कुलर इकोनॉमी पर दिए गए संदेश से प्रेरित होकर देश में चार ऐसे ई-वेस्ट इको पार्क बनाए जाने की योजना है. दिल्ली इस दिशा में पहल करने वाला पहला राज्य है, जिसने इसके लिए भूमि, नीतिगत सहयोग व वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं.

पर्यावरण की रक्षा करना सरकार का लक्ष्य

ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग के अलावा इको पार्क में डिस्मेंटलिंग, रिफर्बिशिंग, कंपोनेंट टेस्टिंग, प्लास्टिक रिकवरी और सेकंड हैंड इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के लिए अलग-अलग ज़ोन भी होंगे. इसके साथ ही असंगठित क्षेत्र के हजारों कामगारों को औपचारिक रूप से प्रशिक्षित करने हेतु स्किलिंग व ट्रेनिंग सेंटर्स भी स्थापित किए जाएंगे. सिरसा ने कहा कि इस परियोजना से हजारों ग्रीन जॉब्स का सृजन होगा. अनौपचारिक क्षेत्र के रीसायकलिंग करने वालों को औपचारिक व्यवस्था में लाकर हम न केवल उनकी आय बढ़ाएंगे, बल्कि पूरी प्रणाली को और अधिक सुरक्षित, स्वच्छ व तकनीकी रूप से उन्नत बनाएंगे. डीएसआईआईडीसी इस परियोजना की नोडल एजेंसी होगा, जो इसे निर्माता, रिफर्बिशर और रीसायकलर के लिए वन-स्टॉप हब बनाएगा. इससे कीमती धातुओं की सुरक्षित रिकवरी, रिसोर्स री-यूज को बढ़ावा व कच्चे संसाधनों पर निर्भरता कम होगी.

भविष्य के लिए तैयार दिल्ली

विकसित दिल्ली मिशन के तहत दिल्ली सरकार राजधानी को स्मार्ट, सतत और समावेशी बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है. होलंबी कलां में बनने वाला यह ई-वेस्ट इको पार्क इसी संकल्प का प्रतीक है जहां पर्यावरणीय जिम्मेदारी और इंडस्ट्रियल इनोवेशन का संगम होगा. मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि अब अनियंत्रित कचरे का दौर खत्म हो चुका है. यह परियोजना दिल्ली को औद्योगिक, पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से भविष्य के लिए तैयार करेगी.

ये भी पढ़ें :

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने देश के पहले अत्याधुनिक ई-वेस्ट इको पार्क के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. होलंबी कलां में बनने वाले इस इको पार्क की पहल मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में की जा रही है. इस परियोजना को उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा तथा दिल्ली राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है.

मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है. ई-वेस्ट इको पार्क दिल्ली को एक ऐसी सर्कुलर इकोनॉमी में बदलने का प्रयास है जहां हर संसाधन का सदुपयोग होगा और हर श्रमिक को उसका उचित सम्मान व अवसर मिलेगा. इस परियोजना से हम न केवल कचरे का प्रबंधन कर रहे हैं, बल्कि इनोवेशन, रोजगार और सस्टेनेबल इंडस्ट्री के लिए एक भविष्य तैयार कर रहे हैं.

मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में डीएसआईआईडीसी को ग्लोबल टेंडर (आरएफक्यू कम आरएफपी) जारी करने का निर्देश दिया गया, जिससे विश्व की सर्वश्रेष्ठ ग्रीन टेक्नोलॉजी से इस परियोजना का निर्माण सुनिश्चित किया जा सके. 11.4 एकड़ में बनने वाले इस पार्क का निर्माण बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) मॉडल के तहत पीपीपी मॉडल के आधार पर किया जाएगा, जिसकी रियायत अवधि 15 वर्ष होगी. यह पार्क हर साल 51,000 मीट्रिक टन ई-वेस्ट का प्रोसेसिंग करेगा, जिसमें ई-वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2022 के तहत सूचीबद्ध सभी 106 श्रेणियां शामिल होंगी. इससे अनुमानित 350 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है. इसका निर्माण कार्य 18 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य है. पूरी तरह से चालू होने के बाद, यह इको पार्क अगले पांच वर्षों में दिल्ली के कुल ई-वेस्ट का लगभग 25 फीसदी प्रोसेस करेगा.

देश की बढ़ती ई-वेस्ट समस्या का समाधान

भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है, जहां हर साल 16 लाख मीट्रिक टन से अधिक ई-वेस्ट उत्पन्न होता है और इसकी वृद्धि दर 23% प्रतिवर्ष है. दिल्ली अकेले देश के कुल ई-वेस्ट में लगभग 9.5% का योगदान करती है. वहीं वैश्विक स्तर पर केवल 17.4% ई-वेस्ट ही रिसायकल किया जाता है, जिससे लगभग 57 बिलियन डॉलर मूल्य के तांबा, लिथियम व अन्य दुर्लभ धातुएं नष्ट हो जाती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सर्कुलर इकोनॉमी पर दिए गए संदेश से प्रेरित होकर देश में चार ऐसे ई-वेस्ट इको पार्क बनाए जाने की योजना है. दिल्ली इस दिशा में पहल करने वाला पहला राज्य है, जिसने इसके लिए भूमि, नीतिगत सहयोग व वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं.

पर्यावरण की रक्षा करना सरकार का लक्ष्य

ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग के अलावा इको पार्क में डिस्मेंटलिंग, रिफर्बिशिंग, कंपोनेंट टेस्टिंग, प्लास्टिक रिकवरी और सेकंड हैंड इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट के लिए अलग-अलग ज़ोन भी होंगे. इसके साथ ही असंगठित क्षेत्र के हजारों कामगारों को औपचारिक रूप से प्रशिक्षित करने हेतु स्किलिंग व ट्रेनिंग सेंटर्स भी स्थापित किए जाएंगे. सिरसा ने कहा कि इस परियोजना से हजारों ग्रीन जॉब्स का सृजन होगा. अनौपचारिक क्षेत्र के रीसायकलिंग करने वालों को औपचारिक व्यवस्था में लाकर हम न केवल उनकी आय बढ़ाएंगे, बल्कि पूरी प्रणाली को और अधिक सुरक्षित, स्वच्छ व तकनीकी रूप से उन्नत बनाएंगे. डीएसआईआईडीसी इस परियोजना की नोडल एजेंसी होगा, जो इसे निर्माता, रिफर्बिशर और रीसायकलर के लिए वन-स्टॉप हब बनाएगा. इससे कीमती धातुओं की सुरक्षित रिकवरी, रिसोर्स री-यूज को बढ़ावा व कच्चे संसाधनों पर निर्भरता कम होगी.

भविष्य के लिए तैयार दिल्ली

विकसित दिल्ली मिशन के तहत दिल्ली सरकार राजधानी को स्मार्ट, सतत और समावेशी बनाने के लिए लगातार कार्य कर रही है. होलंबी कलां में बनने वाला यह ई-वेस्ट इको पार्क इसी संकल्प का प्रतीक है जहां पर्यावरणीय जिम्मेदारी और इंडस्ट्रियल इनोवेशन का संगम होगा. मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि अब अनियंत्रित कचरे का दौर खत्म हो चुका है. यह परियोजना दिल्ली को औद्योगिक, पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से भविष्य के लिए तैयार करेगी.

ये भी पढ़ें :

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.