शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं. अब पुलिस ही इस मामले में आपस में उलझ गई है. अब पुलिस महकमे में ही खुलकर टकराव देखने को मिल रहा है. एसएसपी शिमला संजीव गांधी और डीजीपी अतुल वर्मा आमने-सामने हैं. आरोपों का सिलसिला तेज हो गया है. एक ओर जांच में लापरवाही और गड़बड़ियों के आरोप, दूसरी ओर दबाव और जांच में हस्तक्षेप के आरोप हैं. मामला अब सिर्फ एक मौत की जांच नहीं, बल्कि पुलिस बनाम पुलिस की जंग बनता जा रहा है.
विमल नेगी मौत मामले में डीजीपी अतुल वर्मा की ओर से हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में शिमला पुलिस की एसआईटी की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए थे. एसएसपी संजीव गांधी इस एसआईटी के हेड थे. अब एसएसपी शिमला संजीव गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डीजीपी पर कई संगीन आरोप लगाए हैं. संजीव गांधी ने कहा कि 'पुलिस ने चीफ इंजीनियर विमल नेगी के लापता होने की सूचना मिलते ही कार्रवाई शुरू कर दी थी. पुलिस ने परिवार का पूरा सहयोग किया. हमें पता चला कि विमल नेगी आखिरी बार घुमारवीं बस स्टैंड पर देखे गए थे. उसके बाद उनका कोई पता नहीं चला. उनकी तलाश के लिए 15 मार्च को डीजीपी ने एसआईटी का गठन किया. उस टीम में डीजीपी ने अधिकारियों का चयन स्वयं किया था. एडीजीपी सीआईडी को एसआईटी का मुखिया बनाया गया था. इसके बाद इस एसआईटी को ही इस पर कार्रवाई करनी थी, लेकिन 18 मार्च को गोबिंद सागर में उनका शव मिला, तो बिलासपुर और एसआईटी का दायित्व था कि वे कार्रवाई करें. उनका पोस्टमार्टम सही मानदंडों पर होना चाहिए था. इस एसआईटी ने क्या किया और क्या नहीं किया, इसकी जांच भी हमने की है. हमने एक प्रक्रिया के तहत मामले की जांच की है, ताकि यह पता चल सके कि किन परिस्थितियों में उनकी मौत हुई है.'
SIT ने जमा किए कई साक्ष्य
एसएसपी संजीव गांधी ने कहा कि विमल नेगी के परिवार को मैंने आश्वस्त किया था कि मैं इस मामले की सही से जांच करूंगा. इसी दिशा में हमने एक लंबी-चौड़ी और अनुभवी टीम बनाई थी. हमारी टीम ने सारे साक्ष्य जमा किए हैं और यही रिपोर्ट हमने अदालत में रखी थी. एसएसपी ने साफ कहा कि 'हमने इस प्रकार के साक्ष्य जमा किए हैं, जिससे कहा जा सकता है कि विमल नेगी की मौत के जो भी कारण हैं और जिस प्रकार का व्यवहार उनके साथ हुआ और जो मनोस्थिति उनके अंदर पैदा की गई, वह सारा का सारा व्यवहार अस्वीकार्य था. इस स्थिति में कोई भी व्यक्ति ऐसा कदम उठा सकता है. जांच के और भी पहलू हैं, जो परिवार ने रखे थे, उन पर हमारी टीम ने जांच की थी. कोर्ट का फैसला आने के बाद हमने अपनी कार्रवाई को रोका है.'
'डीजीपी निजी स्टाफ का व्यक्ति चिट्टा गैंग के साथ संलिप्त'
आरोप लगाते हुए संजय गांधी ने कहा कि 'हमारी जांच पूरी तरह से ईमानदारी के साथ की गई है. डीजीपी की ओर से कोर्ट में जो शपथपत्र दायर किया गया है, वह गैर जिम्मेदाराना तरीके से दायर किया गया है. उसके अनेक कारण हैं. उन्होंने जांच के मानकों को तोड़ा है. हम सब जानते हैं कि सीआईडी में एक घटनाक्रम हुआ था. सीआईडी ने इसकी जांच की थी. जांच के बाद उनकी एक गुप्त चिट्ठी को ऑफिस से निकालकर लीक करवाया गया था. इसमें एक एफआईआर पंजीकृत हुई थी. इस मामले में डीजीपी का स्टाफ संलिप्त है. उसकी जांच चल रही थी. इसी जांच को बाधित करने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए. इसके अलावा जिला शिमला पुलिस को डीजीपी के आचरण के संबंध में कई शिकायतें मिली हैं, जिनमें कई सवाल उठाए गए हैं. संजय भूरिया चिट्टा तस्कर गैंग में डीजीपी के निजी स्टाफ का व्यक्ति संलिप्त पाया गया है. इसे लेकर भी हमने जांच करने का प्रयास किया है.'
डीजीपी पर कोर्ट को मिसलीड करने का लगाया आरोप
अब विमल नेगी की मौत का मामला पुलिस बनाम पुलिस होता दिख रहा है. एसएसपी संजीव गांधी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सीआईडी ने जांच को पंजीकृत किया है. उस जांच में बाधा न पहुंचाने को लेकर डीजीपी कार्यालय को चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद भी डीजीपी ने उस जांच को अपने पसंदीदा अधिकारियों से करवाने का प्रयास किया. डीजीपी पर कोर्ट को कई बार मिसलीड करने की शिकायतें हैं. इसी प्रकार के भ्रामक शपथपत्र पेश किए हैं. बहुत सी चीजें मैं समय-समय पर बताऊंगा कि किस प्रकार पुलिस हेडक्वार्टर के माध्यम से क्या-क्या षड्यंत्र किए गए और कौन-कौन सी जांच को राजनीतिक कुचक्र से प्रभावित करने के प्रयास किए गए. एसएसपी ने कहा कि एक व्यापारी निशांत शर्मा के केस में तत्कालीन डीजीपी कुंडू ने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव डालकर झूठी रिपोर्ट तैयार करवाई. मैंने बिना पक्षपात हाईकोर्ट में एफिडेविट दायर किया था, जो कि डीजीपी के खिलाफ था. कोर्ट ने उसकी तारीफ भी की थी.
ब्लास्ट के केस में फंसाने के लिए षड्यंत्र रचने का लगाया आरोप
2023 में शिमला के एक रेस्टोरेंट में गैस सिलेंडर ब्लास्ट हुआ था. इसकी जांच को केंद्रीय एजेंसी एनएसजी को सौंपा गया. एनएसजी पुलिस मुख्यालय में ठहरती है. उस समय के डीजीपी (संजय कुंडू) एनएसजी को क्यों बुलाते हैं, पहले तो हमें समझ नहीं आया. कुछ समय बाद एनएसजी की रिपोर्ट आती है और बताया जाता है कि यह आतंकी घटना है. इसके पीछे तत्कालीन डीजीपी एसएसपी शिमला की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हैं. हम पर सबूत मिटाने तक के आरोप लग जाते हैं. वे सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर देते हैं, लेकिन उस जांच की रिपोर्ट आ गई है और यह साफ हो गया है कि उस घटना में कोई आरडीएक्स था ही नहीं. यह स्पष्ट हो गया है कि बड़े अधिकारी किस तरह से एनएसजी का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसकी मदद से फर्जी सबूत तैयार कर अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रच रहे हैं. मैंने कई बार सरकार को भी इस बार में सूचित किया है.
हाईकोर्ट जाएगी एसआईटी
संजीव गांधी ने कहा कि 'मैंने अपना 26 साल का पुलिस करियर पूरी ईमानदारी के साथ पूरा किया है और यदि मेरे ऊपर कोई सवाल उठाएगा तो मैं इसे छोड़ देना पसंद करूंगा, लेकिन मैं इस अपमान को सह नहीं सकता. विमल नेगी को न्याय मिलना चाहिए, वे किसी राजनीति और स्वार्थ के शिकार नहीं होने चाहिए. संजीव गांधी ने कहा, जांच अधिकारी के तौर पर पूरी एसआईटी हाईकोर्ट जाएगी. अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. इसमें अदालत को अपनी जांच के बारे में बताया जाएगा.'
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