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गाय-भैंस से महंगा इस पशु का दूध, ये हैं हिमाचल में मिल्क के रेट - MILK RATE HIMACHAL

हिमाचल में दूध का खरीद मूल्य बढ़ने से किसान मालामाल हो रहे हैं. रोजाना सरकार हजारों लीटर दूध पशुपालकों से खरीद रही है.

पशुपालकों से रोजाना 2.32 लाख लीटर दूध की हो रही खरीद
पशुपालकों से रोजाना 2.32 लाख लीटर दूध की हो रही खरीद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : June 9, 2025 at 9:56 AM IST

4 Min Read

शिमला: हिमाचल के इतिहास में पहली बार सरकार ने दूध की खरीद में दो सालों में ऐतिहासिक वृद्धि की है. प्रदेश में पहली बार दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू किया गया है, जिसके बाद हिमाचल देश का ऐसा पहला राज्य बन गया हैं, जहां पर किसानों को दूध की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अब पंख लगे हैं.

प्रदेश के पशुपालकों से रोजाना 2.32 लाख लीटर दूध खरीदा जा रहा है. प्रदेश में खरीद मूल्य बढ़ने से ग्रामीण दूध कारोबार से जुड़ रहे हैं. करीब 38,400 पशुपालकों से सरकार रोजाना औसतन 2.25 लाख लीटर गाय का दूध खरीद रही है, जिसके कीमत गुणवत्ता के आधार पर 51 रुपये प्रति लीटर तय की गई है. पिछले साल गाय के दूध का खरीद मूल्य 45 रुपए प्रति लीटर था, जिसमें इस साल 6 रुपए लीटर की बढोतरी की गई है. इसके अतिरिक्त करीब 1,482 भैंस पालकों से हर रोज 7,800 लीटर दूध 61 रुपये प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है, जिसकी कीमत पिछले साल 55 रुपए प्रति लीटर थी. इस तरह से इस साल से भैंस के दूध की कीमत भी 6 रुपए प्रति लीटर बढ़ी है. वहीं राज्य सरकार दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में दूध आपूर्ति की चुनौती को देखते हुए पशु पालकों को 2 रुपये प्रति लीटर का परिवहन भत्ता प्रदान कर रही है. इससे छोटे और सीमान्त किसानों की बाजार तक सुगम पहुंच सुनिश्चित हो रही है और उनकी परिवहन लागत में कमी आई है.

70 रुपये लीटर की दर से खरीदा जा रहा बकरी का दूध

प्रदेश सरकार ने बकरी दूध खरीद के लिए भी एक पायलट परियोजना आरम्भ की है, जिसके तहत बकरी पालकों से प्रतिदिन करीब 100 लीटर दूध 70 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है. इस योजना से वर्तमान में 15 बकरी पालक लाभान्वित हो रहे हैं. दुग्ध सहकारी समितियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने परिवहन भत्ते को 1.50 रुपये से बढ़ाकर 3 रुपये प्रति लीटर कर दिया है. ये प्रावधान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 और हिमाचल प्रदेश को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट, 1968 के अंतर्गत पंजीकृत सभी समितियों पर लागू है.

डेयरी उत्पादन में बड़ा बदलाव

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘हिम गंगा’ ग्रामीण स्तर पर डेयरी उत्पादन में बड़ा बदलाव आया है. इस योजना के अंतर्गत हमीरपुर और कांगड़ा जिला में 268 नई दुग्ध सहकारी समितियां बनाई गई हैं, इनमें से हमीरपुर में 11 और कांगड़ा में 99 समितियां पंजीकृत हो चुकी हैं. हमीरपुर की 46 समितियों में से 20 महिला समितियों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है. कांगड़ा जिला में कुल 222 सहकारी समितियां स्थापित की जा चुकी हैं, जिनसे 5,166 किसान जुड़कर संगठित तौर पर दुग्ध उत्पादन और बिक्री सुनिश्चित कर रहे हैं.

अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगा हिमाचल: सीएम

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि 'हिमाचल प्रदेश दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला देश का पहला राज्य है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. हिमाचल प्रदेश की आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की यात्रा में दुग्ध क्षेत्र एक प्रेरक मिसाल है, जिसके माध्यम से राज्य एक ऐसा मॉडल विकसित करेगा, जो अन्य राज्य के लिए उदाहरण होगा.'

ये भी पढ़ें: सब्जी बेचने वाला था देश विरोधी गतिविधि में शामिल, पांवटा पुलिस ने किया गिरफ्तार, गंभीर धाराओं में केस दर्ज

शिमला: हिमाचल के इतिहास में पहली बार सरकार ने दूध की खरीद में दो सालों में ऐतिहासिक वृद्धि की है. प्रदेश में पहली बार दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू किया गया है, जिसके बाद हिमाचल देश का ऐसा पहला राज्य बन गया हैं, जहां पर किसानों को दूध की खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अब पंख लगे हैं.

प्रदेश के पशुपालकों से रोजाना 2.32 लाख लीटर दूध खरीदा जा रहा है. प्रदेश में खरीद मूल्य बढ़ने से ग्रामीण दूध कारोबार से जुड़ रहे हैं. करीब 38,400 पशुपालकों से सरकार रोजाना औसतन 2.25 लाख लीटर गाय का दूध खरीद रही है, जिसके कीमत गुणवत्ता के आधार पर 51 रुपये प्रति लीटर तय की गई है. पिछले साल गाय के दूध का खरीद मूल्य 45 रुपए प्रति लीटर था, जिसमें इस साल 6 रुपए लीटर की बढोतरी की गई है. इसके अतिरिक्त करीब 1,482 भैंस पालकों से हर रोज 7,800 लीटर दूध 61 रुपये प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है, जिसकी कीमत पिछले साल 55 रुपए प्रति लीटर थी. इस तरह से इस साल से भैंस के दूध की कीमत भी 6 रुपए प्रति लीटर बढ़ी है. वहीं राज्य सरकार दुर्गम और पहाड़ी क्षेत्रों में दूध आपूर्ति की चुनौती को देखते हुए पशु पालकों को 2 रुपये प्रति लीटर का परिवहन भत्ता प्रदान कर रही है. इससे छोटे और सीमान्त किसानों की बाजार तक सुगम पहुंच सुनिश्चित हो रही है और उनकी परिवहन लागत में कमी आई है.

70 रुपये लीटर की दर से खरीदा जा रहा बकरी का दूध

प्रदेश सरकार ने बकरी दूध खरीद के लिए भी एक पायलट परियोजना आरम्भ की है, जिसके तहत बकरी पालकों से प्रतिदिन करीब 100 लीटर दूध 70 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है. इस योजना से वर्तमान में 15 बकरी पालक लाभान्वित हो रहे हैं. दुग्ध सहकारी समितियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने परिवहन भत्ते को 1.50 रुपये से बढ़ाकर 3 रुपये प्रति लीटर कर दिया है. ये प्रावधान सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 और हिमाचल प्रदेश को-ऑपरेटिव सोसायटी एक्ट, 1968 के अंतर्गत पंजीकृत सभी समितियों पर लागू है.

डेयरी उत्पादन में बड़ा बदलाव

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘हिम गंगा’ ग्रामीण स्तर पर डेयरी उत्पादन में बड़ा बदलाव आया है. इस योजना के अंतर्गत हमीरपुर और कांगड़ा जिला में 268 नई दुग्ध सहकारी समितियां बनाई गई हैं, इनमें से हमीरपुर में 11 और कांगड़ा में 99 समितियां पंजीकृत हो चुकी हैं. हमीरपुर की 46 समितियों में से 20 महिला समितियों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है. कांगड़ा जिला में कुल 222 सहकारी समितियां स्थापित की जा चुकी हैं, जिनसे 5,166 किसान जुड़कर संगठित तौर पर दुग्ध उत्पादन और बिक्री सुनिश्चित कर रहे हैं.

अन्य राज्यों के लिए उदाहरण बनेगा हिमाचल: सीएम

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि 'हिमाचल प्रदेश दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला देश का पहला राज्य है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है. हिमाचल प्रदेश की आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की यात्रा में दुग्ध क्षेत्र एक प्रेरक मिसाल है, जिसके माध्यम से राज्य एक ऐसा मॉडल विकसित करेगा, जो अन्य राज्य के लिए उदाहरण होगा.'

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