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केंद्र ने हाईकोर्ट में कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले पर हर बार कंपनी का पक्ष सुनना मुमकिन नहीं - CELEBI PETITION IN DELHI HC

दिल में गुरुवार को केंद्र सरकार की ओर कहा गया कि जब देश की सुरक्षा की बात हो तो पक्ष सुनना असंभव हो जाता है.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 23, 2025 at 12:43 AM IST

2 Min Read

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा कि देश के एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम करने वाले तुर्की के कार्गो ऑपरेटर सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राईवेट लिमिटेड का सिक्योरिटी क्लीयरेंस निरस्त करने का फैसला अप्रत्याशित परिस्थितियों में लिया गया था. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जब देश की सुरक्षा पर खतरा हो तो सरकार के लिए ये लगभग असंभव हो जाता है कि वो संबंधित कंपनी का पक्ष सुने. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच इस मामले पर 23 मई को सुनवाई करेगी.

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी सेलेबी को न्यायिक समीक्षा का अधिकार है, लेकिन जब देश की सुरक्षा का सवाल हो तो नैसर्गिक न्याय का पालन करना जरुरी नहीं है. ये विधायिका पर छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रूल्स के नियम 12 का अधिकांशत: पालन किया गया है. सेलेबी कंपनी के प्रतिवेदन पर सरकार ने विचार किया था और उसके बाद अगले दिन आदेश पारित किया गया था.

बता दें कि, देश के एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम करने वाले तुर्की के कार्गो ऑपरेटर सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने सिक्योरिटी क्लीयरेंस को निरस्त करने के केंद्र के आदेश का विरोध किया है. कंपनी ने इसे गैरकानूनी और मनमाना बताया है. इससे पहले 21 मई को सुनवाई के दौरान सेलेबी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सिक्योरिटी क्लीयरेंस निरस्त करते समय न तो उन्हें नोटिस दिया गया और न ही उनका पक्ष सुना गया.

रोहतगी ने एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रूल्स के नियम 12 का हवाला देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया है. इस नियम के तहत नागरिक विमानन महानिदेशक सिक्योरिटी क्लियरेंस को निलंबित करते हैं और संबंधित कंपनी का पक्ष सुनते हैं. अगर महानिदेशक को लगता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है तो वो सिक्योरिटी क्लीयरेंस निरस्त कर सकते हैं. एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रुल्स के मुताबिक, संबंधित कंपनी का पक्ष जानना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि सेलेबी कंपनी में काम करने वाले सभी भारतीय हैं. वहीं 19 मई को हाईकोर्ट ने कहा था कि सॉरी बोलने से अच्छा है कि सुरक्षित रहें.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा कि देश के एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम करने वाले तुर्की के कार्गो ऑपरेटर सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राईवेट लिमिटेड का सिक्योरिटी क्लीयरेंस निरस्त करने का फैसला अप्रत्याशित परिस्थितियों में लिया गया था. केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जब देश की सुरक्षा पर खतरा हो तो सरकार के लिए ये लगभग असंभव हो जाता है कि वो संबंधित कंपनी का पक्ष सुने. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच इस मामले पर 23 मई को सुनवाई करेगी.

सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी सेलेबी को न्यायिक समीक्षा का अधिकार है, लेकिन जब देश की सुरक्षा का सवाल हो तो नैसर्गिक न्याय का पालन करना जरुरी नहीं है. ये विधायिका पर छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रूल्स के नियम 12 का अधिकांशत: पालन किया गया है. सेलेबी कंपनी के प्रतिवेदन पर सरकार ने विचार किया था और उसके बाद अगले दिन आदेश पारित किया गया था.

बता दें कि, देश के एयरपोर्ट पर ग्राउंड हैंडलिंग का काम करने वाले तुर्की के कार्गो ऑपरेटर सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राईवेट लिमिटेड ने सिक्योरिटी क्लीयरेंस को निरस्त करने के केंद्र के आदेश का विरोध किया है. कंपनी ने इसे गैरकानूनी और मनमाना बताया है. इससे पहले 21 मई को सुनवाई के दौरान सेलेबी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सिक्योरिटी क्लीयरेंस निरस्त करते समय न तो उन्हें नोटिस दिया गया और न ही उनका पक्ष सुना गया.

रोहतगी ने एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रूल्स के नियम 12 का हवाला देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया है. इस नियम के तहत नागरिक विमानन महानिदेशक सिक्योरिटी क्लियरेंस को निलंबित करते हैं और संबंधित कंपनी का पक्ष सुनते हैं. अगर महानिदेशक को लगता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है तो वो सिक्योरिटी क्लीयरेंस निरस्त कर सकते हैं. एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी रुल्स के मुताबिक, संबंधित कंपनी का पक्ष जानना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि सेलेबी कंपनी में काम करने वाले सभी भारतीय हैं. वहीं 19 मई को हाईकोर्ट ने कहा था कि सॉरी बोलने से अच्छा है कि सुरक्षित रहें.

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