शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बुधवार को बिजली के बिलों में लगाए गए दूध और पर्यावरण सेस के मामले पर सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच नोक-झोंक हुई. सत्ता पक्ष व विपक्ष की ओर से इसको लेकर एक-दूसरे पर कटाक्ष किए गए. विधायक भुवनेश्वर गौड़ के प्रश्न का उत्तर देते हुए डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और जनहित को देखते हुए बिजली के बिलों पर दूध और पर्यावरण सेस लगाया गया है.
उन्होंने कहा कि बिजली बिलों में सेस जोड़ने का एकमात्र कारण केवल राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना तथा प्रदेश में पर्यावरण की सुरक्षा है. उन्होंने कहा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई विद्युत दरों का निर्धारण एचपीइआरसी की ओर से किया जाना है.
किस पर कितना सेस?
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, "दूध और पर्यावरण सेस से कोई अधिक कमाई नहीं हुई है, इसका आम लोगों पर इसका कोई भार नहीं पड़ रहा है. इसके लिए उपभोक्ताओं को 1555 करोड़ की सब्सिडी दी जा चुकी हैं. ऐसे में इसे प्रदेश के विकास में सक्रिय योगदान के रूप में देखा जाना चाहिए. यह सेस लघु औद्योगिक ऊर्जा पर 2 पैसे प्रति यूनिट, मध्यम औद्योगिक ऊर्जा पर 4 पैसे, बड़े औद्योगिक उर्जा पर 10 पैसे, वाणिज्यिक पर 10 पैसे, अस्थायी कनेक्शन व स्टोन क्रशर पर 2-2 रुपए व विद्युत वाहन चार्जिंग स्टेशन पर 6 रुपए प्रति यूनिट लगाया गया है".
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा ने अपने शासनकाल में मंदिरों की आय का कुछ हिस्सा गोवंश के लिए रखा था. पर्यटन उद्योग को भी 44.5 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है. पूर्व भाजपा सरकार ने भी मंदिरों की आय का कुछ हिस्सा गौवंश के लिए रखा था.
'होटलों को आए भारी भरकम बिल'
विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने मनाली स्थित होटलों में भारी भरकम बिल आने का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि दिसंबर व जनवरी महीने में होटल फुल रहते हैं, लेकिन जनवरी में होटल खाली होने के बावजूद भी बिजली के बिल अधिक आए हैं. उन्होंने कहा कि यदि बिल ज्यादा आ रहा है तो उपभोक्ता इसकी शिकायत इलेक्ट्रिसिटी रिड्रेसल फोरम पर कर सकते है.
वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यदि सेस लगाने के बाद भी आय नहीं हो रही है तो ये सेस क्यों लगाए हैं? उन्होंने कहा कि होटल उद्योग को इसके दायरे से बाहर करना चाहिए. उन्होंने सरकार को 300 यूनिट फ्री बिजली देने को लेकर भी घेरा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव के समय लोगों से तीन सौ यूनिट बिजली निशुल्क देने का वादा किया था. उन्होंने कहा कि मंदिरों में जो पैसा है, वह श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से देते हैं. इस पैसे को सेस से नहीं जोड़ना नहीं चाहिए.
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