हिमाचल में इस बार टूट जाएगा MIS के तहत सेब खरीद का ये रिकॉर्ड, अब तक HPMC ने खरीदा इतना हजार मीट्रिक टन एप्पल
हिमाचल प्रदेश में MIS के तहत सेब खरीद का 15 साल पुराना रिकॉर्ड टूट सकता है. आखिर क्या था पिछला रिकॉर्ड जो इस बार टूट सकता है.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team
Published : October 10, 2025 at 2:57 PM IST
|Updated : October 10, 2025 at 6:31 PM IST
शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले साल की तुलना में सेब पैदावार अच्छी रहने के बावजूद बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें कुछ ज्यादा गहरी हैं. प्रदेश में इस बार सेब उत्पादन 3.66 करोड़ पेटियां रहने का अनुमान लगाया गया है, यह पैदावार पिछले कई सालों की तुलना में काफी अच्छी रहने के आसार हैं. लेकिन, इस बार मानसून सीजन में लगातार हुई भारी बारिश ने बागवानों को ऐसे जख्म दिए हैं कि बगीचे में पौधे फलों से तो खूब लदे हैं पर सेब की चमक गायब है. जिसका नतीजा अब यह हुआ कि मंडियों में पहुंचने वाला अच्छी क्वालिटी का सेब तो सीमित रह गया और राज्य सरकार की मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत सेब की खरीद का आंकड़ा हर रोज सैकड़ों मीट्रिक टन बढ़ रहा है. इससे MIS के अंतर्गत सेब की खरीद का पिछला एक बड़ा रिकॉर्ड अगले कुछ दिनों में टूटने की कगार पर है.
हिमाचल में टूट सकता है सेब खरीद का 15 साल पुराना रिकॉर्ड
बागवानों का कहना है कि, अत्यधिक बारिश से न केवल पत्तियां पीली पड़ने से सेब काला पड़ गया है, बल्कि इसका आकार भी अपेक्षाकृत छोटा रह गया है. जिस कारण HPMC (हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग कॉर्पोरेशन) MIS के तहत खोले गए खरीद केंद्रों में सेब की बाढ़ सी आ गई है. वहीं, MIS के तहत अधिक मात्रा में सेब आने से HPMC पर भी 120 करोड़ से अधिक का बोझ पड़ेगा.

रोजाना पहुंच रहे 1500 मीट्रिक टन सेब
हिमाचल में MIS के तहत इस बार का सीजन सेब खरीद के लिहाज से ऐतिहासिक साबित हो सकता है. बागवानी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, MIS (मार्केट इंटरवेंशन स्कीम) के तहत प्रदेश के सेब इतिहास में वर्ष 2010-11 में MIS के तहत सबसे अधिक 1,11,154 मीट्रिक टन सेब की खरीद की गई थी. वहीं, इस बार 8 अक्टूबर तक 88,895 मीट्रिक टन सेब की खरीद हो चुकी है, जो MIS के तहत अब अब तक सेकंड हाईएस्ट खरीद है. अभी भी रोजाना मंडी मध्यस्थता योजना के तहत खोले गए केंद्रों में 1500 मीट्रिक टन सेब पहुंच रहे हैं.

सेब सीजन खत्म होने में 40 दिन शेष
वहीं, सेब सीजन खत्म होने में 40 दिन शेष हैं. इस तरह से आने वाले दिनों में 22,260 मीट्रिक टन सेब की और खरीद होने पर MIS के तहत अब तक का सेब खरीद का ये सबसे बड़ा रिकॉर्ड टूटने के काग़ार पर है. प्रदेश में HPMC ने अकेले इस बार MIS तहत 274 केंद्र स्थापित किए हैं, जिसमें से अभी 246 केंद्रों में सेब की खरीद की जा रही है. वहीं, पराला (शिमला), परवाणू (सोलन) और जरोल (मंडी) स्थित एचपीएमसी के फल प्रसंस्करण संयंत्र पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं, जिसमें रोजाना करीब 400 टन सेब का प्रोसेसिंग हो रहा है. वहीं, MIS के तहत अन्य सेब को प्राइवेट एजेंसियों को बेचना पड़ रहा है.

MIS के तहत सेब की कब कितनी खरीद?
हिमाचल में सरकार मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत खराब सेब की खरीद करती है. प्रदेश में हर साल इस तरह के सेब की खरीद होती है, जिसकी मात्रा हर साल घटती और बढ़ती रहती है. प्रदेश में पिछले 20 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2004-05 MIS के तहत 44,837 मीट्रिक टन सेब की खरीद की गई थी. इसी तरह से वर्ष 2005-06 में 22,616 मीट्रिक टन, वर्ष 2006-07 में 9,569, वर्ष 2007-08 में 29,427, वर्ष 2008-09 में 45,741, वर्ष 2009-10 में 912, वर्ष 2010-11 में 1,11,154, वर्ष 2011-12 में 5664, वर्ष 2012-13 में 11,822, वर्ष 2013-14 में 34,229, वर्ष 2014-15 में 13,415, वर्ष 2015-16 में 36,033 मीट्रिक टन सेब की खरीद हुई थी.

वहीं, वर्ष 2016-17 में 16,088, वर्ष 2017-18 में मंडी मध्यस्थता योजना के तहत 30,657 मीट्रिक टन सेब की खरीद हुई थी. इसी तरह से वर्ष 2018-19 में 27,249, वर्ष 2019-20 में 61,117, वर्ष 2020-21 में 37.875, वर्ष 2021-22 में 73,258, वर्ष 2022-23 में 86,142, वर्ष 2023-24 में 52,915, वर्ष 2024-25 में 37,601 और वर्ष 2025-26 में MIS के अंतर्गत 9 अक्टूबर तक 88,895 मीट्रिक टन सेब की खरीद की जा चुकी है.

1,16,240 हेक्टेयर एरिया में सेब उत्पादन
हिमाचल की आर्थिकी में सेब का महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है. प्रदेश में सेब कारोबार से अच्छी खासी आय होती है. वहीं, सेब की नई वैरायटी आने से प्रदेश निचले क्षेत्रों में भी किसान सेब उत्पादन करने लगे हैं, जिस कारण प्रदेश में सेब उत्पादन के अंतर्गत एरिया लगातार बढ़ रहा है. प्रदेश में वर्ष 2004-05 में सेब के अंतर्गत 86,202 हेक्टेयर भूमि थी. इस दौरान प्रदेश में 5,27,601 मीट्रिक टन सेब उत्पादन हुआ था. इसी तरह से वर्ष 2014-15 में प्रदेश में सेब तहत क्षेत्र बढ़ कर 1,09,553 हेक्टेयर तक पहुंच गया. इस दौरान प्रदेश में सेब की पैदावार 6,25,199 मीट्रिक टन रही थी. वर्ष 2025-26 में सेब का क्षेत्र बढ़कर 1,16,240 हेक्टेयर हो गया है. वहीं, प्रदेश में जारी सेब सीजन में अब तक 7,33,066 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हो चुका है.

2025-26 में हिमाचल में सेब उत्पादन का अनुमान
हिमाचल में इस बार सेब उत्पादन पिछले साल से अधिक रहने का अनुमान लगाया गया है. प्रदेश भर में सेब पैदा करने वाले जिलों में अबकी बार 3.66 करोड़ पेटी सेब उत्पादन रहने का अनुमान है. इसमें सबसे अधिक सेब शिमला जिले में 2.53 करोड़ पेटियां होने की संभावना है. प्रदेश सेब की अधिक पैदावार भी शिमला जिले में ही होती है. वहीं, कुल्लू जिले में 70.75 लाख सेब की पेटियां होने का अनुमान लगाया है.

इसी तरह से किन्नौर जिले में 41.52 लाख सेब की पेटियां होने का अनुमान है. मंडी जिले में 28.58 लाख सेब पेटियों का उत्पादन रह सकता है. चंबा जिले में 6.16 लाख पेटियां सेब होने का अनुमान है. सिरमौर जिले में भी सेब उत्पादन 3.19 लाख पेटियां होने का अनुमान जताया गया है. लाहौल स्पीति में 63 हजार, कांगड़ा में 24 हजार, सोलन में 9 हजार, बिलासपुर में 1800, हमीरपुर में 300 और ऊना जिले में सबसे कम 100 पेटियां सेब उत्पादन रहने का अनुमान लगाया गया है.

हिमाचल प्रदेश में किस साल कितना सेब उत्पादन
हिमाचल उद्यान विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस सीजन में प्रदेश में 9 अक्टूबर तक 2 करोड़ 65 लाख 87 हजार 799 पेटियों देश सहित राज्य की विभिन्न मंडियों में भेजी जा चुकी हैं. प्रदेश में सेब सीजन अभी जारी है. ऐसे में सेब उत्पादन का ये आंकड़ा अभी और बढ़ने का अनुमान है. वहीं, वर्ष 2024-25 में 2.51 करोड़ पेटी सेब उत्पादन हुआ था. इसी तरह से 2023-24 में प्रदेश में 2.11 करोड़ पेटियों की पैदावार हुई थी. इस दौरान सेब के बॉक्स का स्टैंडर्ड साइज 24 किलो का था. साल 2022-23 में हिमाचल में सेब उत्पादन 3.36 करोड़ पेटी रहा था, उस समय सेब के बॉक्स का स्टैंडर्ड साइज 20 किलो वजन का था.

वहीं, वर्ष 2021-22 में प्रदेश में 3.05 करोड़ पेटी सेब हुआ था. 2020-21 में भी सेब की पैदावार कम रही थी, इस दौरान प्रदेश में 2.40 करोड़ सेब पेटियों का उत्पादन रहा था. इसी तरह से 2019-20 में सेब उत्पादन 3.24 करोड़, साल 2018-19 में प्रदेश में सेब की पैदावार 1.65 करोड़ पेटी रही थी. साल 2017-18 में सेब उत्पादन 2.08 करोड़ पेटी रहा था. इसी तरह से साल 2016-17 प्रदेश में 2.40 करोड़ सेब की पेटियां हुई थी. वहीं, 2015-16 में सेब उत्पादन 3.88 करोड़ पेटी रहा था.
MIS के तहत खरीदा गया 88 हजार मीट्रिक टन सेब
वहीं, बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि "प्रदेश में इस बार भारी बारिश से सेब को काफी नुकसान पहुंचा है. इस दौरान भूस्खलन की वजह से सड़कों को अधिक क्षति हुई, लेकिन सरकार ने सड़कों को समय पर खोलकर सेब को मंडियों तक पहुंचाने का प्रयास किया. अब तक मंडियों में 2.65 करोड़ सेब की पेटियां पहुंचाई गई है. वहीं, MIS के तहत बागवानों से 88 हजार मीट्रिक टन सेब बागवानों से खरीदा गया है. जहां बड़ी गाड़ियां नहीं जा रही हैं, ऐसी जगहों से छोटी गाड़ियों के माध्यम से सेब को निकाला जा रहा है. अगर कहीं सेब सड़ रहा है तो उसे डिस्पोज करने को एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है."
क्या है मंडी मध्यस्थता योजना?
बता दें कि मंडी मध्यस्थता योजना (Market Intervention Scheme) किसानों को बाजार में उचित मूल्य न मिलने की स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए चलाई जाती है. इस साल भी हिमाचल प्रदेश सरकार की चलाई जा रही मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत एचपीएमसी C ग्रेड सेब की खरीद 12 प्रति किलो की दर से कर रहा है. वहीं, पिछले साल भी MIS के तहत बागवानों से 12 रुपए किलो सेब खरीदा गया था. पहले एचपीएमसी और हिमफेड इस योजना के तहत सेब की खरीद करते थे, लेकिन हिमफेड के पास सेब प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है. वहीं, एचपीएमसी के पास फ्रूट प्रोसेसिंग का पूरा सेटअप है. एचपीएमसी सेब समेत अन्य फलों का जूस, जैम, जैली और अन्य प्रकार के उत्पाद बनाता है. इसको देखते हुए इस बार अकेले HPMC सेब की खरीद कर रहा है.
MIS के तहत कब किस भाव खरीदा गया सेब?
हिमाचल में बागवानों को राहत देने के लिए सरकार हर साल हजारों मीट्रिक सी ग्रेड सेब की खरीद करती है. इसके लिए सरकार समय-समय पर खरीद मूल्य को बढ़ाती रहती है. इसके तहत प्रदेश वर्ष 2014-15 में MIS के तहत 6.5 रुपए किलो सेब खरीदा गया. इसी तरह से वर्ष 2015-16 में 6.5 रुपए, वर्ष 2016-17 में 6.5 रुपए, वर्ष 2017-18 में 7 रुपए, वर्ष 2018-19 में 7.5 रुपए, वर्ष 2019-20 में 8 रुपए, वर्ष 2020-21 में 8.5 रुपए, वर्ष 2021-22 में 9.5 रुपए, वर्ष 2022-23 में 10.5 रुपए, वर्ष 2023-24 में 12 रुपए , 2024-25 में 12 रुपए और वर्ष 2025-26 में भी MIS के तहत सरकार 12 किलो के हिसाब से सेब खरीद रही है.
मौसम की वजह से खराब हुआ सेब
बागवान संजीव चौहान का कहना है कि, "इस बार भले ही सेब का उत्पादन पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है, लेकिन लगातार बारिश के पत्तियां पीली पड़ने से सेब काला पड़ गया है. भारी बारिश की वजह से सड़कें बंद होने के कारण भी सेब समय पर मंडियों में नहीं पहुंचा, जिसके चलते भी सेब खराब हुआ है. बागवानों को हजारों मीट्रिक टन सेब अब मंडी मध्यस्थता योजना के तहत HPMC को सेब बेचना पड़ रहा है. अगर इस बार मौसम ने साथ दिया होता तो मंडियों में अच्छी क्वालिटी का अधिक सेब आने से बागवान मालामाल हो जाते."
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