शिमला: हिमाचल में केंद्र सरकार की योजना से ग्रामीण अपने कामकाज निपटाने के साथ, घर बैठे हजारों रुपए की कमाई कर सकते हैं. प्रदेश की सुक्खू सरकार ने दो सालों में दिहाड़ी में 80 रुपए की बढ़ोतरी कर केंद्र की योजना को पंख लगा दिए हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए पिछले साल प्रदेश सरकार में दिहाड़ी में 60 रुपए की वृद्धि की थी. जिस के बाद ग्रामीणों ने इस योजना को ऐसे हाथों हाथ लिया कि पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए. इस साल सुक्खू सरकार ने इस योजना में काम करने वालों की दिहाड़ी में 20 रुपए की बढ़ोतरी की है. ऐसे में अब ग्रामीण क्षेत्रों में 1 अप्रैल से इस योजना में काम करने पर घर बैठे 320 रुपए की दिहाड़ी मिलेगी. हम बात कर रहे हैं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की. इस योजना से जुड़कर ग्रामीण घर के जरूरी कार्य निपटाने के साथ एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन कार्य कर 32 हजार की कमाई कर सकते हैं.
पिछले वित्त वर्ष में ऐसे टूटा रिकॉर्ड
हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की जेब में पैसा जाए और उनके शहर की तरफ बढ़ते पलायन को रोका जा सके, इसके लिए सरकार ने मनरेगा की दिहाड़ी में पिछले साल एक मुश्त 60 रुपए की वृद्धि की थी और ग्रामीण को इस योजना के तहत 300 रुपए की दिहाड़ी दी गई. जिसका नतीजा ये निकला कि ग्रामीणों का मनरेगा योजना की तरफ रुझान बढ़ा. जिससे मनरेगा में 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए. वित्त वर्ष 2024-25 में 1,10,539 परिवारों ने मनरेगा में 100 दिनों का रोजगार प्राप्त किया. वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत 76,554 परिवारों ने 100 दिन कार्य किया. इसी तरह से 2022-23 में 50,470, वित्त वर्ष 2021-22 में 80,475 व उससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में 89,168 परिवारों ने मनरेगा में 100 दिन की दिहाड़ी लगाई थी.
साल | मनरेगा में काम करने वाले परिवारों की संख्या |
2020-21 | 89,168 |
2021-22 | 80,475 |
2022-23 | 50,470 |
2023-24 | 76,554 |
2024-25 | 1,10,539 |
हिमाचल में 13.54 लाख एक्टिव वर्कर
हिमाचल में ग्रामीण मनरेगा के तहत बढ़चढ़ कार्य कर रहे हैं. प्रदेश में कुल जिलों की संख्या 12 हैं, जिसके तहत 91 ब्लॉक पड़ते हैं. इन सभी ब्लॉक में पंचायतों की संख्या 3616 है. ग्रामीण क्षेत्रों में इन पंचायतों के तहत 15.46 लाख जॉब कार्ड जारी किए गए हैं. जिसके तहत कुल 28.73 लाख मनरेगा वर्कर कवर होते हैं, लेकिन वर्तमान में कुल एक्टिव जॉब कार्डों की संख्या 9.11 लाख है. वहीं, वर्तमान में एक्टिव वर्करों की संख्या 13.45 लाख है. जो मनरेगा में कार्य कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. पिछले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की बात करें तो प्रदेश में 7.18 हाउस होल्ड ने मनरेगा में कार्य किया. वहीं, मनरेगा में 10.26 लाख ने इंडिवियल्स कार्य किया.
हिमाचल में औसत मजदूरी दर बढ़ी
हिमाचल में मनरेगा की दिहाड़ी में बढ़ोतरी से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत मजदूरी दर भी पिछले वित्त वर्ष में सबसे अधिक रही. वित्त वर्ष 2024-25 में मनरेगा में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत मजदूरी 222.93 रुपए रही. इससे पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में यही औसत मजदूरी प्रति व्यक्ति 218.17 रुपए रही. वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत मजदूरी दर 210.65 रुपए थी. इसी तरह से वित्त वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत मजदूरी दर 202.12 रुपए थी. वहीं 2020-21 में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत मजदूरी दर 197.42 रुपए रही.
साल | मनरेगा में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन औसत मजदूरी (रुपए में) |
2020-21 | 197.42 |
2021-22 | 202.12 |
2022-23 | 210.65 |
2023-24 | 218.17 |
2024-25 | 222.93 |
मनरेगा में किए जा सकते 266 कार्य
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को गति देने और लोगों को घर द्वार पर आजीविका की सुविधा देने के लिए मनरेगा योजना शुरू की गई है. इसके तहत ग्रामीण कुल 266 कार्य करके 100 दिन के रोजगार की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. जिसमें मुख्य तौर पर जल संरक्षण और जल संचयन के तहत तालाब, रेन हार्वेस्टिंग टैंक, नहर, चेक डैम आदि का निर्माण करना, भूमि विकास के तहत बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने के लिए कार्य किया जा सकता है. सड़क निर्माण के तहत ग्रामीण सड़कों और लिंक रोड का निर्माण करना. वहीं, मनरेगा में बागवानी और वृक्षारोपण के तहत पौधारोपण, वनस्पति विकास के कार्य करके रोजगार प्राप्त करना. सूखा राहत कार्य में जलाशयों और नदियों की सफाई और गहरीकरण का कार्य, नहर और जल प्रबंधन के तहत सिंचाई नहरों का निर्माण और सुधार करना. गोदाम और शेड निर्माण के तहत अनाज भंडारण के लिए गोदाम और कृषि से संबंधित शेडों का निर्माण करना, आवास निर्माण कार्य, पशुओं के लिए गौशाला निर्माण कार्य, लघु सिंचाई कार्य व बाढ़ नियंत्रण कार्य आदि सहित कुल 266 कार्य किए जा सकते हैं.
"हिमाचल प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए कार्य कर रही है. जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं. प्रदेश की वर्तमान सरकार ने इस बार के बजट में भी मनरेगा श्रमिकों की दिहाड़ी में 20 रुपए की बढ़ोतरी की है, अब प्रदेश में मनरेगा में काम करने पर 320 रुपए की दिहाड़ी मिलेगी. वहीं, पिछले साल सरकार ने मनरेगा की दिहाड़ी में एकमुश्त 60 रुपए की ऐतिहासिक वृद्धि की थी. जिस कारण अब प्रदेश में ग्रामीणों का रुझान मनरेगा की तरफ बढ़ रहा है." - अनिरुद्ध सिंह, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री
मनरेगा में काम कैसे होता है?
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से पात्र परिवारों को जॉब कार्ड प्रदान करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) चलाई गई है. इस योजना के तहत सरकार जॉब कार्ड धारकों को 100 दिनों के रोजगार की गारंटी देती है. ग्रामीणों को काम के अवसर उनके निवास के 5 किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध कराए जाते हैं. जिसमें मनरेगा के तहत सभी जॉब कार्ड धारक काम करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस काम के लिए दैनिक वेतन निर्धारित किया जाता है और सीधे उनके बैंक खाते में भुगतान किया जाता है. दैनिक मजदूरी राज्य के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है.
मनरेगा से क्या फायदा
मनरेगा योजना के तहत कई सारे लाभ प्रदान किए जा रहे हैं.
- रोजगार की गारंटी: इसके तहत हर परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के वेतन रोजगार की गारंटी मिलती है.
- आय में वृद्धि: मनरेगा ग्रामीण परिवारों को अतिरिक्त आय प्रदान करता है, जिससे गरीबी को कम करने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने में मदद मिलती है.
- अवसंरचना विकास: मनरेगा जल संरक्षण और प्रबंधन, भूमि विकास और ग्रामीण कनेक्टिविटी जैसे कार्यों के वित्तपोषण द्वारा ग्रामीण बुनियादी ढांचे को विकसित करने में मदद करता है.
- ग्रामीण विकास: इस योजना का उद्देश्य स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान करके ग्रामीण परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना और ग्रामीण-शहरी प्रवास को कम करना है.
- सामाजिक सुरक्षा: मनरेगा ग्रामीण परिवारों को विशेष रूप से संकट के समय आय का एक स्रोत प्रदान करके सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है.
- महिला सशक्तिकरण: यह योजना महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में लैंगिक भेदभाव को कम करने में मदद करती है.
- पारदर्शिता और जवाबदेही: मनरेगा को नियमित निगरानी और मूल्यांकन के साथ एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली के जरिए लागू किया जाता है.