शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड में कर्मचारियों के युक्तिकरण का मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. इसे लेकर बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें बोर्ड की ओर से कर्मचारियों का युक्तिकरण, छंटनी और पदों में कटौती के फैसले को गलत बताया गया है. जिस पर कर्मचारी संघ ने रोक लगाने का आग्रह किया है. इस पर अदालत ने दखलअंदाजी करने से मना कर दिया.
15 मार्च से पहले फैसला ले प्रबंध निदेशक
न्यायाधीश रंजन शर्मा की अदालत ने प्रतिवादी संख्या-दो को आदेश दिए कि कर्मचारी संघ की ओर से 17 फरवरी 2024 और 28 जनवरी 2025 को जो पक्ष रखा गया है, उस पर प्रबंध निदेशक 15 मार्च से पहले फैसला ले. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर वह फैसला नहीं ले सकते, तो इस मामले को प्रदेश सरकार को भेज दें. अदालत ने साथ ही कहा कि राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड कर्मचारी संघ को अपनी बात रखने को पूरा मौका दिया जाए. मामले में अगली सुनवाई 31 मार्च को होगी.
नहीं सुना जा रहा कर्मचारियों का पक्ष
जेएसी के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा का कहना है, "बिजली बोर्ड प्रबंधन और सरकार कर्मचारियों की बात को नहीं सुन रही है. इसलिए युक्तिकरण के फैसले के खिलाफ कर्मचारी संघ को मजबूरन हाईकोर्ट जाना पड़ा है. जमीनी स्तर पर स्थिति को जाने बिना ही बिजली बोर्ड में पदों को समाप्त किया जा रहा है. ऐसे में पद समाप्त होने से कर्मचारियों पर काम अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है." उन्होंने कहा कि इसको लेकर कर्मचारी संघ जो अपना पक्ष रखना चाहता है, बिजली बोर्ड प्रबंधन उसे सुनने को भी तैयार नहीं है. वहीं, बिजली बोर्ड में कर्मचारियों का तबादला और स्थानांतरण मनमाने तरीके से किया जा रहा है. ऐसे में कर्मचारी संघ को न्याय के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा है.