अलीगढ़ः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के वन्यजीव विज्ञान विभाग के दो शोध छात्रों अर्शयान शाहिद और शहजादा इकबाल ने ग्रीस के पाट्रास में आयोजित 9वीं यूरोपियन कांग्रेस ऑन मैमेलॉजी में अपने नवाचारपूर्ण शोध प्रस्तुत कर भारत का नाम रोशन किया है. इन छात्रों ने इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत और उपमहाद्वीप के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया जो हर चार वर्षों में एक बार आयोजित होता है.
हर चार वर्ष में आयोजित होता है सम्मेलनः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग के दो शोध छात्रों अर्शयान शाहिद और शहजादा इकबाल ने ग्रीस के पाट्रास में आयोजित 9वीं यूरोपियन कांग्रेस ऑन मैमेलॉजी (31 मार्च से 4 अप्रैल) में एएमयू वन्यजीव विज्ञान विभाग की प्रो. उरूस इलियास के मार्गदर्शन में शिरकत की. यह सम्मेलन हर चार वर्षों में एक बार आयोजित होता है और दुनिया भर के अग्रणी मैमेलॉजिस्ट इसमें भाग लेते हैं. यह जानकारी एएमयू प्रवक्ता प्रोफेसर विभा शर्मा ने दी.
अंतराष्ट्रीय मंच पर क्या प्रस्तुत कियाः यूरोपियन कांग्रेस ऑन मैमेलॉजी स्तनधारी जीवों से संबंधित विज्ञान, संरक्षण रणनीतियों और पारिस्थितिकी अनुसंधान में प्रगति साझा करने के लिए एक प्रमुख मंच है. सैकड़ों वैश्विक प्रतिभागियों में से, शहजादा इकबाल ने मध्य भारत में भेड़ियों के संरक्षण पर दो पोस्टर प्रस्तुत किए, जिनमें पारिस्थितिकी संबंधी चुनौतियों और प्रजातियों को होने वाले खतरों को रेखांकित किया गया. अर्शयान शाहिद ने गौर (भारतीय बाइसन) की व्यवहार पारिस्थितिकी पर एक पोस्टर प्रस्तुत किया और झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में मानव-हाथी संघर्ष पर एक मौखिक प्रस्तुति भी दी. दोनो शोध छात्रों के शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने सराहा और उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण और संरक्षण केंद्रित दृष्टिकोण की प्रशंसा की.

शोधार्थी छात्र क्या बोलेः शहजादा इकबाल ने बताया कि यह अग्रणी मैमेलॉजिस्ट्स के साथ अपने कार्य को साझा करने का एक अद्भुत अवसर था. अर्शयान शाहिद ने बताया कि हमें जो सुझाव और प्रतिक्रिया मिली, वह अमूल्य है. ऐसे मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना वास्तव में गर्व की बात थी.
शिक्षकों ने क्या कहाः वन्यजीव विज्ञान विभाग की प्रो. उरूस इलियास ने छात्रों की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि यूरोथेरियम में उनकी सफलता एएमयू की अनुसंधान गुणवत्ता को दर्शाती है और वैश्विक वन्यजीव विज्ञान में भारत की बढ़ती उपस्थिति का संकेत देती है.