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हिमाचल में बिना क्वारंटीन के आ रहे विदेशी सेब के रूट्स स्टॉक, अब तक इतने लाख पौधे किए नष्ट - FOREIGN APPLE ROOTSTOCK ISSUE

हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में विदेशों से बिना क्वारंटीन के आ रहे सेब के रूट्स स्टॉक का मामला गूंजा.

Foreign apple Rootstock in Himachal
विदेशी सेब के रूट्स स्टॉक (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 19, 2025 at 7:15 AM IST

4 Min Read

शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के दौरान बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2023-24 में राज्य में बिना क्वारंटीन के आ रहे सेब के पौधों के खिलाफ एक मुहिम चलाई है. जिसके तहत 25 वाहन जब्त किए. इनमें 2 लाख 95 हजार 725 पौधों को नष्ट किया गया. इसी तरह 2024-25 में चार गाड़ियां पकड़ी गई, जो बिना क्वारंटीन के पौधे ला रही थी. इनमें 68 हजार पौधों को नष्ट किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में गैरकानूनी तरीके से बिना क्वारंटीन के लाए जा रहे सेब के पौधों पर पूरी लगाम लगे. इसके लिए विभाग की और कड़े कदम उठाए गए हैं. मंत्री जगत सिंह ने विधायक कुलदीप सिंह राठौर की ओर से विदेशों से अवैध रूप से आयात हो रहे सेब के पौधों और प्रदेश में अवैध रूप से संचालित नर्सरियों को रोकने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ये बात कही.

यूनिवर्सिटी में नहीं हो रहा शोध

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में सेब के पौधों का रूट स्टॉक एक अरसे से तैयार नहीं हो रहा है. नौणी विश्वविद्यालय में इस पर कोई शोध नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो रूट्स स्टॉक तैयार हो भी रहे हैं, वो मांग के हिसाब से बहुत कम हैं. यही कारण है कि प्रदेश सरकार को विदेशों से रूट्स स्टाॅक का आयात करना पड़ रहा है. जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार रूट्स स्टाॅक का उत्पादन बढ़ाने के लिए नौणी विश्वविद्यालय के साथ एक समीक्षा बैठक करेगी और बड़े पैमाने पर रूट्स स्टाॅक तैयार करने की कोशिश होगी. उन्होंने कहा कि बागवानी विभाग ने इटली की एक कंपनी के साथ समझौता किया है. जिसके तहत कुल्लू जिले के बजौरा में सेब के 50 हजार रूट्स स्टॉक तैयार किए जा रहे हैं. इसी मुद्दे पर कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि विदेशों से आ रहा रूट्स स्टॉक पंजाब में क्वारंटीन किया जा रहा है, लेकिन इसकी समय अवधि बहुत कम है. जिस कारण रूट्स स्टाॅक के साथ प्रदेश में बड़े पैमाने पर बीमारियां पहुंच रही हैं. इससे सेब उत्पादन प्रभावित हो रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की रूट्स स्टॉक तैयार करने के लिए प्रदेश में ही शोध हो, ताकि अपनी जलवायु और जमीन के अनुसार पौधे तैयार किए जा सकें.

विदेशों से क्यों आयत किया जा रहा रूट्स स्टॉक?

भाजपा विधायक बलबीर वर्मा के कहा कि नियमों के मुताबिक विदेशों से आने वाले पौधों को एक साल तक क्वारंटीन किया जाना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. जिससे बागवानी को भारी नुकसान हो सकता है. इस पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार फिलहाल ज्यादा से ज्यादा रूट्स स्टाॅक विदेशों से लाने के लिए प्रयासरत है, ताकि मांग को पूरा किया जा सके और प्रदेश में हाई डेंसिटी बागीचों को बढ़ावा मिल सके. जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में अवैध रूप से लाए जा रहे सेब व अन्य फल पौधों का प्रवेश व विक्रय रोकने और प्रदेश में संचालित सभी पौधशालाओं/नर्सरियों के निरीक्षण के लिए बागवानी विभाग की तरफ से हर साल क्षेत्र अधिकारियों की समिति का गठन किया जाता है. गठित समिति, हिमाचल प्रदेश फल पौधशाला रजिस्ट्रीकरण व विनियम अधिनियम, 2015 एवं नियम 2020, के तहत समय-समय पर पौधशालाओं का निरीक्षण करके आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करती है. इसके साथ ही प्रदेश में गाड़ियों के जरिए लाए जा रहे पौधों का निरीक्षण और संबंधित दस्तावेजों की जांच व छानबीन करती है. इसके अलावा प्रदेश में लाए/विक्रय किए जा रहे पौधे अगर अवैध या बीमारियों व कीटों से संक्रमित पाए जाते हैं तो उन्हें नष्ट किया जाता है या प्रदेश की सीमा से बाहर भेज दिया जाता है.

ये भी पढ़ें: ग्रीन हिमाचल का सपना ऐसे होगा साकार, पौधरोपण के लिए सरकार देगी इतने लाख की सहायता

शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के दौरान बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2023-24 में राज्य में बिना क्वारंटीन के आ रहे सेब के पौधों के खिलाफ एक मुहिम चलाई है. जिसके तहत 25 वाहन जब्त किए. इनमें 2 लाख 95 हजार 725 पौधों को नष्ट किया गया. इसी तरह 2024-25 में चार गाड़ियां पकड़ी गई, जो बिना क्वारंटीन के पौधे ला रही थी. इनमें 68 हजार पौधों को नष्ट किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में गैरकानूनी तरीके से बिना क्वारंटीन के लाए जा रहे सेब के पौधों पर पूरी लगाम लगे. इसके लिए विभाग की और कड़े कदम उठाए गए हैं. मंत्री जगत सिंह ने विधायक कुलदीप सिंह राठौर की ओर से विदेशों से अवैध रूप से आयात हो रहे सेब के पौधों और प्रदेश में अवैध रूप से संचालित नर्सरियों को रोकने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ये बात कही.

यूनिवर्सिटी में नहीं हो रहा शोध

बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में सेब के पौधों का रूट स्टॉक एक अरसे से तैयार नहीं हो रहा है. नौणी विश्वविद्यालय में इस पर कोई शोध नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो रूट्स स्टॉक तैयार हो भी रहे हैं, वो मांग के हिसाब से बहुत कम हैं. यही कारण है कि प्रदेश सरकार को विदेशों से रूट्स स्टाॅक का आयात करना पड़ रहा है. जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार रूट्स स्टाॅक का उत्पादन बढ़ाने के लिए नौणी विश्वविद्यालय के साथ एक समीक्षा बैठक करेगी और बड़े पैमाने पर रूट्स स्टाॅक तैयार करने की कोशिश होगी. उन्होंने कहा कि बागवानी विभाग ने इटली की एक कंपनी के साथ समझौता किया है. जिसके तहत कुल्लू जिले के बजौरा में सेब के 50 हजार रूट्स स्टॉक तैयार किए जा रहे हैं. इसी मुद्दे पर कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि विदेशों से आ रहा रूट्स स्टॉक पंजाब में क्वारंटीन किया जा रहा है, लेकिन इसकी समय अवधि बहुत कम है. जिस कारण रूट्स स्टाॅक के साथ प्रदेश में बड़े पैमाने पर बीमारियां पहुंच रही हैं. इससे सेब उत्पादन प्रभावित हो रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की रूट्स स्टॉक तैयार करने के लिए प्रदेश में ही शोध हो, ताकि अपनी जलवायु और जमीन के अनुसार पौधे तैयार किए जा सकें.

विदेशों से क्यों आयत किया जा रहा रूट्स स्टॉक?

भाजपा विधायक बलबीर वर्मा के कहा कि नियमों के मुताबिक विदेशों से आने वाले पौधों को एक साल तक क्वारंटीन किया जाना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. जिससे बागवानी को भारी नुकसान हो सकता है. इस पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार फिलहाल ज्यादा से ज्यादा रूट्स स्टाॅक विदेशों से लाने के लिए प्रयासरत है, ताकि मांग को पूरा किया जा सके और प्रदेश में हाई डेंसिटी बागीचों को बढ़ावा मिल सके. जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में अवैध रूप से लाए जा रहे सेब व अन्य फल पौधों का प्रवेश व विक्रय रोकने और प्रदेश में संचालित सभी पौधशालाओं/नर्सरियों के निरीक्षण के लिए बागवानी विभाग की तरफ से हर साल क्षेत्र अधिकारियों की समिति का गठन किया जाता है. गठित समिति, हिमाचल प्रदेश फल पौधशाला रजिस्ट्रीकरण व विनियम अधिनियम, 2015 एवं नियम 2020, के तहत समय-समय पर पौधशालाओं का निरीक्षण करके आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करती है. इसके साथ ही प्रदेश में गाड़ियों के जरिए लाए जा रहे पौधों का निरीक्षण और संबंधित दस्तावेजों की जांच व छानबीन करती है. इसके अलावा प्रदेश में लाए/विक्रय किए जा रहे पौधे अगर अवैध या बीमारियों व कीटों से संक्रमित पाए जाते हैं तो उन्हें नष्ट किया जाता है या प्रदेश की सीमा से बाहर भेज दिया जाता है.

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