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250 सीढ़ियां चढ़ पहुंच जाएंगे 'वैष्णो देवी', मंदिर तक पहुंचने में लगेंगे बस 5 मिनट - VAISHNO DEVI TEMPLE

नवरात्रि पर वैष्णो देवी मंदिर में खूब भीड़ देखी जा रही है. भक्त मंदिर में पहुंचकर माता के दर्शन कर रहे हैं.

वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 5, 2025 at 2:00 PM IST

Updated : April 5, 2025 at 2:08 PM IST

4 Min Read

शिमला: जम्मू के कटरा में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर को दिव्य शक्तिपीठ माना जाता है. लोग लगभग 14 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़कर दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. वैष्णो देवी का मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर प्राचीन गुफा में स्थित है. यहां मां काली, लक्ष्मी और सरस्वती तीन पिंडियों के रूप में विराजमान हैं. इसे ही वैष्णो देवी के रूप में जाना और पूजा जाता है.

कटरा के वैष्णो माता मंदिर के बारे में देश और दुनिया के लोग जानते हैं, लेकिन हम आपको पहाड़ों की रानी शिमला की वादियों में छुपे हुए एक और वैष्णो माता मंदिर के बारे में बताएंगे. इस मंदिर के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. इस मंदिर में स्थित पिंडियां वैष्णो देवी कटरा में स्थित पिंडियों की तरह ही हैं और यहां पर मां वैष्णो देवी का प्रतिरूप विराजमान है.

वैष्णो देवी मंदिर (ETV BHARAT)

200 से 250 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचते हैं वैष्णो मंदिर

यह मंदिर आईएसबीटी शिमला से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. शिमला चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर स्थित संकट मोचन मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने आपको वैष्णो देवी गुफा के नाम से बोर्ड दिखाई देगा. इसके साथ छोटी से पहाड़ी पर बनीं 200 से 250 सीढ़ियां चढ़कर आपको प्राचीन गुफा दिखेगी. इसी गुफा में वैष्णो देवी का मंदिर है. वैष्णो देवी मंदिर की एक विशेषता ये है कि ये मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है, जो कि पहाड़ी के बीच में स्थित है. सड़क से मंदिर तक पहुंचने में 5 से 10 मिनट तक का समय ही लगता है.

मंदिर का इतिहास

शिमला वैष्णो देवी माता मंदिर के पुजारी यशपाल शर्मा ने बाताया कि, 'इस वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास करीब ढाई दशक पुराना है. हरिद्वार के रहने वाले स्वामी अर्जुन गुरु जी महाराज के सपने में मां वैष्णो देवी आई थीं और उन्हें इस पहाड़ की खुदाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद स्वामी अर्जुन गुरु जी महाराज ने इस पहाड़ की खुदाई करवाई और 135 फुट खोदने के बाद, यहां पर मां काली, मां लक्ष्मी, और मां सरस्वती की पिंडियां प्राप्त हुईं. देवी का जो स्वरूप कटरा वैष्णो देवी मंदिर में है, वही स्वरूप यहां भी विराजमान है. लोगों का विश्वास है कि मां वैष्णो देवी यहां पर उनकी झोली भरती हैं और उनकी प्रार्थनाओं को सुनती हैं.'

नवरात्रि पर लगता है भक्तों का तांता

ये मंदिर न केवल एक पवित्र स्थल है, बल्कि यहां पर लोगों की आस्था और विश्वास भी बहुत अधिक है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर आप कटरा में मां वैष्णो देवी के दर्शन नहीं कर पाते, तो आप शिमला में वैष्णो माता के दर्शन कर सकते हैं. नवरात्रि के दौरान साधु-संत यहां पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि पर यहां भक्तों की खूब भीड़ देखी जाती है.

नवरात्रों में 24 घंटे खुला रहता है मंदिर

रीना ने बताया कि, 'मैं यहां नवरात्रों में दो-तीन से लगातार आ रही हूं, हमारे लिए कभी कभी जम्मू जाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए हम यहां आए हैं. मंदिर नवरात्रों में 24 घंटे खुला रहता है.' प्राची ठाकुर ने बताया कि, 'इस मंदिर में पहली बार आना हुआ यहां कटरा वैष्णों देवी मंदिर की तरह ही तीन पींडियां विराजमान हैं. यहां आकर ऐसा लगता है कि हम वैष्णो माता मंदिर पहुंच चुके हैं. इस मंदिर के बारे में लोगों को इतनी जानकारी नहीं है, लेकिन इसके बारे में दूसरे लोगों को भी पता चलना चाहिए. ये धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.'

ये भी पढ़ें: नवरात्रि में कन्याओं के साथ क्यों होती है एक बालक की पूजा ? अगर लांगूर ना मिले तो क्या करें ?

शिमला: जम्मू के कटरा में त्रिकुटा पर्वत पर स्थित वैष्णो देवी मंदिर को दिव्य शक्तिपीठ माना जाता है. लोग लगभग 14 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़कर दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं. वैष्णो देवी का मंदिर त्रिकुटा पर्वत पर प्राचीन गुफा में स्थित है. यहां मां काली, लक्ष्मी और सरस्वती तीन पिंडियों के रूप में विराजमान हैं. इसे ही वैष्णो देवी के रूप में जाना और पूजा जाता है.

कटरा के वैष्णो माता मंदिर के बारे में देश और दुनिया के लोग जानते हैं, लेकिन हम आपको पहाड़ों की रानी शिमला की वादियों में छुपे हुए एक और वैष्णो माता मंदिर के बारे में बताएंगे. इस मंदिर के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. इस मंदिर में स्थित पिंडियां वैष्णो देवी कटरा में स्थित पिंडियों की तरह ही हैं और यहां पर मां वैष्णो देवी का प्रतिरूप विराजमान है.

वैष्णो देवी मंदिर (ETV BHARAT)

200 से 250 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचते हैं वैष्णो मंदिर

यह मंदिर आईएसबीटी शिमला से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. शिमला चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर स्थित संकट मोचन मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने आपको वैष्णो देवी गुफा के नाम से बोर्ड दिखाई देगा. इसके साथ छोटी से पहाड़ी पर बनीं 200 से 250 सीढ़ियां चढ़कर आपको प्राचीन गुफा दिखेगी. इसी गुफा में वैष्णो देवी का मंदिर है. वैष्णो देवी मंदिर की एक विशेषता ये है कि ये मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है, जो कि पहाड़ी के बीच में स्थित है. सड़क से मंदिर तक पहुंचने में 5 से 10 मिनट तक का समय ही लगता है.

मंदिर का इतिहास

शिमला वैष्णो देवी माता मंदिर के पुजारी यशपाल शर्मा ने बाताया कि, 'इस वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास करीब ढाई दशक पुराना है. हरिद्वार के रहने वाले स्वामी अर्जुन गुरु जी महाराज के सपने में मां वैष्णो देवी आई थीं और उन्हें इस पहाड़ की खुदाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद स्वामी अर्जुन गुरु जी महाराज ने इस पहाड़ की खुदाई करवाई और 135 फुट खोदने के बाद, यहां पर मां काली, मां लक्ष्मी, और मां सरस्वती की पिंडियां प्राप्त हुईं. देवी का जो स्वरूप कटरा वैष्णो देवी मंदिर में है, वही स्वरूप यहां भी विराजमान है. लोगों का विश्वास है कि मां वैष्णो देवी यहां पर उनकी झोली भरती हैं और उनकी प्रार्थनाओं को सुनती हैं.'

नवरात्रि पर लगता है भक्तों का तांता

ये मंदिर न केवल एक पवित्र स्थल है, बल्कि यहां पर लोगों की आस्था और विश्वास भी बहुत अधिक है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर आप कटरा में मां वैष्णो देवी के दर्शन नहीं कर पाते, तो आप शिमला में वैष्णो माता के दर्शन कर सकते हैं. नवरात्रि के दौरान साधु-संत यहां पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि पर यहां भक्तों की खूब भीड़ देखी जाती है.

नवरात्रों में 24 घंटे खुला रहता है मंदिर

रीना ने बताया कि, 'मैं यहां नवरात्रों में दो-तीन से लगातार आ रही हूं, हमारे लिए कभी कभी जम्मू जाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए हम यहां आए हैं. मंदिर नवरात्रों में 24 घंटे खुला रहता है.' प्राची ठाकुर ने बताया कि, 'इस मंदिर में पहली बार आना हुआ यहां कटरा वैष्णों देवी मंदिर की तरह ही तीन पींडियां विराजमान हैं. यहां आकर ऐसा लगता है कि हम वैष्णो माता मंदिर पहुंच चुके हैं. इस मंदिर के बारे में लोगों को इतनी जानकारी नहीं है, लेकिन इसके बारे में दूसरे लोगों को भी पता चलना चाहिए. ये धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.'

ये भी पढ़ें: नवरात्रि में कन्याओं के साथ क्यों होती है एक बालक की पूजा ? अगर लांगूर ना मिले तो क्या करें ?

Last Updated : April 5, 2025 at 2:08 PM IST
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