रांचीः रामनवमी के मौके पर रांची में शोभायात्रा भव्य रुप से निकाली जाती है. इसकी शुरुआत कहीं ना कहीं स्वाधीनता आंदोलन के समय लोगों को एकजुट करने के उदेश्य से हुई जो आज भव्य रुप ले लिया है.
अंग्रेजों के द्वारा स्वाधीनता आंदोलन को कुचलने के लिए बैठकों पर लगाई गई पाबंदी का रास्ता निकालते हुए रांची के लोगों ने धार्मिक यात्रा आयोजित कर शुरू की जो रांची में भी देखने को मिला. रांची का अपर बाजार स्थित महावीर मंदिर जिसे मनोकामना मंदिर भी कहा जाता है इसका केन्द्र बिन्दु बना और फिर कुछ लोगों के द्वारा रामनवमी शोभायात्रा की शुरुआत की गई.
स्थानीय जगदीश साहू कहते हैं कि धार्मिक गतिविधि के पीछे कहीं ना कहीं स्वाधीनता आंदोलन को मजबूती प्रदान करना था. क्योंकि अंग्रेजों द्वारा इस पर कोई पाबंदी नहीं थी जिसके फलस्वरूप रामनवमी शोभायात्रा भी दिन प्रतिदिन भव्य रुप लेता चला गया.
अनोखा है अपर बाजार स्थित बजरंगबली मंदिर
अपर बाजार स्थित साहू परिवार के घर में बना यह बजरंगबली मंदिर अनोखा है. यहां स्थित बजरंगी की मूर्ति में राम और लक्ष्मण को कंधे पर बिठाए हनुमानजी आपको नजर आएंगे. इस मंदिर की स्थापना भागवत दयाल साहू ने करीब 250 साल पहले की थी. अपने पूर्वज के द्वारा लाई गई इस मूर्ति के बारे बताते हुए अशोक कुमार गुप्ता कहते हैं कि मंदिर में स्थापित मूर्ति एक ही जिंदा पत्थर से बनी है जिसे जंजीर में लगाकर हमलोग घर में रखे हुए हैं.

रामनवमी के दिन झंडे की पूजा सबसे पहले हमारे घर के लोगों द्वारा होती है तब शोभायात्रा की शुरुआत होती है. मंदिर के पुजारी विपिन मिश्रा कहते हैं कि यह मनोकामना मंदिर है जहां सच्चे मन से जो कुछ भी श्रद्धालु मांगते हैं वह पूरा हो जाता है. इसलिए इन्हें संकट मोचन मंदिर कहा जाता है जहां श्रद्धालुओं का संकट दूर होता है. उन्होंने कहा कि आजादी से पहले शुरू हुई रामनवमी जुलूस की परंपरा आज भी जारी है जो दिन प्रतिदिन भव्य रुप लेता जा रहा है.
बता दें कि रांची में हजारीबाग की तर्ज पर 1929 में पहली बार रामनवमी के अवसर पर एक छोटा सा जुलूस निकला था. इस जुलूस में केवल दो महावीरी झंडा था जिसमें कृष्णलाल साहू, रामपदारथ वर्मा, राम बड़ाइक राम, नन्हकू राम, जगदीश नारायण शर्मा, लक्ष्मण राम मोची, जगन्नाथ साहू, गुलाब नारायण तिवारी आदि प्रमुख थे. उस समय से चली आ रही यह परंपरा समय के साथ बढ़ता चला गया और इस उत्साह और आस्था के साथ लोग अपर बाजार स्थित महावीर मंदिर में झंडा की पूजा अर्चना कर शोभा यात्रा की शुरुआत करते है और तपोवन मंदिर में जाकर इसका समापन होता है.
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