मेरठः यूपी बोर्ड की परीक्षा के परिणाम घोषित हो चुके हैं. सरकारी और निजी स्कूलों के छात्रों ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर सफलता पाई है. ऐसे में मेरठ में स्थित अंग्रेजों के जमाने के सरकारी स्कूल में टॉप टेन में जगह बनाई है. मेरठ मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर मवाना में स्थित एक यूपी बोर्ड के एएस इंटर कॉलेज 111 साल पुराना है. बारहवीं तक के इस स्कूल की कई खासियत हैं. सरकारी स्कूल होने के बावजूद यहां प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर शिक्षा दी जाती है, जिसकी वजह से पूरे जिले में सबसे अधिक बच्चे इस विद्यालय में हैं. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी इस स्कूल में पूर्व में आ चुके हैं. यूपी के मुख्यमंत्री रहे गोविन्द वल्लभ पंत भी इस स्कूल में आकर एक समय अपना मोटिवेशन देकर गये थे.
1915 में हुई थी स्कूल की स्थापनाः बता दें कि मवाना कस्बे के एंग्लो संस्कृत इण्टर कॉलेज की स्थापना साहू बनारसी दास कौशिक एवं साहू खैराती राम कौशिक के द्वारा वसन्त पंचमी के दिन सन् 1915 को की गई थी. इन्होंने स्कूल के लिए 102 बीघा जमीन दान दी थी. क्षेत्र के लोगों ने भी तब अपनी इच्छा के अनुसार दान दिया था. स्कूल में जो पूर्व में दानदाताओं के नाम अंकित हैं. 1915 में जूनियर हाई स्कूल के रूप में यह संस्था प्रारम्भ हुई थी.
1941 में मिली हाईस्कूल तक की मान्यताः स्कूल प्रबंधन के अनुसार, 1939 में विद्यालय अनुदान सूची पर आया था. इसके बाद 1941 में हाई स्कूल और 1948 में इण्टरमीडिएट हिन्दी मीडियम की मान्यता प्राप्त हुई थी. 2022 में कक्षा 6 से 12 तक की अंग्रेजी माध्यम की मान्यता प्राप्त हुई थी. वर्तमान में इस स्कूल में 3000 से अधिक स्टूडेंट हैं. लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग कक्षाएं संचालित होते हैं.
स्पेस साइंस डिप्लोमा की भी सुविधाः गौरतलब है कि 2023 में एएस इंटर कॉलेज में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान द्वारा खगोल विज्ञान (स्पेस साइंस) पाठ्यक्रम की मान्यता प्राप्त की थी. यहां छात्र एवं छात्राओं को निःशुल्क अन्तरिक्ष विज्ञान के कोर्स कराकर डिप्लोमा प्रदान किया जाता है. इस स्कूल को 2023 में भारतीय मानक ब्यूरो और वर्ष 2024 में खगोल विज्ञान का जनपदीय नोडल केन्द्र बनाया गया.

विद्यालय में सुविधाएंः विद्यालय में अध्यापक व अध्यापिकाओं के लिए अलग-अलग स्टॉफ रूम, कक्षाओं में ग्रीन बोर्ड, कक्षों के बाहर नोटिस बोर्ड, 96 IP Cameras, शुद्ध पेयजल के लिए चार वाटर कूलर, स्वच्छ सुन्दर शौचालय हैं. प्रधानाचार्य कक्ष, प्रबन्ध समिति कक्ष, कम्प्यूटर कक्ष, परीक्षा कक्ष, मिड-डे-मिल कक्ष, प्रयोगशालायें, आर्ट रूम, खेलकूद कक्ष आदि हैं. विद्यालय में खेल को महत्त्व देते हुए आधुनिक खेल सामग्री उपलब्ध है. विद्यालय के पुरातन छात्र प्रेमराज कश्यप रस्तोगी ने 5 लाख रुपये की सहयोग राशि से छात्र-छात्राओं के लिए खगोल विज्ञान विभाग की गैलरी का निर्माण कराया गया है.

जन्मदिन पर विद्यार्थियों को दिए जाते हैं पौधेः कक्षा 6 से 12 तक के लिए छात्र एवं छात्राओं के लिए पृथक विंग हैं. एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू है. विद्यालय में 12 बीघा भूमि में 5 लाख से अधिक पौधों की एक नर्सरी भी है. जिस भी छात्र या छात्रा का जन्मदिन होता है, उसे उपहार में विद्यालय नर्सरी से पौधे प्रदान किये जाते हैं. विद्यालय में एक सभागार तथा केन्द्रीय पुस्तकालय, अध्यापक कक्ष आदि भी हैं.
हाई स्कूल का रिजल्ट शत-प्रतिशतः तीन साल से प्रिंसिपल की जिम्मेदारी निभा रहे डॉक्टर मेघराज सिंह ने बताया कि इस स्कूल में 30 से ज्यादा आईएएस और आईपीएस, तमाम अधिकारी और मंत्री यहां आकर बच्चों को प्रेरित कर चुके हैं. इस बार हाईस्कूल का रिजल्ट शत प्रतिशत रहा है, जबकि कक्षा 12 वीं का रिजल्ट भी 88.9 फीसदी है. कक्षा 10 में वैष्णवी ने इस स्कूल को पूरे प्रदेश में पहचान दिलाई है. वैष्णवी ने यूपी के टॉप टेन में अपनी जगह बनाई है. प्रिसिंपल ने बताया कि महंगे निजी स्कूल की तरह ही यहां सुविधाएं हैं. सभी के लिए अनुशासन का पालन करना अनिवार्य है. पीरियड समाप्ति के बाद तत्काल अगर टीचर क्लास रूम में नहीं पहुंचते तो इंटरकॉम की व्यवस्था है. जिससे तुरंत स्टूडेंट्स इस बारे में मैसेज देंगे.
स्कूल में है क्रिकेट अकादमीः प्रिंसिपल ने बताया कि स्कूल में क्रिकेट अकादमी भी है. इस अकादमी के स्टूडेंट अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. एक तो आईपीएल की एक टीम में वेटिंग हैं. वहीं, दो बच्चे राज्य टीमों का हिस्सा हैं. यहां से पढ़ाई करने वाले छात्र देश-विदेश तक में भी सेवारत हैं. प्रिंसिपल मेघराज सिंह बताते हैं कि नामचीन विद्यालयों के स्टूडेंटस को उनके गार्जियन अब इस स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए आतुर रहते हैं. पब्लिक स्कूलों की तर्ज पर यहां स्टूडेंट्स को सुविधा मिल रही है. उन्होंने बताया कि कक्षा 6 से 8 वीं तक स्कूल में शिक्षा मुफ्त है. जबकि दसवीं, ग्यारवीं और बारहवीं के किसी भी स्टूडेंट की वार्षिक फीस दो हजार के लगभग है.
एडमिशन के लिए होड़ः माध्यमिक शिक्षा परिषद मेरठ मंडल के संयुक्त निदेशक ओमकार नाथ शुक्ला ने बताया कि यूपी बोर्ड का यह स्कूल कहने को तो ग्रामीण अंचल में है, लेकिन यहां छात्रों की संख्या भी किसी भी जिले के यूपी बोर्ड के स्कूल से ज्यादा है. रिजल्ट का प्रतिशत भी तुलनात्मक रूप से बहुत शानदार ही है. इस स्कूल के पुरातन छात्रों का एक ग्रुप भी है. जो समय समय पर मदद भी करते हैं, ताकि स्कूल में बदलाव होते रहें. ग्रामीण अंचल में होने के बावजूद यहां एडमिशन लेने वाले बच्चों की लंबी लाइन है.
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