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इतिहास के पन्नों में ही जिंदा हैं छत्तीसगढ़ के 36 गढ़, जानिए क्यों हैं संरक्षण की जरुरत - HISTORY OF THIRTY SIX FORTS

छत्तीसगढ़ का नाम अपने 36 गढ़ों के नाम पर बना था.जो शिवनाथ नदी के दोनों किनारों पर बसे थे.

History of Thirty Six forts
इतिहास के पन्नों में ही जिंदा हैं छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : March 25, 2025 at 6:37 PM IST

Updated : April 8, 2025 at 11:46 AM IST

7 Min Read

रायपुर- छत्तीसगढ़ का नाम 36 गढ़ की वजह से पड़ा था. रायपुर राज्य और रतनपुर राज्य हुआ करते थे. रायपुर राज्य 18 गढ़ और रतनपुर राज्य में 18 गढ़ मौजूद थे. कलचुरीकाल में आठवीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के मध्य तक 36 गढ़ थे. बाद में इन गढ़ों का अस्तित्व भी समाप्त हो चुका है. यह सभी गढ़ छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ का नाम दंडकारण्य दक्षिण कोसल जैसे नाम से अपनी पहचान रखता था. 15 वीं शताब्दी के आसपास रतनपुर राज्य 2 भागों में बटा उसके बाद शिवनाथ नदी के उत्तर में 18 गढ़ और शिवनाथ नदी के दक्षिण में 18 गढ़ हुआ करते थे. इन 36 गढ़ों में कुल 5722 गांव, जिसमें रतनपुर राज्य में 3586 और रायपुर राज्य में 2136 गांव थे.


कहां थे कितने गढ़ : इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि "36 गढ़ों में उत्तर के 18 गढ़ रतनपुर राज्य में थे. दक्षिण के 18 गढ़ रायपुर राज्य में थे. इस तरह से रतनपुर राज्य में 18 गढ़ और रायपुर राज्य में 18 गढ़ मौजूद थे. इन 36 गढ़ों का पतन 18 वीं शताब्दी के मध्य हुआ. जिस समय रतनपुर राज्य केंद्र बिंदु हुआ करता था. 1045 में राजधानी अस्तित्व में आया था. 18-18 गढ़ों का जो विभाजन 15वीं शताब्दी के अंत में हुआ. गढ़ यानी प्रशासनिक इकाई का प्रमुख स्थान हुआ करता था. 12 या फिर 84 गांव का एक गढ़ हुआ करता था.

फिंगेश्वरगढ़, राजिमगढ़ अब इन गढ़ों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. गढ़ों के आसपास लोग अतिक्रमण करके मकान और बस्ती बसा लिए हैं. अगर आने वाले दिनों में इन्हें नहीं बचाया जाता है तो यह सिमटकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएंगे. ऐसे में पुरातत्व विभाग को चाहिए कि इन गढ़ों को ऐतिहासिक धरोहर या स्मारक घोषित कर दें. जिससे इन गढ़ों का संरक्षण और संवर्धन हो सके- डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार

छत्तीसगढ़ के 36 गढ़, (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

इतिहासविद डॉ. रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि सन 1497 में पहली बार छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग खैरागढ़ के कवि दलरामराव ने किया. इसका जिक्र भोपाल के रहने वाले प्रोफेसर हीरालाल शुक्ल की किताब में भी मिलता है. दलरामराव ने अपनी कविता में लिखा था-

History of Thirty Six forts
बूढ़ा तालाब की साल 1909 की तस्वीर (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित्त दै, गढ़ छत्तीस मे न गढ़ैया रही, मरदानगी रही नहीं मरदन में, गढ़ छत्तीस में न गढ़ैया रही, भाव भरै सब कांप रहे, भय नहीं जाए डरैया रही, दलराम भैन सरकार सुनो,

नृप कोउ न ढाल अड़ैया रही। रतनपुर के कवि गोपाल मिश्र ने \'खूब तमाशा\' 1686 में लिखी थी। इसमें भी छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग हुआ। उन्होंने लिखा था:-

छत्तीसगढ़ गाढ़े जहां बड़े गड़ोई जान,

सेवा स्वामिन को रहे सकें ऐंड़ को मान

History of Thirty Six forts
छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

1686 की रचना के करीब 150 साल बाद रतनपुर के बाबू रेवाराम ने भी अपने विक्रम विलास नाम के ग्रंथ में छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया. उन्होंने लिखा-

तिनमें दक्षिन कोसज देसा,

जहं हरि ओतु केसरी बेसा,

तासु मध्य छत्तीसगढ़ पावन.

पहली बार सरकारी दस्तावेजों में छत्तीसगढ़ शब्द का जिक्र सन् 1820 में मिलता है. इतिहासविद के मुताबिक तब के अंग्रेज अधिकारी एग्न्यू की रिपोर्ट में उसने इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ प्रोविंस लिखा. इसे बाद में छत्तीसगढ़ प्रांत कहा गया. यह रिपोर्ट पारिवारिक जनगणना की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक तब के छत्तीसगढ़ में 1 लाख 6 सौ तिरपन परिवार रहा करते थे.

THIRTY SIX FORTS OF CHHATTISGARH
छत्तीसगढ़ के 36 गढ़, (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


रतनपुर राज्य में शिवनाथ नदी के उत्तर में 18 गढ़ : रतनपुर, मारो, विजयपुर, खरौद, कोटगढ़, नवागढ़, सोंठी, ओखर, पंडरभटा, सेमरिया, मदनपुर, (चांपा जमींदारी), कोसंगई ( छुरी जमींदारी), लाफा, केंदा, भातिन, उपरोड़ा, केंडरी, करकट्टी.

रायपुर राज्य में शिवनाथ नदी के दक्षिण में 18 गढ़ : रायपुर, पाटन, सिमगा, सिंगारपुर, लवन, अमीरा, दुर्ग, शारडा, सिरसा, मोहदी, खलारी, सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, सिंगारगढ़, सुअरमार, टैगनानगढ़, अकलबाड़ा ।

  • रायपुर - रायपुर राज्य कलचुरी राजाओं की राजधानी थी. पहले खारुन नदी के किनारे था. जिसको बाद में बूढ़ा तालाब के आसपास बनाया गया था.
  • मारोगढ़- मारोगढ़ नांदघाट के आसपास है. जहां पर केवल अवशेष ही बचे हैं.ये चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है.
  • खरोद गढ़- वर्तमान में यह गढ़ खरौद के नाम से पहचान रखता है.
  • कोटगढ़- बिलासपुर रोड पर अकलतरा के पास स्थित है. यह भी छत्तीसगढ़ के पुराने गढ़ में से एक माना जाता है. यह भी चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है.
  • कोसगईगढ़- कटघोरा कोरबा मार्ग पर पहाड़ियों पर बसा हुआ था.
  • लाफागढ़- लाफ़ागढ़ लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ था. अब इसके अवशेष ही शेष रह गए हैं. यह रतनपुर पाली के रास्ते पर है.
  • केंदागढ़- केंदागढ़ मरवाही क्षेत्र में स्थित था.
  • कणरिगढ़- वर्तमान में इसे लोग पेंड्रा के नाम से जानते हैं. अमरकंटक इसी के अंतर्गत आता है.
  • करकट्टी गढ़- यह वर्तमान में शहडोल क्षेत्र के बघेलखंड क्षेत्र में स्थित है.
  • मदनपुर गढ़- वर्तमान में चांपा जमींदारी कहलाता है.
  • पाटनगढ़- यह भी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक गढ़ में से एक माना जाता है.
  • सिमगागढ़- शिवनाथ नदी के किनारे बिलासपुर मार्ग पर सिमगागढ़ था जिसे लोग वर्तमान में सिमगा के नाम से जानते हैं.
  • दुर्ग गढ़- यह शिवनाथ नदी के किनारे बना था जिसको राजा जगपाल ने बनवाया था.
  • खल्लारी गढ़- यह कलचुरी राजाओं की पहली राजधानी थी. उसके बाद रायपुर राजधानी बसाई गई.
  • सिरपुरगढ़- छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और प्राचीन गढ़ों में से एक गढ़ माना जाता है.
  • फिंगेश्वरगढ़-यह भी जमींदारी का प्रमुख केंद्र रहा.
  • राजिमगढ़-कलचुरी राजाओं ने राजीम में भी एक गढ़ बनाया था, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहलाता है.
  • सुअरमार गढ़- यह गढ़ कोमाखान जमींदारी कहलाता था. इसी तरह सभी गढ़ों का अपना एक अलग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व रहा है.


क्या होता था गढ़ ?: प्रशासनिक विभाजन की दृष्टि से गढ़ माना जाता था. गढ़ का अर्थ यह नहीं था कि जैसे मालवा राजस्थान उत्तर प्रदेश के किले जैसा नहीं था, बल्कि यहां पर मिट्टी के गढ़ हुआ करते थे. आज भी कुछ गढ़ पुराने नाम से जाना जाता है. जैसे पामगढ़, कोटगढ़. आखिर कलचुरी राजाओं ने गढ़ का निर्माण क्यों किया था इस सवाल के जवाब में रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि प्रशासनिक मुख्यालय की दृष्टि से गढ़ का निर्माण कराया गया था. गढ़ का मालिक गणपति कहलाता था लेकिन बाद में नाम बदलने के बाद यह जमींदार हो गया. जिसे लोग जमींदार के मुख्यालय के नाम से जानते थे.



प्रमुख गढ़ों के बारे में इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि कोटगढ़ का अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान है. यह गढ़ चारों ओर से पानी से घिरा हुआ था. इसके साथ ही लाफाकेंदा गढ़. यह गढ़ लगभग 3200 फीट की ऊंचाई में पहाड़ियों पर बना हुआ था. इसके साथ ही रतनपुर, रायपुर और पाटन गढ़ महत्वपूर्ण रहा है.

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रायपुर- छत्तीसगढ़ का नाम 36 गढ़ की वजह से पड़ा था. रायपुर राज्य और रतनपुर राज्य हुआ करते थे. रायपुर राज्य 18 गढ़ और रतनपुर राज्य में 18 गढ़ मौजूद थे. कलचुरीकाल में आठवीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी के मध्य तक 36 गढ़ थे. बाद में इन गढ़ों का अस्तित्व भी समाप्त हो चुका है. यह सभी गढ़ छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ का नाम दंडकारण्य दक्षिण कोसल जैसे नाम से अपनी पहचान रखता था. 15 वीं शताब्दी के आसपास रतनपुर राज्य 2 भागों में बटा उसके बाद शिवनाथ नदी के उत्तर में 18 गढ़ और शिवनाथ नदी के दक्षिण में 18 गढ़ हुआ करते थे. इन 36 गढ़ों में कुल 5722 गांव, जिसमें रतनपुर राज्य में 3586 और रायपुर राज्य में 2136 गांव थे.


कहां थे कितने गढ़ : इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि "36 गढ़ों में उत्तर के 18 गढ़ रतनपुर राज्य में थे. दक्षिण के 18 गढ़ रायपुर राज्य में थे. इस तरह से रतनपुर राज्य में 18 गढ़ और रायपुर राज्य में 18 गढ़ मौजूद थे. इन 36 गढ़ों का पतन 18 वीं शताब्दी के मध्य हुआ. जिस समय रतनपुर राज्य केंद्र बिंदु हुआ करता था. 1045 में राजधानी अस्तित्व में आया था. 18-18 गढ़ों का जो विभाजन 15वीं शताब्दी के अंत में हुआ. गढ़ यानी प्रशासनिक इकाई का प्रमुख स्थान हुआ करता था. 12 या फिर 84 गांव का एक गढ़ हुआ करता था.

फिंगेश्वरगढ़, राजिमगढ़ अब इन गढ़ों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. गढ़ों के आसपास लोग अतिक्रमण करके मकान और बस्ती बसा लिए हैं. अगर आने वाले दिनों में इन्हें नहीं बचाया जाता है तो यह सिमटकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएंगे. ऐसे में पुरातत्व विभाग को चाहिए कि इन गढ़ों को ऐतिहासिक धरोहर या स्मारक घोषित कर दें. जिससे इन गढ़ों का संरक्षण और संवर्धन हो सके- डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार

छत्तीसगढ़ के 36 गढ़, (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

इतिहासविद डॉ. रमेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि सन 1497 में पहली बार छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग खैरागढ़ के कवि दलरामराव ने किया. इसका जिक्र भोपाल के रहने वाले प्रोफेसर हीरालाल शुक्ल की किताब में भी मिलता है. दलरामराव ने अपनी कविता में लिखा था-

History of Thirty Six forts
बूढ़ा तालाब की साल 1909 की तस्वीर (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित्त दै, गढ़ छत्तीस मे न गढ़ैया रही, मरदानगी रही नहीं मरदन में, गढ़ छत्तीस में न गढ़ैया रही, भाव भरै सब कांप रहे, भय नहीं जाए डरैया रही, दलराम भैन सरकार सुनो,

नृप कोउ न ढाल अड़ैया रही। रतनपुर के कवि गोपाल मिश्र ने \'खूब तमाशा\' 1686 में लिखी थी। इसमें भी छत्तीसगढ़ नाम का प्रयोग हुआ। उन्होंने लिखा था:-

छत्तीसगढ़ गाढ़े जहां बड़े गड़ोई जान,

सेवा स्वामिन को रहे सकें ऐंड़ को मान

History of Thirty Six forts
छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

1686 की रचना के करीब 150 साल बाद रतनपुर के बाबू रेवाराम ने भी अपने विक्रम विलास नाम के ग्रंथ में छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया. उन्होंने लिखा-

तिनमें दक्षिन कोसज देसा,

जहं हरि ओतु केसरी बेसा,

तासु मध्य छत्तीसगढ़ पावन.

पहली बार सरकारी दस्तावेजों में छत्तीसगढ़ शब्द का जिक्र सन् 1820 में मिलता है. इतिहासविद के मुताबिक तब के अंग्रेज अधिकारी एग्न्यू की रिपोर्ट में उसने इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ प्रोविंस लिखा. इसे बाद में छत्तीसगढ़ प्रांत कहा गया. यह रिपोर्ट पारिवारिक जनगणना की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक तब के छत्तीसगढ़ में 1 लाख 6 सौ तिरपन परिवार रहा करते थे.

THIRTY SIX FORTS OF CHHATTISGARH
छत्तीसगढ़ के 36 गढ़, (ETV BHARAT CHHATTISGARH)


रतनपुर राज्य में शिवनाथ नदी के उत्तर में 18 गढ़ : रतनपुर, मारो, विजयपुर, खरौद, कोटगढ़, नवागढ़, सोंठी, ओखर, पंडरभटा, सेमरिया, मदनपुर, (चांपा जमींदारी), कोसंगई ( छुरी जमींदारी), लाफा, केंदा, भातिन, उपरोड़ा, केंडरी, करकट्टी.

रायपुर राज्य में शिवनाथ नदी के दक्षिण में 18 गढ़ : रायपुर, पाटन, सिमगा, सिंगारपुर, लवन, अमीरा, दुर्ग, शारडा, सिरसा, मोहदी, खलारी, सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, सिंगारगढ़, सुअरमार, टैगनानगढ़, अकलबाड़ा ।

  • रायपुर - रायपुर राज्य कलचुरी राजाओं की राजधानी थी. पहले खारुन नदी के किनारे था. जिसको बाद में बूढ़ा तालाब के आसपास बनाया गया था.
  • मारोगढ़- मारोगढ़ नांदघाट के आसपास है. जहां पर केवल अवशेष ही बचे हैं.ये चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है.
  • खरोद गढ़- वर्तमान में यह गढ़ खरौद के नाम से पहचान रखता है.
  • कोटगढ़- बिलासपुर रोड पर अकलतरा के पास स्थित है. यह भी छत्तीसगढ़ के पुराने गढ़ में से एक माना जाता है. यह भी चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है.
  • कोसगईगढ़- कटघोरा कोरबा मार्ग पर पहाड़ियों पर बसा हुआ था.
  • लाफागढ़- लाफ़ागढ़ लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ था. अब इसके अवशेष ही शेष रह गए हैं. यह रतनपुर पाली के रास्ते पर है.
  • केंदागढ़- केंदागढ़ मरवाही क्षेत्र में स्थित था.
  • कणरिगढ़- वर्तमान में इसे लोग पेंड्रा के नाम से जानते हैं. अमरकंटक इसी के अंतर्गत आता है.
  • करकट्टी गढ़- यह वर्तमान में शहडोल क्षेत्र के बघेलखंड क्षेत्र में स्थित है.
  • मदनपुर गढ़- वर्तमान में चांपा जमींदारी कहलाता है.
  • पाटनगढ़- यह भी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक गढ़ में से एक माना जाता है.
  • सिमगागढ़- शिवनाथ नदी के किनारे बिलासपुर मार्ग पर सिमगागढ़ था जिसे लोग वर्तमान में सिमगा के नाम से जानते हैं.
  • दुर्ग गढ़- यह शिवनाथ नदी के किनारे बना था जिसको राजा जगपाल ने बनवाया था.
  • खल्लारी गढ़- यह कलचुरी राजाओं की पहली राजधानी थी. उसके बाद रायपुर राजधानी बसाई गई.
  • सिरपुरगढ़- छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और प्राचीन गढ़ों में से एक गढ़ माना जाता है.
  • फिंगेश्वरगढ़-यह भी जमींदारी का प्रमुख केंद्र रहा.
  • राजिमगढ़-कलचुरी राजाओं ने राजीम में भी एक गढ़ बनाया था, जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहलाता है.
  • सुअरमार गढ़- यह गढ़ कोमाखान जमींदारी कहलाता था. इसी तरह सभी गढ़ों का अपना एक अलग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्व रहा है.


क्या होता था गढ़ ?: प्रशासनिक विभाजन की दृष्टि से गढ़ माना जाता था. गढ़ का अर्थ यह नहीं था कि जैसे मालवा राजस्थान उत्तर प्रदेश के किले जैसा नहीं था, बल्कि यहां पर मिट्टी के गढ़ हुआ करते थे. आज भी कुछ गढ़ पुराने नाम से जाना जाता है. जैसे पामगढ़, कोटगढ़. आखिर कलचुरी राजाओं ने गढ़ का निर्माण क्यों किया था इस सवाल के जवाब में रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि प्रशासनिक मुख्यालय की दृष्टि से गढ़ का निर्माण कराया गया था. गढ़ का मालिक गणपति कहलाता था लेकिन बाद में नाम बदलने के बाद यह जमींदार हो गया. जिसे लोग जमींदार के मुख्यालय के नाम से जानते थे.



प्रमुख गढ़ों के बारे में इतिहासकार डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि कोटगढ़ का अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान है. यह गढ़ चारों ओर से पानी से घिरा हुआ था. इसके साथ ही लाफाकेंदा गढ़. यह गढ़ लगभग 3200 फीट की ऊंचाई में पहाड़ियों पर बना हुआ था. इसके साथ ही रतनपुर, रायपुर और पाटन गढ़ महत्वपूर्ण रहा है.

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Last Updated : April 8, 2025 at 11:46 AM IST
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