ETV Bharat / state

एक श्मशान ऐसा भी! यहां खौफ नहीं खुशनुमा है मंजर, परिवार के साथ घूमने आते हैं लोग - HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK

हिसार में एक ऐसा श्मशान है, जहां लोग बेखौफ होकर घूमने पहुंचते हैं. आखिर ये कैसे संभव हो पाया है, जानने के लिए आगे पढ़ें.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
एक श्मशान ऐसा भी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 5, 2025 at 4:55 PM IST

Updated : April 5, 2025 at 6:23 PM IST

7 Min Read

हिसार: अक्सर लोग श्मशान घाट का नाम सुन कर ही डर जाते हैं. कई लोगों के तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि श्मशान घाट में नेगेटिव एनर्जी होती है, जिसे लोग बुरी आत्मा भी कहते हैं. इसके साथ ही कई लोग दावा करते हैं कि श्मशान घाट के आसपास रहना या आना-जाना खतरनाक हो सकता है. लोगों का मानना है कि श्मशान घाट के आस-पास जाने से बुरी आत्माएं पिछे पड़ जाती है. हालांकि हिसार के एक श्मशान घाट का नजारा कुछ और ही है. यहां लोग न सिर्फ बेखौफ होकर घूमते हैं, बल्कि वे अपने बच्चों को लेकर भी यहां पहुंचते हैं.

इस श्मशान में घूमने आते हैं लोग: दरअसल, हम बात कर रहे हैं हरियाणा के प्रथम ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा के श्मशान की. इस श्मशान की जमीन इन दिनों पर्यटन स्थल बनी हुई है. स्थानीय यहां हर रोज सुबह-शाम मॉर्निग वॉक के लिए आते है. वहीं, प्रदेश के सैकड़ों लोग यहां घूमने आते हैं. इनमें कॉलेज और स्कूल के स्टूडेंट और स्थानीय महिला पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं. साथ ही यहां बुजुर्ग महिला पुरुष सुबह-शाम योगा करने और टहलने भी पहुंचते हैं.

श्मशान में परिवार के साथ घूमने आते हैं लोग (ETV Bharat)

यहां डर नहीं बल्कि मिलता है अच्छा माहौल: खास बात तो यह है कि यहां लगाए औषधीय पौधे, फल और फूलों को यहां टहलने आने वाले लोग तोड़कर घर ले जाते हैं. यहां से तोड़े गए फूलों को लोग भगवान पर चढ़ाते हैं. साथ ही इस श्मशान में लगे फलों को तोड़कर लोग बड़े शौक से खाते हैं. इन पेड़ों की देखभाल यहां के लोग खुद करते हैं. उनको यहां अब किसी चीज का डर नहीं लगता बल्कि उन्हें यहां आकर अच्छा माहौल मिलता है. अजीब बात तो यह है कि यहां आज भी चिताएं जलती है. लेकिन लोगों को यहां की हरियाली देख डर बिल्कुल भी नहीं लगता.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान के आस-पास का दृश्य (ETV Bharat)

आधुनिक तरीके से पौधारोपण: तलवंडी राणा की श्मशान भूमि में पर्यावरण को देखते हुए अलग-अलग किस्म के फूलों और फलों के पौधे लगाए गए हैं. आलम यह है कि यहां पर न केवल प्राकृतिक फूलों की बहार आई हुई है, बल्कि यहां पर जानवरों एवं पक्षियों का सरंक्षण प्रदान करने के लिए प्राकृतिक ताने-बाने को भी नहीं छेड़ा गया है. यहां की खास बात यह है कि तलवंडी राणा की श्मशान भूमि में पौधारोपण करके एवं गंदे पानी के बेहतर उपयोग करने, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, लैड स्केपिंग, मार्डन गार्डनिंग पद्वति का उपयोग करके यहां पौधारोपण किया जाता है.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में जल रही चिताएं (ETV Bharat)

इस संस्था ने की पहल: सामाजिक संस्था राह ग्रुप फाउंडेशन की पहल से तलवंडी राणा श्मशान को खूबसूरत बनाया गया है. तलवंडी राणा के श्मशान को भी इसी संस्था की पहल से खूबसूरत और घूमने योग्य बनाया जा सका है. राह संस्था के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने अपनी टीम के साथ साल 2019 को अपने गांव तलवंडी राणा के श्मशान घाट और दूसरे स्थानों पर फूलों की पौधे लगाकर उसकी कायाकल्प बदलने की कोशिश की. साथ ही लोगों को पौधों का वितरण भी करने लगे. उनका मकसद ग्रामीणों का रुख फूलों से लेकर पेड़-पौधों के माध्यम से प्रकृति संरक्षण एवं श्मशान या दूसरे प्रकार की विरान भूमियों का कायाकल्प कराना था.

ऐसे हुई शुरुआत: शुरुआत में राह ग्रुप फाउंडेशन ने कलरफुल इण्डिया नाम की मुहिम की शुरुआत की. जब यह काम संस्था ने शुरू किया तो लोग ताने मारते थे. इस मुहिम से जुड़े युवाओं के घरवाले भी हिदायत देते थे कि यह काम छोड़ दो. जैसे-जैसे पौधे बड़े हुए, उन पर फूल लगने लगे तो नफरत करने वालों की भाषा भी प्रेम में बदल गयी और फूलों के पौधे लगाने का अभियान दिन-ब-दिन बढ़ता चला गया. राह ग्रुप फाउंडेशन के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ की मानें तो उनकी उस कलरफुल इंडिया मुहिम में कई परेशानी आई. जिसमें पौधे लगाने के लिए बजट, पौधों में पानी देने के लिए टैंक और दूसरे साधनों की व्यवस्था करना, बेसहारा पशुओं से होने वाले नुकसान के कारण उनकी मुहिम को कई झटके लगे. हालांकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में घूमने आए महिला, पुरुष और बच्चे (ETV Bharat)

मटका थेरेपी बनी वरदान: ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा में पौधारोपण करने में मटका थेरेपी तकनीक बेहद कारगर रही. इस तकनीक से बेहद कम पानी का उपयोग करते हुए पौधों को लंबे समय तक सिंचित किया जा सकता है. इस पद्धति में पौधों रोपने के समय ही उसी गड्ढे के अंदर पुराने मटके को रख दिया जाता है. इस मटके की तली में एक छेद किया जाता है, जिसमें जूट या सूत की रस्सी पौधे की जड़ों तक पहुंचाई जाती है. इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि मटके का मुंह खुला रहे. धूप या प्रदूषण से बचाने के लिए इसे कपड़े से ढक दिया जाता है. इससे कम मात्रा में खाद एवं पानी देने के बावजूद भी पौधा दो-गुणा गति से बढ़ोतरी करता है.

तीन चरणों में लगाए गए दो हजार पेड़: प्रदेश के पहले ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा में बीते पांच वर्षों में गांव की श्मशान भूमि में तीन चरणों में दो हजार से अधिक औषधीय, छायादार, सजावटी और फलदार पौधे लगाए गए हैं. तलवंडी राणा गांव की श्मशान भूमि में बरगद, पीपल, नीम, पील/जाल, कदम, शीशम, आंवला, अमलतास, जॉटी, कनेर, चांदनी, गुगल बेल, अर्जुन, अमरूद, आम, जामुन, एलोवेरा, तुलसी, गिलोय इत्यादि जैसे अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधों के साथ-साथ सुन्दरता बढ़ाने वाले सजावटी पौधे भी लगाए गए हैं.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान का हरा भरा नजारा (ETV Bharat)

पुराने वृक्षों का भी हो रहा संरक्षण: गांव तलवंडी राणा के श्मशान घाट में पहले से लगे पौधों को भी नया आकार प्रदान कर सुन्दर बनाया गया है. जिसमें जाल, कीकर, कैर और दूसरे पौधों को विशेष आकार और प्रकार देकर संरक्षित किया गया है.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में घूमने आई महिलाएं (ETV Bharat)

श्मशान में लगाए गए हैं कई किस्म के पौधे : राह ग्रुप फाउंडेशन के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ और तलवंडी राणा रामबाग समिति के उपाध्यक्ष सारदूल वर्मा के अनुसार राह फाउंडेशन की कलरफुल इंडिया मुहिम के तहत तिकोमा, पांच प्रकार के सदाबहार, डेलिया, आइस, कराईटेना, करन डोला फूल के पौधे लगाए गए हैं. साथ ही प्लक, फ्लोक्स, स्वीट विलियम, कॉसमॉस, कैलेन्डूला, डेजी, स्टॉक, वॉल फ्लावर, पॉपी, कैलिफोर्निया पॉपी के पौधे भी लगाए गए हैं. इसके अलावा इस श्मशान में नगरेट, लीफ वॉल फ्लावर, चांदनी, चांदी टफ, डहेलिया, पंजी, वरबीना, डिपोरिया, बराइकम, गजेनिया, जेरेनियम, स्टाक, सालविया, आस्टर, डैफोडिल, फ्रेशिया जैसे पौधे लगाए गए हैं.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में योगा करते लोग (ETV Bharat)

हर ओर हो रही सराहना: इनकी इस खास पहल की प्रदेश और जिला में ही नहीं पूरे देश में लोग सराहना कर रहे हैं. साथ ही लोग इस मुहिम से जुड़कर अपने-आसपास के क्षेत्रों में भी फूलों के पौधे लगाकर उस जगह को खूबसूरत बना रहे हैं. राह ग्रुप फाउंडेशन और ग्रामीणों की टीम की मेहनत रंग लाई. अब आलम यह है कि जहां से कभी बदबू के कारण लोग उस राह से गुजरना भी नहीं चाहते थे, वहां अब फूल महक रहे हैं.

ये भी पढ़ें:अंतिम संस्कार से पहले श्मशान घाट से शव उठा ले गई पुलिस, जानिए क्या है पूरा मामला

हिसार: अक्सर लोग श्मशान घाट का नाम सुन कर ही डर जाते हैं. कई लोगों के तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि श्मशान घाट में नेगेटिव एनर्जी होती है, जिसे लोग बुरी आत्मा भी कहते हैं. इसके साथ ही कई लोग दावा करते हैं कि श्मशान घाट के आसपास रहना या आना-जाना खतरनाक हो सकता है. लोगों का मानना है कि श्मशान घाट के आस-पास जाने से बुरी आत्माएं पिछे पड़ जाती है. हालांकि हिसार के एक श्मशान घाट का नजारा कुछ और ही है. यहां लोग न सिर्फ बेखौफ होकर घूमते हैं, बल्कि वे अपने बच्चों को लेकर भी यहां पहुंचते हैं.

इस श्मशान में घूमने आते हैं लोग: दरअसल, हम बात कर रहे हैं हरियाणा के प्रथम ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा के श्मशान की. इस श्मशान की जमीन इन दिनों पर्यटन स्थल बनी हुई है. स्थानीय यहां हर रोज सुबह-शाम मॉर्निग वॉक के लिए आते है. वहीं, प्रदेश के सैकड़ों लोग यहां घूमने आते हैं. इनमें कॉलेज और स्कूल के स्टूडेंट और स्थानीय महिला पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं. साथ ही यहां बुजुर्ग महिला पुरुष सुबह-शाम योगा करने और टहलने भी पहुंचते हैं.

श्मशान में परिवार के साथ घूमने आते हैं लोग (ETV Bharat)

यहां डर नहीं बल्कि मिलता है अच्छा माहौल: खास बात तो यह है कि यहां लगाए औषधीय पौधे, फल और फूलों को यहां टहलने आने वाले लोग तोड़कर घर ले जाते हैं. यहां से तोड़े गए फूलों को लोग भगवान पर चढ़ाते हैं. साथ ही इस श्मशान में लगे फलों को तोड़कर लोग बड़े शौक से खाते हैं. इन पेड़ों की देखभाल यहां के लोग खुद करते हैं. उनको यहां अब किसी चीज का डर नहीं लगता बल्कि उन्हें यहां आकर अच्छा माहौल मिलता है. अजीब बात तो यह है कि यहां आज भी चिताएं जलती है. लेकिन लोगों को यहां की हरियाली देख डर बिल्कुल भी नहीं लगता.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान के आस-पास का दृश्य (ETV Bharat)

आधुनिक तरीके से पौधारोपण: तलवंडी राणा की श्मशान भूमि में पर्यावरण को देखते हुए अलग-अलग किस्म के फूलों और फलों के पौधे लगाए गए हैं. आलम यह है कि यहां पर न केवल प्राकृतिक फूलों की बहार आई हुई है, बल्कि यहां पर जानवरों एवं पक्षियों का सरंक्षण प्रदान करने के लिए प्राकृतिक ताने-बाने को भी नहीं छेड़ा गया है. यहां की खास बात यह है कि तलवंडी राणा की श्मशान भूमि में पौधारोपण करके एवं गंदे पानी के बेहतर उपयोग करने, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, लैड स्केपिंग, मार्डन गार्डनिंग पद्वति का उपयोग करके यहां पौधारोपण किया जाता है.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में जल रही चिताएं (ETV Bharat)

इस संस्था ने की पहल: सामाजिक संस्था राह ग्रुप फाउंडेशन की पहल से तलवंडी राणा श्मशान को खूबसूरत बनाया गया है. तलवंडी राणा के श्मशान को भी इसी संस्था की पहल से खूबसूरत और घूमने योग्य बनाया जा सका है. राह संस्था के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने अपनी टीम के साथ साल 2019 को अपने गांव तलवंडी राणा के श्मशान घाट और दूसरे स्थानों पर फूलों की पौधे लगाकर उसकी कायाकल्प बदलने की कोशिश की. साथ ही लोगों को पौधों का वितरण भी करने लगे. उनका मकसद ग्रामीणों का रुख फूलों से लेकर पेड़-पौधों के माध्यम से प्रकृति संरक्षण एवं श्मशान या दूसरे प्रकार की विरान भूमियों का कायाकल्प कराना था.

ऐसे हुई शुरुआत: शुरुआत में राह ग्रुप फाउंडेशन ने कलरफुल इण्डिया नाम की मुहिम की शुरुआत की. जब यह काम संस्था ने शुरू किया तो लोग ताने मारते थे. इस मुहिम से जुड़े युवाओं के घरवाले भी हिदायत देते थे कि यह काम छोड़ दो. जैसे-जैसे पौधे बड़े हुए, उन पर फूल लगने लगे तो नफरत करने वालों की भाषा भी प्रेम में बदल गयी और फूलों के पौधे लगाने का अभियान दिन-ब-दिन बढ़ता चला गया. राह ग्रुप फाउंडेशन के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ की मानें तो उनकी उस कलरफुल इंडिया मुहिम में कई परेशानी आई. जिसमें पौधे लगाने के लिए बजट, पौधों में पानी देने के लिए टैंक और दूसरे साधनों की व्यवस्था करना, बेसहारा पशुओं से होने वाले नुकसान के कारण उनकी मुहिम को कई झटके लगे. हालांकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में घूमने आए महिला, पुरुष और बच्चे (ETV Bharat)

मटका थेरेपी बनी वरदान: ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा में पौधारोपण करने में मटका थेरेपी तकनीक बेहद कारगर रही. इस तकनीक से बेहद कम पानी का उपयोग करते हुए पौधों को लंबे समय तक सिंचित किया जा सकता है. इस पद्धति में पौधों रोपने के समय ही उसी गड्ढे के अंदर पुराने मटके को रख दिया जाता है. इस मटके की तली में एक छेद किया जाता है, जिसमें जूट या सूत की रस्सी पौधे की जड़ों तक पहुंचाई जाती है. इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि मटके का मुंह खुला रहे. धूप या प्रदूषण से बचाने के लिए इसे कपड़े से ढक दिया जाता है. इससे कम मात्रा में खाद एवं पानी देने के बावजूद भी पौधा दो-गुणा गति से बढ़ोतरी करता है.

तीन चरणों में लगाए गए दो हजार पेड़: प्रदेश के पहले ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा में बीते पांच वर्षों में गांव की श्मशान भूमि में तीन चरणों में दो हजार से अधिक औषधीय, छायादार, सजावटी और फलदार पौधे लगाए गए हैं. तलवंडी राणा गांव की श्मशान भूमि में बरगद, पीपल, नीम, पील/जाल, कदम, शीशम, आंवला, अमलतास, जॉटी, कनेर, चांदनी, गुगल बेल, अर्जुन, अमरूद, आम, जामुन, एलोवेरा, तुलसी, गिलोय इत्यादि जैसे अधिक ऑक्सीजन देने वाले पौधों के साथ-साथ सुन्दरता बढ़ाने वाले सजावटी पौधे भी लगाए गए हैं.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान का हरा भरा नजारा (ETV Bharat)

पुराने वृक्षों का भी हो रहा संरक्षण: गांव तलवंडी राणा के श्मशान घाट में पहले से लगे पौधों को भी नया आकार प्रदान कर सुन्दर बनाया गया है. जिसमें जाल, कीकर, कैर और दूसरे पौधों को विशेष आकार और प्रकार देकर संरक्षित किया गया है.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में घूमने आई महिलाएं (ETV Bharat)

श्मशान में लगाए गए हैं कई किस्म के पौधे : राह ग्रुप फाउंडेशन के नेशनल चेयरमैन नरेश सेलपाड़ और तलवंडी राणा रामबाग समिति के उपाध्यक्ष सारदूल वर्मा के अनुसार राह फाउंडेशन की कलरफुल इंडिया मुहिम के तहत तिकोमा, पांच प्रकार के सदाबहार, डेलिया, आइस, कराईटेना, करन डोला फूल के पौधे लगाए गए हैं. साथ ही प्लक, फ्लोक्स, स्वीट विलियम, कॉसमॉस, कैलेन्डूला, डेजी, स्टॉक, वॉल फ्लावर, पॉपी, कैलिफोर्निया पॉपी के पौधे भी लगाए गए हैं. इसके अलावा इस श्मशान में नगरेट, लीफ वॉल फ्लावर, चांदनी, चांदी टफ, डहेलिया, पंजी, वरबीना, डिपोरिया, बराइकम, गजेनिया, जेरेनियम, स्टाक, सालविया, आस्टर, डैफोडिल, फ्रेशिया जैसे पौधे लगाए गए हैं.

HISAR CREMATION GROUND BECOME PARK
श्मशान में योगा करते लोग (ETV Bharat)

हर ओर हो रही सराहना: इनकी इस खास पहल की प्रदेश और जिला में ही नहीं पूरे देश में लोग सराहना कर रहे हैं. साथ ही लोग इस मुहिम से जुड़कर अपने-आसपास के क्षेत्रों में भी फूलों के पौधे लगाकर उस जगह को खूबसूरत बना रहे हैं. राह ग्रुप फाउंडेशन और ग्रामीणों की टीम की मेहनत रंग लाई. अब आलम यह है कि जहां से कभी बदबू के कारण लोग उस राह से गुजरना भी नहीं चाहते थे, वहां अब फूल महक रहे हैं.

ये भी पढ़ें:अंतिम संस्कार से पहले श्मशान घाट से शव उठा ले गई पुलिस, जानिए क्या है पूरा मामला

Last Updated : April 5, 2025 at 6:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.