जोधपुर: संस्कारों और परंपराओं की धरती जोधपुर में एक संस्था ऐसी भी है, जो उन लोगों के लिए अंतिम क्रिया पूरी करती है जिनका इस दुनिया से जाने के बाद कोई अपना नहीं होता. हिंदू सेवा मंडल नाम की यह संस्था पिछले 100 सालों से शहर में लावारिस और जरूरतमंद लोगों का धार्मिक रीति से अंतिम संस्कार करती आ रही है. इसके साथ ही संस्था हर तीन साल में ऐसे लोगों की अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा में प्रवाहित करती है. इस बार 3 साल बाद एक बार फिर से 1100 से ज्यादा लावारिस अस्थियों को हरिद्वार ले जाया जा रहा है, जहां 25 जून को पवित्र गंगा में इन्हें पूरे विधि-विधान से प्रवाहित किया जाएगा. संस्था के सचिव विष्णु प्रजापत ने बताया कि रवाना होने से पहले 22 जून सोमवार को जागरण हुआ और आज 23 जून मंगलवार को सेवा मंडल की टीम हरिद्वार के लिए रवाना हुई.
ऐसे लोगों की मदद करता है सेवा मंडल: विष्णु प्रजापत ने बताया कि शहर में ऐसे कई परिवार हैं, जो अपने किसी परिजन की अस्थियों को हरिद्वार जाकर प्रवाहित नहीं कर पाते. कभी आर्थिक कारण, तो कभी समय की कमी इसमें बाधा बनती है. ऐसे परिवार सिवांची गेट के पास सेवा मंडल के श्मशान में आकर अस्थि कलश जमा करवा देते हैं. इसके बाद मंडल की टीम उन अस्थियों को अगली हरिद्वार यात्रा में शामिल कर लेती है और वहां उन्हें पूरे वैदिक मंत्रों और परंपराओं के साथ गंगा में प्रवाहित किया जाता है. संस्कार मंत्री राकेश गौड़ बताते हैं कि यह सब कुछ बिना किसी लाभ की भावना के किया जाता है. संस्था का उद्देश्य केवल एक ही है, जिसकी अस्थियां गंगा तक नहीं पहुंच सकीं, उसे मोक्ष का मार्ग दिलाना.
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अंतिम संस्कार सामग्री भी देता है मंडल: 1 मई 1925 को बनी हिंदू सेवा मंडल संस्था को आज जोधपुर में सेवा करते हुए 100 साल हो चुके हैं. इस संस्था की पहचान सिर्फ अंतिम संस्कार तक सीमित नहीं है. यह जरूरतमंदों को निःशुल्क अंतिम संस्कार सामग्री भी उपलब्ध कराती है, ताकि किसी का संस्कार केवल पैसों के कारण अधूरा न रह जाए. इसके अलावा मंडल भोगीशैल यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों का भी संचालन करता है, जिसमें हर साल मारवाड़ के हजारों लोग भाग लेते हैं और जोधपुर व आसपास की धार्मिक परिक्रमा करते हैं. यह यात्रा लगातार 98 वर्षों से जारी है, जो मंडल की धार्मिक सक्रियता को दर्शाती है.

कोविड में निभाई बड़ी जिम्मेदारी, बढ़ाया अस्थि बैंक: विष्णु प्रजापत ने बताया कि कोरोना काल में जब लोगों को अपनों के अंतिम संस्कार तक में परेशानी हुई, तब हिंदू सेवा मंडल के कार्यकर्ता आगे आए और कोविड नियमों के तहत संस्कारों की पूरी प्रक्रिया निभाई. उन्होंने बाताया कि तब अस्थि कलशों को रखने के लिए श्मशान में बने अस्थि बैंक में जगह कम पड़ने लगी थी. पहले जहां 500 अस्थि कलश रखने की व्यवस्था थी, वहीं कोविड के दौरान 700 से ज्यादा अंतिम संस्कार हुए. इससे सबक लेते हुए मंडल ने अस्थि बैंक की क्षमता बढ़ाकर 1000 कर दी गई, ताकि कोई भी अस्थि कलश बिना जगह के न रहे. विष्णु प्रजापत बताते हैं कि कोविड के उस कठिन समय में कई परिजन अस्थियां लेकर आ नहीं पाए, लेकिन मंडल ने उन्हें सहेजकर रखा और बाद में हरिद्वार ले जाकर विधिवत विसर्जन कराया.

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विष्णु प्रजापत ने बताया कहा कि आज जब लोग अपने ही परिजनों के अंतिम संस्कार से कतराते हैं, तब हिंदू सेवा मंडल लावारिसों के लिए अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन तक की पूरी जिम्मेदारी उठा रहा है. यह केवल एक सेवा नहीं, बल्कि मानवता और धर्म का मिलाजुला रूप है, जिसमें न स्वार्थ है, न दिखावा, सिर्फ निस्वार्थ समर्पण है. हरिद्वार के लिए निकल रही 1100 अस्थियों की यह यात्रा एक उदाहरण है कि धर्म निभाने के लिए रिश्ते जरूरी नहीं, भावना और सेवा का भाव चाहिए और यही बात हिंदू सेवा मंडल पिछले 100 सालों से अपने कर्मों से साबित कर रहा है, जिसका कोई नहीं, उसके लिए हम हैं.

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