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रिहायशी इलाके से हाथियों को भगाएगी मधुमक्खियों की फौज, प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत वन विभाग का ट्रायल - HIMACHAL PROJECT ELEPHANT

सिरमौर जिले में अब हाथियों को रिहायशी इलाके से दूर रखने में मधुमक्खियां मदद करेंगी. प्रभावित इलाकों में मधुमक्खियों के बॉक्स स्थापित किए.

Himachal Project Elephant
पांवटा साहिब में हाथी प्रभावित इलाके में मधुमक्खियों के बॉक्स स्थापित (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 10, 2025 at 1:45 PM IST

4 Min Read

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर की पांवटा साहिब घाटी एकमात्र ऐसी जगह है, जहां पिछले करीब दो दशकों से हाथियों का आवागमन हो रहा है. ये हाथी पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से वाया बहराल होते हुए वन मंडल पांवटा साहिब में दाखिल होते हैं. पिछले एक डेढ़ साल में करीब 14 से 15 हाथी तो घाटी के जंगलों में अपना स्थाई ठिकाना भी बना चुके हैं. कुछ समय से ये जंगली हाथी रिहायशी इलाकों में भी घुसकर फसलों आदि को तबाह कर रहे हैं.

अब मधुमक्खियां भगाएंगी हाथी

लिहाजा अब वन मंडल पांवटा साहिब में हाथियों को मधुमक्खियों की फौज दूर जंगलों में भगाएगी. सतीवाला बीट में वन विभाग ने इसके पुख्ता इंतजाम किए हैं. ये कारगर कदम रिहायशी बस्तियों में जंगली हाथियों की रोकथाम के मकसद से उठाया गया है. वन विभाग ने प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत सतीवाला बीट में ट्रायल के तौर पर मधुमक्खियों के 30 बॉक्स स्थापित किए हैं. इसके कारगर परिणाम सामने आने के बाद हाथी प्रभावित अन्य इलाकों में भी ऐसे ही बॉक्स स्थापित किए जाएंगे.

"रिहायशी इलाकों में हाथियों के आवागमन को रोकने के इरादे से संबंधित एरिया में मधुमक्खियों से भरे ये बॉक्स स्थापित किए गए हैं. वन विभाग हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दे रहा है. प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत विभाग हर वह आवश्यक कदम उठा रहा है, जिससे रिहायशी इलाकों में हाथियों की मूवमेंट और हाथी-मानव संघर्ष को रोका जा सके." - ऐश्वर्य राज, डीएफओ, वन मंडल पांवटा साहिब

मधुमक्खियों से डरते हैं हाथी

वन मंडल पांवटा साहिब के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने बताया कि अनुशंसित संचालन प्रक्रिया में कहा गया है कि हाथी मधुमक्खियों से डरते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां उनकी आंख और सूंड में डंक मारती हैं. इसके अलावा मधुमक्खियों की आवाज भी हाथियों को परेशान करती है. मधुमक्खियों से भरे डिब्बे हाथियों के रास्ते में रखने से हाथियों को मानव बस्तियों में आने से रोका जा सकता है. लिहाजा हाथी प्रभावित बहराल ब्लॉक की सतीवाला बीट के तहत रिजर्व फॉरेस्ट मस्तली सी-1 के नजदीक लालूवाली एरिया में वन विभाग ने मधुमक्खियों से भरे यह 30 बॉक्स स्थापित किए हैं. इस कार्य को मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ डॉ. अशोक, बहादुर सिंह, वन कर्मी दीपक शर्मा, गज मित्र गुरजीत सिंह की मदद से अंजाम दिया गया.

मधुमक्खी पालन को भी दिया जा रहा बढ़ावा

बता दें कि प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत वन विभाग पांवटा साहिब में मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके लिए हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसके तहत लोगों को मधुमक्खी के छत्ते की बाड़ लगाने की तकनीक के अलावा यह भी दिखाया जा रहा है कि कैसे डमी मधुमक्खी के बॉक्स और स्पीकर के जरिए मधुमक्खियों की गुंजन की आवाज भी हाथियों को उनकी फसलों से दूर रखने में मदद कर सकती है.

दो लोगों को उतार चुके मौत के घाट

अक्सर ये हाथी पांवटा साहिब में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वर्ष 2024 में दो अलग-अलग हमलों में ये जंगली हाथी एक महिला समेत 2 लोगों को मौत के घाट भी उतार चुके हैं. लिहाजा लोगों की जान-माल की सुरक्षा के मद्देनजर ही प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों को रिहायशी बस्तियों से दूर रखने के लिए कई कारगर कदम उठाए जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में एक ऐसी जगह, जो हाथियों की बनी पसंद, कई एलिफेंट ने बनाया इसे स्थाई घर

ये भी पढ़ें: अब 'चिली स्मोक' से भागेंगे हाथी, कर्नाटक के एक्सपर्ट ने बताया खास फार्मूला

ये भी पढ़ें: अब एनाइडर सिस्टम करेगा हाथियों के हमले से लोगों की सुरक्षा, जानें इससे कैसे दूर भागेंगे जंगली जानवर

ये भी पढ़ें: हिमाचल में हाथियों का आतंक जारी, प्रभावित इलाकों में लगाए जा रहे एनाइडर सिस्टम, जानें कैसे करता है ये काम?

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश में जिला सिरमौर की पांवटा साहिब घाटी एकमात्र ऐसी जगह है, जहां पिछले करीब दो दशकों से हाथियों का आवागमन हो रहा है. ये हाथी पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क से वाया बहराल होते हुए वन मंडल पांवटा साहिब में दाखिल होते हैं. पिछले एक डेढ़ साल में करीब 14 से 15 हाथी तो घाटी के जंगलों में अपना स्थाई ठिकाना भी बना चुके हैं. कुछ समय से ये जंगली हाथी रिहायशी इलाकों में भी घुसकर फसलों आदि को तबाह कर रहे हैं.

अब मधुमक्खियां भगाएंगी हाथी

लिहाजा अब वन मंडल पांवटा साहिब में हाथियों को मधुमक्खियों की फौज दूर जंगलों में भगाएगी. सतीवाला बीट में वन विभाग ने इसके पुख्ता इंतजाम किए हैं. ये कारगर कदम रिहायशी बस्तियों में जंगली हाथियों की रोकथाम के मकसद से उठाया गया है. वन विभाग ने प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत सतीवाला बीट में ट्रायल के तौर पर मधुमक्खियों के 30 बॉक्स स्थापित किए हैं. इसके कारगर परिणाम सामने आने के बाद हाथी प्रभावित अन्य इलाकों में भी ऐसे ही बॉक्स स्थापित किए जाएंगे.

"रिहायशी इलाकों में हाथियों के आवागमन को रोकने के इरादे से संबंधित एरिया में मधुमक्खियों से भरे ये बॉक्स स्थापित किए गए हैं. वन विभाग हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दे रहा है. प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत विभाग हर वह आवश्यक कदम उठा रहा है, जिससे रिहायशी इलाकों में हाथियों की मूवमेंट और हाथी-मानव संघर्ष को रोका जा सके." - ऐश्वर्य राज, डीएफओ, वन मंडल पांवटा साहिब

मधुमक्खियों से डरते हैं हाथी

वन मंडल पांवटा साहिब के डीएफओ ऐश्वर्य राज ने बताया कि अनुशंसित संचालन प्रक्रिया में कहा गया है कि हाथी मधुमक्खियों से डरते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां उनकी आंख और सूंड में डंक मारती हैं. इसके अलावा मधुमक्खियों की आवाज भी हाथियों को परेशान करती है. मधुमक्खियों से भरे डिब्बे हाथियों के रास्ते में रखने से हाथियों को मानव बस्तियों में आने से रोका जा सकता है. लिहाजा हाथी प्रभावित बहराल ब्लॉक की सतीवाला बीट के तहत रिजर्व फॉरेस्ट मस्तली सी-1 के नजदीक लालूवाली एरिया में वन विभाग ने मधुमक्खियों से भरे यह 30 बॉक्स स्थापित किए हैं. इस कार्य को मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ डॉ. अशोक, बहादुर सिंह, वन कर्मी दीपक शर्मा, गज मित्र गुरजीत सिंह की मदद से अंजाम दिया गया.

मधुमक्खी पालन को भी दिया जा रहा बढ़ावा

बता दें कि प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत वन विभाग पांवटा साहिब में मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके लिए हाथी प्रभावित इलाकों के लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसके तहत लोगों को मधुमक्खी के छत्ते की बाड़ लगाने की तकनीक के अलावा यह भी दिखाया जा रहा है कि कैसे डमी मधुमक्खी के बॉक्स और स्पीकर के जरिए मधुमक्खियों की गुंजन की आवाज भी हाथियों को उनकी फसलों से दूर रखने में मदद कर सकती है.

दो लोगों को उतार चुके मौत के घाट

अक्सर ये हाथी पांवटा साहिब में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. वर्ष 2024 में दो अलग-अलग हमलों में ये जंगली हाथी एक महिला समेत 2 लोगों को मौत के घाट भी उतार चुके हैं. लिहाजा लोगों की जान-माल की सुरक्षा के मद्देनजर ही प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत हाथियों को रिहायशी बस्तियों से दूर रखने के लिए कई कारगर कदम उठाए जा रहे हैं.

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