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सूरजमणि के जाने से उदास हुआ हिमाचल का संगीत संसार, सोशल मीडिया पर लोगों ने सांझा की स्मृतियां - SURAJMANI PASSES AWAY

हिमाचल के मशहूर शहानाई वादक सूरजमणि का निधन हो गया. उनके निधन के बाद कला जगत समेत अन्य क्षेत्रों की हस्तियों ने शोक प्रकट किया.

शहनाई वादक सूरजमणि
शहनाई वादक सूरजमणि (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 2:35 PM IST

Updated : Oct 11, 2024, 3:58 PM IST

शिमला: हिमाचल के मशहूर शहनाई वादक सूरजमणि के निधन के बाद कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई. बीमारी के कारण एम्स बिलासपुर में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया था, लेकिन उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. तीसरी जमात तक पढ़े सूरजमणि हिमाचल में अकेले ऐसे शहनाई वादक थे, जो इस साज को हर स्केल पर साध चुके थे. यानी वे हर स्केल पर समान गहराई से शहनाई बजा लेते थे. सूरजमणि आकाशवाणी में शहनाई वादन के A ग्रेड कलाकार थे, ये सम्मान पाने वाले वे हिमाचल के इकलौते शहनाई वादक थे.

सूरजमणि मंडी के चच्योट इलाके के रहने वाले थे. उन्हें हिमाचल का बिस्मिल्लाह खां कहा जाता था. 1990 में पहली बार उन्होंने दूरदर्शन के ऑडिशन दिया और वो सिलेक्ट हो गए. देश में चेन्नई, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा सहित विदेश में भी शहनाई बजाई है. हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में भी उन्होंने कई बार शिरकत की है. हिमाचल के संगीत सितारे मोहित चौहान उनसे बहुत प्रभावित थे. मोहित चौहान अपने एक जन्मदिन पर सूरज को मुंबई ले गए थे और वहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया था. सूरजमणि के बेटे ने वोकल म्यूजिक में एमफिल की है, लेकिन अचानक हृदयाघात के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

उनके निधन के बाद हिमाचल में शोक की लहर है. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. 'सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणि जी के निधन की खबर से मन अत्यंत व्यथित ह. नाचन क्षेत्र के चच्योट से जुड़े सूरजमणी जी की शहनाई पहाड़ों की धुनों की तरह मन को छू जाती थी.उनके निधन से हिमाचल के कला-संस्कृति जगत को एक अपूर्णीय क्षति हुई है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिवार को संबल प्रदान करें.'

पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने दी श्रद्धांजलि

पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें फेसबुक पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणी जी के निधन की खबर सुनकर मन दुःखी है. नाचन क्षेत्र के चच्योट से संबंध रखने वाले सूरजमणी जी को हिमाचल का 'बिस्मिल्लाह खां' कहा जाता था और प्रदेश में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय मेलों की सांस्कृतिक संध्या का आगाज उनकी शहनाई से ही होता था. प्रदेश ने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है, जिनकी भरपाई असंभव है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व शोकग्रस्त परिवारजनों को संबल प्रदान करें.'

गायक और पूर्व प्रोफेसर कृष्ण लाल सहगल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'संगीत का सितारा अस्त हो गया, सूरजमणि जी के निधन का समाचार सुनकर दुख हुआ. शहनाई वादन में उन जैसे कलाकार कई सदियों बाद ही पैदा होते हैं.'

नाटी किंग के नाम से मशहूर गायक कुलदीप शर्मा, गायक किशन वर्मा ने भी सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

9 साल की उम्र में सीखा हुनर

दिवंगत सूरजमणि को हिमाचल बिस्मिल्लाह खां समेत कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है. प्रदेश में मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव मंडी की शिवरात्रि, कुल्लू दशहरा, चंबा मिंजर, रामपुर लवी मेले के मंचों ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. 9 साल की आयु में अपने पूर्वजों से शहनाई वादन के गुर सीखने वाले इस कलाकार ने शहनाई वादन का काम मंडी के देवी-देवताओं के साथ शुरू किया था. पंद्रह साल की आयु में आते आते सूरजमणि को चाचा कुंदन लाल ने रागों से परिचय करवाना शुरू कर दिया. बड़े होने पर बिस्मिल्लाह खान की कैसेट्स से सीखा और हिमाचल के संगीत जगत के प्रतिष्ठित नाम डॉ. कृष्ण लाल सहगल ने भी सूरजमणि को रागों की पहचान सिखाई. स्कूल से मात्र 3 कक्षा तक पढ़े सूरजमणि की कला का जादू इस कदर बोला कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला.

गायक विक्की राजटा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'हिमाचल के प्रसिद्ध शहनाई वादक श्री सूरजमणि जी हमारे बीच नहीं रहे. देर रात एम्स बिलासपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली. आपकी शहनाई की मनमोहक धुन सदैव हमारे बीच रहेगी, आपको हिमाचली संगीत की दुनिया में सदैव प्रेरणा के रूप में याद रखा जाएगा.भगवान दिवंगत आत्मा को शांति दे, और समस्त परिवार को दुख सहने की शक्ति दे.'

नाचन कांग्रेस नाम के फेसबुक अकाउंट से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, ' हिमाचल के प्रसिद्ध शहनाई वादक और हमारे चच्योट जिला मंडी से संबंध रखने वाले सूरजमणि नहीं रहे. देर रात एम्स बिलासपुर में ली अंतिम सांस. देवभूमि के लोक कला संगीत जगत व जिला मंडी में शोक की लहर. सूरजमणि जी आपकी कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता. प्रभु जी आपको अपने चरणों में स्थान दें.'

अधूरा रह गया अकादमी
विख्यात शहनाई वादक सूरजमणी का सपना था कि यदि सरकार कोई संगीत अकादमी खोले तो वह सभी को शहनाई वादन की कला सिखाने के लिए तैयार रहेंगे, लेकिन अब उनका यह सपना सिर्फ सपना बन कर रह गया. हालांकि, जिला में और भी कई लोग हैं जो शहनाई बजाते हैं, लेकिन छोटे से प्रदेश में शहनाई वादन में सूरजमणि ने जो मुकाम हासिल किया था, वह काबिल-ए-तारीफ रहा है. शहनाई वादक स्वर्गीय सूरजमणि ने अपने देश में तो कई सैकड़ों कार्यक्रम पेश किए हैं, बल्कि वह अमेरिका, दुबई, जर्मनी, कुवैत जैसे देशों में भी अपनी कला का जादू बिखेर चुके हैं. लोक संपर्क विभाग ने उन्हें प्रथम श्रेणी कलाकार का दर्जा दिया था.

ये भी पढ़ें: खामोश हो गई शहनाई के आकाश की वो सूरज सी मणि, हिमाचल के बिस्मिल्लाह खान के निधन से संगीत संसार में शोक की धुन

शिमला: हिमाचल के मशहूर शहनाई वादक सूरजमणि के निधन के बाद कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई. बीमारी के कारण एम्स बिलासपुर में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया था, लेकिन उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. तीसरी जमात तक पढ़े सूरजमणि हिमाचल में अकेले ऐसे शहनाई वादक थे, जो इस साज को हर स्केल पर साध चुके थे. यानी वे हर स्केल पर समान गहराई से शहनाई बजा लेते थे. सूरजमणि आकाशवाणी में शहनाई वादन के A ग्रेड कलाकार थे, ये सम्मान पाने वाले वे हिमाचल के इकलौते शहनाई वादक थे.

सूरजमणि मंडी के चच्योट इलाके के रहने वाले थे. उन्हें हिमाचल का बिस्मिल्लाह खां कहा जाता था. 1990 में पहली बार उन्होंने दूरदर्शन के ऑडिशन दिया और वो सिलेक्ट हो गए. देश में चेन्नई, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा सहित विदेश में भी शहनाई बजाई है. हरिवल्लभ संगीत सम्मेलन में भी उन्होंने कई बार शिरकत की है. हिमाचल के संगीत सितारे मोहित चौहान उनसे बहुत प्रभावित थे. मोहित चौहान अपने एक जन्मदिन पर सूरज को मुंबई ले गए थे और वहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया था. सूरजमणि के बेटे ने वोकल म्यूजिक में एमफिल की है, लेकिन अचानक हृदयाघात के बाद उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

उनके निधन के बाद हिमाचल में शोक की लहर है. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. 'सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणि जी के निधन की खबर से मन अत्यंत व्यथित ह. नाचन क्षेत्र के चच्योट से जुड़े सूरजमणी जी की शहनाई पहाड़ों की धुनों की तरह मन को छू जाती थी.उनके निधन से हिमाचल के कला-संस्कृति जगत को एक अपूर्णीय क्षति हुई है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिवार को संबल प्रदान करें.'

पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने दी श्रद्धांजलि

पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें फेसबुक पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणी जी के निधन की खबर सुनकर मन दुःखी है. नाचन क्षेत्र के चच्योट से संबंध रखने वाले सूरजमणी जी को हिमाचल का 'बिस्मिल्लाह खां' कहा जाता था और प्रदेश में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय मेलों की सांस्कृतिक संध्या का आगाज उनकी शहनाई से ही होता था. प्रदेश ने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है, जिनकी भरपाई असंभव है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व शोकग्रस्त परिवारजनों को संबल प्रदान करें.'

गायक और पूर्व प्रोफेसर कृष्ण लाल सहगल ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'संगीत का सितारा अस्त हो गया, सूरजमणि जी के निधन का समाचार सुनकर दुख हुआ. शहनाई वादन में उन जैसे कलाकार कई सदियों बाद ही पैदा होते हैं.'

नाटी किंग के नाम से मशहूर गायक कुलदीप शर्मा, गायक किशन वर्मा ने भी सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

9 साल की उम्र में सीखा हुनर

दिवंगत सूरजमणि को हिमाचल बिस्मिल्लाह खां समेत कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है. प्रदेश में मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव मंडी की शिवरात्रि, कुल्लू दशहरा, चंबा मिंजर, रामपुर लवी मेले के मंचों ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. 9 साल की आयु में अपने पूर्वजों से शहनाई वादन के गुर सीखने वाले इस कलाकार ने शहनाई वादन का काम मंडी के देवी-देवताओं के साथ शुरू किया था. पंद्रह साल की आयु में आते आते सूरजमणि को चाचा कुंदन लाल ने रागों से परिचय करवाना शुरू कर दिया. बड़े होने पर बिस्मिल्लाह खान की कैसेट्स से सीखा और हिमाचल के संगीत जगत के प्रतिष्ठित नाम डॉ. कृष्ण लाल सहगल ने भी सूरजमणि को रागों की पहचान सिखाई. स्कूल से मात्र 3 कक्षा तक पढ़े सूरजमणि की कला का जादू इस कदर बोला कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला.

गायक विक्की राजटा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'हिमाचल के प्रसिद्ध शहनाई वादक श्री सूरजमणि जी हमारे बीच नहीं रहे. देर रात एम्स बिलासपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली. आपकी शहनाई की मनमोहक धुन सदैव हमारे बीच रहेगी, आपको हिमाचली संगीत की दुनिया में सदैव प्रेरणा के रूप में याद रखा जाएगा.भगवान दिवंगत आत्मा को शांति दे, और समस्त परिवार को दुख सहने की शक्ति दे.'

नाचन कांग्रेस नाम के फेसबुक अकाउंट से उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, ' हिमाचल के प्रसिद्ध शहनाई वादक और हमारे चच्योट जिला मंडी से संबंध रखने वाले सूरजमणि नहीं रहे. देर रात एम्स बिलासपुर में ली अंतिम सांस. देवभूमि के लोक कला संगीत जगत व जिला मंडी में शोक की लहर. सूरजमणि जी आपकी कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता. प्रभु जी आपको अपने चरणों में स्थान दें.'

अधूरा रह गया अकादमी
विख्यात शहनाई वादक सूरजमणी का सपना था कि यदि सरकार कोई संगीत अकादमी खोले तो वह सभी को शहनाई वादन की कला सिखाने के लिए तैयार रहेंगे, लेकिन अब उनका यह सपना सिर्फ सपना बन कर रह गया. हालांकि, जिला में और भी कई लोग हैं जो शहनाई बजाते हैं, लेकिन छोटे से प्रदेश में शहनाई वादन में सूरजमणि ने जो मुकाम हासिल किया था, वह काबिल-ए-तारीफ रहा है. शहनाई वादक स्वर्गीय सूरजमणि ने अपने देश में तो कई सैकड़ों कार्यक्रम पेश किए हैं, बल्कि वह अमेरिका, दुबई, जर्मनी, कुवैत जैसे देशों में भी अपनी कला का जादू बिखेर चुके हैं. लोक संपर्क विभाग ने उन्हें प्रथम श्रेणी कलाकार का दर्जा दिया था.

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Last Updated : Oct 11, 2024, 3:58 PM IST
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