शिमला: हिमाचल प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आय से अधिक व्यय की वजह से सरकार के खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ता ही जा रहा है. जिसकी वजह से साल दर साल हिमाचल कर्ज की बोझ तले दबता जा रहा है. ऐसे में आर्थिक स्थिति के मोर्चे पर सरकार और विपक्ष में आये दिन सियासी जंग होती रहती है, लेकिन बात जब मंत्री और विधायकों के भत्ते और वेतन बढ़ाने की आई तो सरकार और विपक्ष दोनों एक साथ नजर आए.
दरअसल, आज हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के आखिरी दिन सुक्खू सरकार की ओर से सदन में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्तों में वृद्धि का बिल लाया गया, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया. मंत्री और विधायकों के भत्ते और वेतन में 30 फीसदी की वृद्धि की गई है. वहीं, वेतन और भत्तों में हुई वृद्धि को लेकर मंत्री और विधायक अपना-अपना तर्क दे रहे हैं. मंत्री-विधायकों का कहना है कि महंगाई काफी ज्यादा हो गई है, ऐसे में इतने से वेतन में गुजारा करना मुश्किल हो रहा है.
विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार ने कहा, "पिछले 9 सालों से विधायकों के भत्तों और वेतन में कोई भी वृद्धि नहीं की गई थी. 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ही विधायकों के वेतन और बातें में वृद्धि हुई थी. आज सदन में इसको लेकर बिल लाया गया, जिसमें विधायकों ने अपनी व्यथा बयान की. 95 फीसदी विधायक ऐसे हैं, जिनका कोई कारोबार नहीं है. केवल वेतन पर ही निर्भर रहते हैं और अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने के साथ लोगों के चाय पानी पर भी वेतन से ही खर्च करते है. ऐसे में विधायकों का वेतन बढ़ाना जरूरी था".
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा, "पिछले काफी समय से विधायकों के वेतन में वृद्धि नहीं हुई थी. जबकि कर्मचारियों को 6 पे कमिशन मिल रहा था और समय-समय पर डीए मिलता है. वहीं कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने मुख्यमंत्री से वेतन और भत्ते बढ़ाने का आग्रह किया था. इसके बाद आज बिल सदन में पेश किया गया और सभी विधायकों के सहमति से वेतन भत्तों में वृद्धि की गई है".
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि विधायकों की अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के प्रति जिम्मेवारी होती है और यदि विधायक संपन्न होंगे तो लोगों के लिए कार्य कर सकते है. हिमाचल प्रदेश में विधायक कोई कारोबारी नहीं है. ऐसे में यदि विधायकों के वेतन में वृद्धि की गई तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है.
भाजपा विधायक हंसराज ने कहा, "विधायक 24 घंटे काम करते हैं और लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं. वे खुद 600 किलोमीटर दूर से आते हैं. महीने में तीन-चार बार शिमला उन्हें आना पड़ता है. महंगाई भी बढ़ गई है और आर्थिक संकट विधायकों के लिए भी है. विधायकों को किसी के आगे गिड़गिड़ाना ना पड़े और किसी और के द्वारा हमारे घरों में चाय पत्ती न आए. विधायक पूरी तरह से वेतन भत्तों पर ही निर्भर रहते हैं. ऐसे में उन्हें भी सम्मानजनक वेतन मिले, इसको देखते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया, जिसके बाद वेतन और भत्तों में वृद्धि की गई है".
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