शिमला: पहले से ही विवादों में चल रहे आईपीएस संजीव गांधी पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट ने अदालत को गुमराह करने पर आईपीएस संजीव गांधी से जवाब तलब किया है. ये कार्रवाई संजीव गांधी की तरफ से झूठा शपथ पत्र दाखिल कर अदालत को गुमराह करने पर की गई है. हाईकोर्ट ने संजीव गांधी को आदेश जारी किए हैं कि वे तीन सप्ताह में जवाब दाखिल कर ये बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाए? ये आदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने जारी किए हैं. मामला एक आपराधिक अपील से जुड़ा है.
न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, (एनडीपीएस एक्ट) की धारा 32(ए) के प्रावधान को इस हद तक असंवैधानिक घोषित किया है कि यह प्रावधान दोषी की सजा को निलंबित करने के न्यायालय के अधिकार को छीन लेता है. इसके बावजूद, राज्य सरकार ने अपने जवाब में दावा किया कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 32(ए) के तहत दिए गए प्रावधान के अनुसार, सजा के निलंबन पर एक विशिष्ट प्रतिबंध है.
मामले के अनुसार अपीलकर्ता गुड्डू राम की तरफ से सजा के निलंबन को लेकर दायर आवेदन के जवाब में पेश की गई रिपोर्ट में हलफनामा संजीव कुमार गांधी, तत्कालीन एसपी, शिमला ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया था. हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया इस शपथपत्र को झूठा पाया और कहा कि यहां इस प्रकरण में हलफनामा दायर करके अदालत को गुमराह करने का प्रयास प्रतीत होता है.
अदालत ने कहा कि इसलिए, इन परिस्थितियों में आईपीएस संजीव कुमार गांधी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है. हाईकोर्ट ने कहा कि जवाब में आईपीएस को ये बताना होगा कि झूठा हलफनामा दायर करके अदालत को गुमराह करने के लिए क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए?
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