शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बहुचर्चित युग हत्याकांड में दोषियों को सुनाई सजा-ए-मौत की पुष्टिकरण और दोषियों द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. यह मामला सत्र न्यायाधीश की ओर से रेफरेंस के तौर पर हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है और दोषियों की ओर से भी सत्र न्यायाधीश के फैसले को अपील करते हुए चुनौती दी गई है.
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश राकेश कैंथला की खंडपीठ ने लगातार दो सप्ताह तक चली लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इस मामले में तीन दोषियों को फिरौती के लिए चार साल के मासूम युग की अपहरण के बाद निर्मम हत्या करने पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है.
क्या है पूरा मामला?
तीनों अपराधियों ने 14 जून 2014 को शिमला के रामबाजार से फिरौती के लिए युग का अपहरण किया था. अपहरण के दो साल बाद अगस्त 2016 में भराड़ी पेयजल टैंक से युग का कंकाल बरामद किया गया था. तीनों ने मासूम के शरीर में पत्थर बांध कर उसे जिंदा पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था. मामले में 6 सितंबर को दोषी चंद्र शर्मा, तेजिंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को सजा सुनाते हुए न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी के दायरे में पाया था.
CID को दिया गया युग मर्डर केस सुलझाने का जिम्मा
इस केस को सुलझाने के जिम्मा सीआईडी को दिया गया था. जांच एजेंसी ने डिजिटल एविडेंस जुटाए थे. बाद में शिमला की स्थानीय अदालत में इन्हीं मजबूत और वैज्ञानिक साक्ष्यों के कारण दोषियों को सजा मिली. शिमला की स्थानीय अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने तीनों दोषियों तेजेंद्र पाल, विक्रांत बख्शी व चंद्र शर्मा को मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर अपराध बताया था.
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