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PWD अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू, हिमाचल हाईकोर्ट ने दिए आदेश - HIMACHAL HIGH COURT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू के आदेश दिए हैं.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 3, 2025 at 9:21 PM IST

4 Min Read

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सड़क को पक्का करने की वचनबद्धता को पूरा न करने पर सख्ती दिखाई है. इसके लिए हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के सचिव सहित अधीक्षण अभियंता मंडी व कार्यकारी अभियंता करसोग मंडल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने प्रार्थी हेम सिंह की ओर से दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई पर यह आदेश जारी किए हैं. प्रार्थी ने केलोधार से सियांज बगड़ा सड़क को पक्का व चौड़ा करने की मांग की थी. कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि प्रतिवादियों द्वारा स्वयं दायर की गई स्थिति रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने 6 अगस्त 2019 के अपने आदेश के तहत याचिकाकर्ता की रिट याचिका का निपटारा किया था.

प्रार्थी की रिट याचिका में प्रतिवादियों ने रिपोर्ट में नागलोग से बालीधार तक 11 से 19 किलोमीटर सड़क का मेटलिंग का कार्य 31 मार्च तक पूरा करने का भरोसा दिया था. जिसके बाद कोर्ट ने रिट याचिका बंद कर दी, लेकिन सड़क के कार्य को पूरा करने का वचन नहीं निभाया गया. जिस पर प्रार्थी ने अनुपालना याचिका दायर की. ऐसे में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह अत्यंत चौंकाने वाली बात है कि न्यायालय के समक्ष वचन देने के बाद प्रतिवादियों ने आज तक कार्य पूरा नहीं किया है.

'जानबूझकर नहीं की आदेशों की अनुपालना'

हाईकोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने हालांकि, प्रारंभिक आपत्तियों में कार्य पूरा न करने के लिए किसी प्रकार का स्पष्टीकरण दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर समयबद्ध निर्देश पारित किए गए थे और प्रतिवादियों को किसी कारणवश वचनबद्धता का पालन करने में कोई कठिनाई थी तो, उन्हें कोर्ट की ओर से पारित निर्णय को लेकर विस्तार की मांग करनी चाहिए थी.

हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों ने कोर्ट को दी गई वचनबद्धता का जानबूझकर पालन नहीं किया है और स्वेच्छा से इस न्यायालय की अवमानना की है. इसलिए कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को प्रतिवादियों के खिलाफ अलग से अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए हैं.

अनुपालना याचिका में कोर्ट ने कहा कि अब प्रतिवादियों द्वारा दायर उत्तर में ध्यान देने की आवश्यकता है. यदि कार्य के न किए जाने के कारण, ठेकेदार अर्थात मेसर्स कृष्णा हाई बेस प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड पर अनुबंध का उल्लंघन करने के लिए करीब 20 लाख का जुर्माना लगाया गया था. हालांकि, इसके बावजूद, ठेकेदार ने इस तरह से दिए गए काम को शुरू नहीं किया. इसलिए, अनुबंध को 18 मार्च 2020 के पत्र के माध्यम से रद्द कर दिया गया.

कोर्ट ने रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं पाया जिससे यह पता चल सके कि उक्त विभाग द्वारा जुर्माना वसूल किया गया है या इस संबंध में कदम उठाए गए हैं. विभाग ने नागलोग से बालीधार सड़क के आर.डी. 11/0 से 19/0 के बीच पासिंग प्लेस, बी/वॉल, एम/टी कार्य, सीडी कार्य और वी-आकार की नाली का निर्माण कार्य भी 27 मई 2021 के पत्र द्वारा निरस्त कर दिया गया था, क्योंकि ठेकेदार कार्य पूरा करने में विफल रहा.

PWD को हलफनामा दाखिल करने के आदेश

कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि प्रतिवादियों ने अदालत के समक्ष सड़क को पक्का करने के कार्य को 31 मार्च 2020 तक पूरा करने का वचन देने के बावजूद 2024 तक कार्य देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. अब यह कार्य मेसर्स एआर थर्मोसेट्स प्राइवेट लिमिटेड को 19 किलोमीटर की बजाए 15 किलोमीटर तक ही आवंटित कर दिया गया है. कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को अगली सुनवाई तक या उससे पहले हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं, जिसमें इन सभी परिस्थितियों और ऐसे ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने को लेकर उठाए गए कदम पर स्पष्टीकरण मांगा है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल हाईकोर्ट में राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर हुई सुनवाई, दिए ये आदेश

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सड़क को पक्का करने की वचनबद्धता को पूरा न करने पर सख्ती दिखाई है. इसके लिए हाईकोर्ट ने लोक निर्माण विभाग के सचिव सहित अधीक्षण अभियंता मंडी व कार्यकारी अभियंता करसोग मंडल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने प्रार्थी हेम सिंह की ओर से दायर अनुपालना याचिका की सुनवाई पर यह आदेश जारी किए हैं. प्रार्थी ने केलोधार से सियांज बगड़ा सड़क को पक्का व चौड़ा करने की मांग की थी. कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि प्रतिवादियों द्वारा स्वयं दायर की गई स्थिति रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने 6 अगस्त 2019 के अपने आदेश के तहत याचिकाकर्ता की रिट याचिका का निपटारा किया था.

प्रार्थी की रिट याचिका में प्रतिवादियों ने रिपोर्ट में नागलोग से बालीधार तक 11 से 19 किलोमीटर सड़क का मेटलिंग का कार्य 31 मार्च तक पूरा करने का भरोसा दिया था. जिसके बाद कोर्ट ने रिट याचिका बंद कर दी, लेकिन सड़क के कार्य को पूरा करने का वचन नहीं निभाया गया. जिस पर प्रार्थी ने अनुपालना याचिका दायर की. ऐसे में मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह अत्यंत चौंकाने वाली बात है कि न्यायालय के समक्ष वचन देने के बाद प्रतिवादियों ने आज तक कार्य पूरा नहीं किया है.

'जानबूझकर नहीं की आदेशों की अनुपालना'

हाईकोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने हालांकि, प्रारंभिक आपत्तियों में कार्य पूरा न करने के लिए किसी प्रकार का स्पष्टीकरण दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले को लेकर समयबद्ध निर्देश पारित किए गए थे और प्रतिवादियों को किसी कारणवश वचनबद्धता का पालन करने में कोई कठिनाई थी तो, उन्हें कोर्ट की ओर से पारित निर्णय को लेकर विस्तार की मांग करनी चाहिए थी.

हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों ने कोर्ट को दी गई वचनबद्धता का जानबूझकर पालन नहीं किया है और स्वेच्छा से इस न्यायालय की अवमानना की है. इसलिए कोर्ट ने हाईकोर्ट रजिस्ट्री को प्रतिवादियों के खिलाफ अलग से अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए हैं.

अनुपालना याचिका में कोर्ट ने कहा कि अब प्रतिवादियों द्वारा दायर उत्तर में ध्यान देने की आवश्यकता है. यदि कार्य के न किए जाने के कारण, ठेकेदार अर्थात मेसर्स कृष्णा हाई बेस प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड पर अनुबंध का उल्लंघन करने के लिए करीब 20 लाख का जुर्माना लगाया गया था. हालांकि, इसके बावजूद, ठेकेदार ने इस तरह से दिए गए काम को शुरू नहीं किया. इसलिए, अनुबंध को 18 मार्च 2020 के पत्र के माध्यम से रद्द कर दिया गया.

कोर्ट ने रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं पाया जिससे यह पता चल सके कि उक्त विभाग द्वारा जुर्माना वसूल किया गया है या इस संबंध में कदम उठाए गए हैं. विभाग ने नागलोग से बालीधार सड़क के आर.डी. 11/0 से 19/0 के बीच पासिंग प्लेस, बी/वॉल, एम/टी कार्य, सीडी कार्य और वी-आकार की नाली का निर्माण कार्य भी 27 मई 2021 के पत्र द्वारा निरस्त कर दिया गया था, क्योंकि ठेकेदार कार्य पूरा करने में विफल रहा.

PWD को हलफनामा दाखिल करने के आदेश

कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि प्रतिवादियों ने अदालत के समक्ष सड़क को पक्का करने के कार्य को 31 मार्च 2020 तक पूरा करने का वचन देने के बावजूद 2024 तक कार्य देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. अब यह कार्य मेसर्स एआर थर्मोसेट्स प्राइवेट लिमिटेड को 19 किलोमीटर की बजाए 15 किलोमीटर तक ही आवंटित कर दिया गया है. कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को अगली सुनवाई तक या उससे पहले हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं, जिसमें इन सभी परिस्थितियों और ऐसे ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने को लेकर उठाए गए कदम पर स्पष्टीकरण मांगा है.

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