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गुड़िया रेप व हत्या मामले के दोषी की अपील पर सुनवाई से न्यायाधीश ने खुद को किया अलग, जानें क्या है पूरा मामला? - HIMACHAL PRADESH HIGH COURT

गुड़िया रेप और हत्या मामले में दोषी की अपील पर सुनवाई से हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने खुद को अलग कर लिया है.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 20, 2025 at 9:04 PM IST

3 Min Read

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने गुड़िया रेप व हत्या के दोषी नीलू चरानी की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ के समक्ष यह अपील सुनवाई के लिए रखी गई थी. अपील पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश गोयल ने खुद को इस अपील पर सुनवाई से अलग करने के आदेश जारी किए. इससे पहले न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान, न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर चुके हैं. अब मुख्य न्यायाधीश इस अपील की सुनवाई के लिए विशेष खंडपीठ का गठन करेंगे.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में शिमला स्थित सीबीआई कोर्ट ने दोषी नीलू को उम्रकैद की सजा सुनाई है. प्रार्थी ने खुद को दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक अनिल कुमार उर्फ नीलू ने 4 जुलाई 2017 को गुड़िया (काल्पनिक नाम) से दुष्कर्म किया और बाद में उसका गला घोट कर उसे मौत के घाट उतार दिया था.

जांच के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ था कि गुड़िया व आरोपी के बीच गुड़िया के ऊपर थूकने को लेकर कहासुनी हुई थी और दोनों के बीच हाथापाई हुई थी. हालांकि स्थानीय पुलिस ने कथिततौर पर वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर 5 लोगों को हिरासत में लिया था. 13 जुलाई 2017 को स्थानीय पुलिस ने इस बात का खुलासा प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया था कि उन्होंने 5 लोगों को वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पुलिस हिरासत में ले लिया है. हाईकोर्ट द्वारा मामला सीबीआई को सौंपने के बाद सीबीआई ने पुलिस द्वारा घोषित आरोपियों को डिस्चार्ज करने को कहा था.

स्थानीय पुलिस की जांच के दौरान पकड़े गए एक आरोपी सूरज की 19 जुलाई की रात को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इस बात का भी खुलासा हुआ था कि 2 लोगों के बयानों के आधार पर पांच लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन सीबीआई की जांच के दौरान ये दोनों अपने उस बयान से मुकर गए थे, जो उन्होंने स्थानीय पुलिस के समक्ष दर्ज करवाये थे. स्थानीय पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट, नार्को एनालिसिस रिपोर्ट, ब्रेन इलेक्ट्रिकल ओसीलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग व कंप्रीहेंसिव फॉरेंसिक साइकोलॉजिकल रिपोर्ट से भी इस बात का खुलासा हुआ था कि इन लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था.

चार्जशीट में यह भी बताया गया था कि दोषी अनिल उर्फ नीलू आदतन अपराधी है. उसके खिलाफ वर्ष 2015 में पुलिस स्टेशन सराहां, जिला सिरमौर में भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 354, 326 ,323 व 324 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उसे 14 जुलाई 2016 को उस मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. उसके बाद वह फरार हो गया था. नीलू के खिलाफ यह भी आरोप था कि उसने 5 व 6 जुलाई 2017 की रात को एक युवती से दुष्कर्म का प्रयास किया.

ये भी पढ़ें: विमल नेगी की मौत से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने चार्जशीट दाखिल करने पर लगाई रोक

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने गुड़िया रेप व हत्या के दोषी नीलू चरानी की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ के समक्ष यह अपील सुनवाई के लिए रखी गई थी. अपील पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश गोयल ने खुद को इस अपील पर सुनवाई से अलग करने के आदेश जारी किए. इससे पहले न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान, न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर चुके हैं. अब मुख्य न्यायाधीश इस अपील की सुनवाई के लिए विशेष खंडपीठ का गठन करेंगे.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में शिमला स्थित सीबीआई कोर्ट ने दोषी नीलू को उम्रकैद की सजा सुनाई है. प्रार्थी ने खुद को दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है. सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक अनिल कुमार उर्फ नीलू ने 4 जुलाई 2017 को गुड़िया (काल्पनिक नाम) से दुष्कर्म किया और बाद में उसका गला घोट कर उसे मौत के घाट उतार दिया था.

जांच के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ था कि गुड़िया व आरोपी के बीच गुड़िया के ऊपर थूकने को लेकर कहासुनी हुई थी और दोनों के बीच हाथापाई हुई थी. हालांकि स्थानीय पुलिस ने कथिततौर पर वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर 5 लोगों को हिरासत में लिया था. 13 जुलाई 2017 को स्थानीय पुलिस ने इस बात का खुलासा प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया था कि उन्होंने 5 लोगों को वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पुलिस हिरासत में ले लिया है. हाईकोर्ट द्वारा मामला सीबीआई को सौंपने के बाद सीबीआई ने पुलिस द्वारा घोषित आरोपियों को डिस्चार्ज करने को कहा था.

स्थानीय पुलिस की जांच के दौरान पकड़े गए एक आरोपी सूरज की 19 जुलाई की रात को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. इस बात का भी खुलासा हुआ था कि 2 लोगों के बयानों के आधार पर पांच लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन सीबीआई की जांच के दौरान ये दोनों अपने उस बयान से मुकर गए थे, जो उन्होंने स्थानीय पुलिस के समक्ष दर्ज करवाये थे. स्थानीय पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट, नार्को एनालिसिस रिपोर्ट, ब्रेन इलेक्ट्रिकल ओसीलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग व कंप्रीहेंसिव फॉरेंसिक साइकोलॉजिकल रिपोर्ट से भी इस बात का खुलासा हुआ था कि इन लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था.

चार्जशीट में यह भी बताया गया था कि दोषी अनिल उर्फ नीलू आदतन अपराधी है. उसके खिलाफ वर्ष 2015 में पुलिस स्टेशन सराहां, जिला सिरमौर में भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 354, 326 ,323 व 324 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उसे 14 जुलाई 2016 को उस मामले में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. उसके बाद वह फरार हो गया था. नीलू के खिलाफ यह भी आरोप था कि उसने 5 व 6 जुलाई 2017 की रात को एक युवती से दुष्कर्म का प्रयास किया.

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