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किन्नौर में बनेगा हिमाचल का पहला नियंत्रित वातावरण स्टोर, भूतापीय तकनीक का किया जाएगा उपयोग - HP CONTROLLED ENVIRONMENT STORE

हिमाचल प्रदेश का पहला नियंत्रित वातावरण स्टोर किन्नौर में बनेगा. इस स्टोर को बनाने में भूतापीय तकनीक का उपयोग किया जाएगा.

जगत सिंह नेगी
जगत सिंह नेगी (FILE)
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By PTI

Published : April 1, 2025 at 10:12 PM IST

2 Min Read

शिमला: हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) आइसलैंड की एक कंपनी के साथ मिलकर भूतापीय तकनीक वाला नियंत्रित वातावरण स्टोर बनाने की योजना बना रहा है. बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत किन्नौर जिले के टापरी में जल्द ही नियंत्रित वातावरण भंडार का निर्माण कार्य शुरू होगा.

एचपीएमसी निदेशक मंडल की 217वीं बैठक के बाद बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने पत्रकारों से बात की. इस दौरान जगत सिंह नेगी ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में इस तरह का यह पहला स्टोर होगा. भूतापीय शीतलन में इमारतों को ठंडा करने के लिए पृथ्वी के अपेक्षाकृत स्थिर सतही तापमान का उपयोग किया जाता है. इमारत के अंदर से गर्मी को ठंडी जमीन में स्थानांतरित किया जाएगा और बंद लूप सिस्टम में वापस लाया जाएगा".

मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि एचपीएमसी ने पहले ही एक फल और सब्जी ड्रायर स्थापित किया है, जिसने छोटे पैमाने पर काम करना शुरू कर दिया है और परिणाम अच्छे रहे हैं.भूतापीय प्रौद्योगिकी का प्रयोग आंखें खोलने वाला हो सकता है. इसका उपयोग आने वाले समय में बिजली पैदा करने और घरों को केंद्रीय रूप से गर्म रखने के लिए किया जा सकता है.

जगत नेगी ने कहा कि एचपीएमसी ने अब तक का सर्वाधिक 2,000 टन सेब का उत्पादन किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वित्त वर्ष में निगम को अब तक का सर्वाधिक 5 करोड़ रुपये तक का मुनाफा होगा. उन्होंने कहा कि एचपीएमसी का सेब जूस इसलिए मांग में है, क्योंकि इसमें चीनी नहीं मिलाई जाती. निगम ने सेब साइडर, सिरका और वाइन का निर्माण भी शुरू किया है, जिसे अब दिल्ली और जयपुर समेत कई महानगरों में बेचा जा रहा है.

मंत्री ने कहा कि एचपीएमसी की बेकार पड़ी जमीन का इस्तेमाल राजस्व अर्जित करने के लिए किया जाएगा. करीब 100 करोड़ रुपये की शुरुआती आय की उम्मीद है, जबकि सालाना किराया राजस्व 2 करोड़ रुपये होगा. निदेशक मंडल ने टेंडर प्रक्रिया के जरिए राज्य में नियंत्रित वातावरण वाले स्टोर और ग्रेडिंग पैकिंग सेंटर निजी लोगों को देने का फैसला किया है. एचपीएमसी लंबे समय से हिमाचल प्रदेश के बागवानों और किसानों के लिए काम कर रही है. इसके अलावा, मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत सेब की खरीद की जिम्मेदारी भी इसके पास है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस दिन होगी बारिश और बर्फबारी, अप्रैल महीने में सामान्य से कम वर्षा होने का पूर्वानुमान

शिमला: हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) आइसलैंड की एक कंपनी के साथ मिलकर भूतापीय तकनीक वाला नियंत्रित वातावरण स्टोर बनाने की योजना बना रहा है. बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत किन्नौर जिले के टापरी में जल्द ही नियंत्रित वातावरण भंडार का निर्माण कार्य शुरू होगा.

एचपीएमसी निदेशक मंडल की 217वीं बैठक के बाद बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने पत्रकारों से बात की. इस दौरान जगत सिंह नेगी ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में इस तरह का यह पहला स्टोर होगा. भूतापीय शीतलन में इमारतों को ठंडा करने के लिए पृथ्वी के अपेक्षाकृत स्थिर सतही तापमान का उपयोग किया जाता है. इमारत के अंदर से गर्मी को ठंडी जमीन में स्थानांतरित किया जाएगा और बंद लूप सिस्टम में वापस लाया जाएगा".

मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि एचपीएमसी ने पहले ही एक फल और सब्जी ड्रायर स्थापित किया है, जिसने छोटे पैमाने पर काम करना शुरू कर दिया है और परिणाम अच्छे रहे हैं.भूतापीय प्रौद्योगिकी का प्रयोग आंखें खोलने वाला हो सकता है. इसका उपयोग आने वाले समय में बिजली पैदा करने और घरों को केंद्रीय रूप से गर्म रखने के लिए किया जा सकता है.

जगत नेगी ने कहा कि एचपीएमसी ने अब तक का सर्वाधिक 2,000 टन सेब का उत्पादन किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वित्त वर्ष में निगम को अब तक का सर्वाधिक 5 करोड़ रुपये तक का मुनाफा होगा. उन्होंने कहा कि एचपीएमसी का सेब जूस इसलिए मांग में है, क्योंकि इसमें चीनी नहीं मिलाई जाती. निगम ने सेब साइडर, सिरका और वाइन का निर्माण भी शुरू किया है, जिसे अब दिल्ली और जयपुर समेत कई महानगरों में बेचा जा रहा है.

मंत्री ने कहा कि एचपीएमसी की बेकार पड़ी जमीन का इस्तेमाल राजस्व अर्जित करने के लिए किया जाएगा. करीब 100 करोड़ रुपये की शुरुआती आय की उम्मीद है, जबकि सालाना किराया राजस्व 2 करोड़ रुपये होगा. निदेशक मंडल ने टेंडर प्रक्रिया के जरिए राज्य में नियंत्रित वातावरण वाले स्टोर और ग्रेडिंग पैकिंग सेंटर निजी लोगों को देने का फैसला किया है. एचपीएमसी लंबे समय से हिमाचल प्रदेश के बागवानों और किसानों के लिए काम कर रही है. इसके अलावा, मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत सेब की खरीद की जिम्मेदारी भी इसके पास है.

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