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एसटी का फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर पाई नौकरी, अब कोर्ट ने किया तलब - JOBS USING FAKE CERTIFICATES

बिरसिंहपुर के पांच शिक्षाकर्मी पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाने का आरोप, कार्रवाई नहीं करने पर एसपी-कलेक्टर भी तलब

jbp highcourt hearing Jobs using fake certificates
फर्जी जाति प्रमाण-पत्र और नौकरी का मामला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : April 15, 2025 at 10:11 PM IST

2 Min Read

जबलपुर : फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं किए जाने पर जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने इस मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

क्या है फर्जी जाति प्रमाण-पत्र और नौकरी का मामला?

दरअसल, ये याचिका सतना निवासी राजेश कुमार गौतम की ओर से दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि अनावेदक श्याम लाल, सुंदर लाल, प्यारे लाल, राम प्रकाश व राम चरण बिरसिंहपुर तहसील स्थित शासकीय मिडिल स्कूल में तृतीय वर्ग के पद पर पदस्थ हैं. पांचों शिक्षाकर्मी केवट समुदाय से हैं, जो ओबीसी वर्ग में आता है. स्कूल शिक्षा के दौरान सभी ने ओबीसी वर्ग की स्कॉलरशिप भी प्राप्त की थी. इसके बाद सभी ने एसटी वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र बनाकर नौकरी हासिल की.

जाति प्रमाण-पत्र पाए गए फर्जी

सूचना के अधिकार के तहत सभी दस्तावेज प्राप्त कर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच के आदेश जारी किए थे. जांच में पेश किए गए जाति प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गये थे. सचिव स्कूल शिक्षा विभाग ने कार्रवाई के लिए जिला कलेक्टर व डीईओ को निर्देश दिए थे. लेकिन आदेश के बावजूद एक्शन नहीं लिया गया. इसी वजह से ये याचिका दायर की गई.

कलेक्टर एसपी से लेकर कई को नोटिस

आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं किए जाने पर याचिका में सचिव सामान्य प्रशासन विभाग,कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक,जिला शिक्षा अधिकारी,थाना प्रभारी बिरसिंहपुर व पांच शिक्षा कर्मी को अनावेदक बनाकर नोटिस भेजा गया है. युगल पीठ ने सुनवाई के बाद सभी अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संतोष कुमार पाठक ने पैरवी की. इस मामले में अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी.

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जबलपुर : फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं किए जाने पर जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने इस मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

क्या है फर्जी जाति प्रमाण-पत्र और नौकरी का मामला?

दरअसल, ये याचिका सतना निवासी राजेश कुमार गौतम की ओर से दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि अनावेदक श्याम लाल, सुंदर लाल, प्यारे लाल, राम प्रकाश व राम चरण बिरसिंहपुर तहसील स्थित शासकीय मिडिल स्कूल में तृतीय वर्ग के पद पर पदस्थ हैं. पांचों शिक्षाकर्मी केवट समुदाय से हैं, जो ओबीसी वर्ग में आता है. स्कूल शिक्षा के दौरान सभी ने ओबीसी वर्ग की स्कॉलरशिप भी प्राप्त की थी. इसके बाद सभी ने एसटी वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र बनाकर नौकरी हासिल की.

जाति प्रमाण-पत्र पाए गए फर्जी

सूचना के अधिकार के तहत सभी दस्तावेज प्राप्त कर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच के आदेश जारी किए थे. जांच में पेश किए गए जाति प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गये थे. सचिव स्कूल शिक्षा विभाग ने कार्रवाई के लिए जिला कलेक्टर व डीईओ को निर्देश दिए थे. लेकिन आदेश के बावजूद एक्शन नहीं लिया गया. इसी वजह से ये याचिका दायर की गई.

कलेक्टर एसपी से लेकर कई को नोटिस

आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं किए जाने पर याचिका में सचिव सामान्य प्रशासन विभाग,कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक,जिला शिक्षा अधिकारी,थाना प्रभारी बिरसिंहपुर व पांच शिक्षा कर्मी को अनावेदक बनाकर नोटिस भेजा गया है. युगल पीठ ने सुनवाई के बाद सभी अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संतोष कुमार पाठक ने पैरवी की. इस मामले में अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी.

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