जबलपुर : नेता जी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के कैंसर इंस्टीट्यूट के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. दरअसल, कैंसर इंस्टीट्यूट में व्याप्त अनियमितताओं व संसाधन के अभाव को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया था कि नौ साल पूर्व राशि आवंटित होने के बावजूद भी कैंसर इंस्टीट्यूट के उपकरण नहीं खरीदे गए.
84 करोड़ आवंटित, फिर क्यों नहीं खरीदे उपकरण?
जबलपुर के अधिवक्ता विकास महावर की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज के कैंसर इंस्टीट्यूट में अनियमितता व संसाधनों के आभाव के कारण कैंसर पीड़ितों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा है. याचिका में कहा गया कि ये कैंसर पीड़ितों के मौलिक अधिकारों का हनन है. युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान पाया था कि कैंसर इंस्टीट्यूट के उपकरण खरीदने साल 2016 में 84 करोड़ रु आवंटित किए गए थे. राशि आवंटित होने के बावजूद भी अब तक उपकरणों की खरीदी नहीं हुई है.
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
सरकार की ओर से युगलपीठ को बताया गया था कि तकनीकी कारण से दो-तीन बार टेंडर प्रक्रिया को निरस्त किया गया. उपकरण खरीदी मप्र लोक सेवा स्वास्थ्य निगम द्वारा की जानी है. युगलपीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान मप्र लोक सेवा स्वास्थ्य निगम के एमडी को अनावेदक बनाने के निर्देश दिए थे.टेंडर किन कारणों से निरस्त किए गये थे,इस संबंध में भी कोर्ट ने जानकारी मांगी थी.
कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संदीप यादव व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए. उन्होंने बताया कि एक-दो प्रतिभागी टेंडर प्रक्रिया में उपस्थित हुए थे, जिसके कारण प्रक्रिया निरस्त कर दी गई थी. अब इसकी बोली 29 अप्रैल को खोली जानी है, जिसमें जबलपुर केन्द्र के लिए उपकरण व मशीन भी जोड़ दी गई है. लोक स्वास्थ्य सेवा निगम के प्रबंध निदेशक की ओर से बताया गया कि टेंडर 6 मई को खोलना संभव हो पाएगा. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उपकरण की बोली में अंतिम निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं.
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