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माता-पिता बिना शादी के भी साथ रहने के हकदार, HC ने बच्ची की याचिका पर सुरक्षा देने का दिया निर्देश - ALLAHABAD HIGH COURT

संभल के लिव-इन दंपति की नाबालिग बेटी की ओर से दायर की गई थी याचिका.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 10, 2025 at 11:09 PM IST

2 Min Read

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बालिग माता-पिता बिना शादी किए भी साथ रहने के हकदार हैं. कोर्ट ने अंतरधार्मिक लिव-इन जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने संभल के लिव-इन दंपती की नाबालिग बेटी की ओर से दायर याचिका पर दिया.

याची के अधिवक्ता सैय्यद काशिफ अब्बास ने बताया कि बच्ची की मां के पहले पति की एक बीमारी के चलते मृत्यु हो गई. इसके बाद महिला अलग धर्म के एक युवक के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी. इस दौरान उसे एक बच्चा भी हुआ, वहीं इस रिश्ते से महिला के पहले ससुराल वाले नाखुश हैं. ससुराल वाले धमकी दे रहे हैं. ऐसे में बच्ची की ओर से याचिका दाखिल कर सुरक्षा की मांग की गई है. कहा गया कि पुलिस उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है.

खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि ''बिना विवाह के बालिग माता-पिता को साथ रहने का अधिकार है. अदालत ने संभल पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि यदि माता-पिता संबंधित पुलिस स्टेशन से संपर्क करते हैं तो प्राथमिकी दर्ज की जाए. कानून के अनुसार बच्चे और माता-पिता को आवश्यकतानुसार सुरक्षा दी जाए. कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बालिग माता-पिता बिना शादी किए भी साथ रहने के हकदार हैं. कोर्ट ने अंतरधार्मिक लिव-इन जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने संभल के लिव-इन दंपती की नाबालिग बेटी की ओर से दायर याचिका पर दिया.

याची के अधिवक्ता सैय्यद काशिफ अब्बास ने बताया कि बच्ची की मां के पहले पति की एक बीमारी के चलते मृत्यु हो गई. इसके बाद महिला अलग धर्म के एक युवक के साथ लिव इन रिलेशन में रहने लगी. इस दौरान उसे एक बच्चा भी हुआ, वहीं इस रिश्ते से महिला के पहले ससुराल वाले नाखुश हैं. ससुराल वाले धमकी दे रहे हैं. ऐसे में बच्ची की ओर से याचिका दाखिल कर सुरक्षा की मांग की गई है. कहा गया कि पुलिस उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है.

खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि ''बिना विवाह के बालिग माता-पिता को साथ रहने का अधिकार है. अदालत ने संभल पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि यदि माता-पिता संबंधित पुलिस स्टेशन से संपर्क करते हैं तो प्राथमिकी दर्ज की जाए. कानून के अनुसार बच्चे और माता-पिता को आवश्यकतानुसार सुरक्षा दी जाए. कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली.

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