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हाईकोर्ट का आदेश, राज्य सरकार बताए कि मेडिकल कॉलेजों के रिक्त पदों को भरने की क्या कार्य योजना है? - HIGH COURT ORDER

राजस्थान के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रिक्त पदों को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में कार्ययोजना पेश करने को कहा है.

High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 14, 2025 at 8:48 PM IST

2 Min Read

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में यह बताने को कहा है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रिक्त पदों को भरने की क्या कार्य योजना है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि यदि किसी प्रकरण में अदालत की ओर से नियुक्ति पर रोक है तो उसकी अलग से स्पष्ट जानकारी दें. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश महेन्द्र गौड़ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि यह वास्तव में जनहित में है कि मेडिकल कॉलेजों में सभी संकायों के पद भरे जाएं और शिक्षण कर्मचारियों की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव ना पडे़े.

सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त शपथ पत्र पेश किया गया. शपथ पत्र में बताया गया कि प्रदेश में संचालित निजी मेडिकल कॉलेजों में खाली पद लगभग शून्य हैं. वहीं, राज्य सरकार और स्वायत्तशासी संस्थाओं की ओर से संचालित मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में पद खाली चल रहे हैं.

पढ़ें: गोपालगढ़ दंगा मामला: हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नियमित सुनवाई शुरू, 17 अप्रैल को अगली तारीख

इस पर अदालत के ध्यान में लाया गया कि मेडिकल कॉलेज खोलने की अनुमति देते समय संस्थानों में आवश्यक संकायों की संख्या, सीटों की संख्या को ध्यान में रखते हुए ही निर्धारित की जाती है. इससे साफ पता चलता है कि अगर किसी मेडिकल कॉलेज में आवश्यक संख्या में शिक्षण संकाय नहीं है तो वहां शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने खाली पदों को भरने की जानकारी देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. इस पर अदालत ने दो सप्ताह में नियुक्तियों का रोडमैप पेश करने को कहा है.

जनहित याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार के अधीन प्रदेश में चलने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेज, निजी और स्वायत्तशासी संस्थाओं की ओर से चलाए जा रहे मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के पद खाली चल रहे हैं. इसके चलते मेडिकल शिक्षा प्रभावित हो रही है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में यह बताने को कहा है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रिक्त पदों को भरने की क्या कार्य योजना है. अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि यदि किसी प्रकरण में अदालत की ओर से नियुक्ति पर रोक है तो उसकी अलग से स्पष्ट जानकारी दें. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश महेन्द्र गौड़ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि यह वास्तव में जनहित में है कि मेडिकल कॉलेजों में सभी संकायों के पद भरे जाएं और शिक्षण कर्मचारियों की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव ना पडे़े.

सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त शपथ पत्र पेश किया गया. शपथ पत्र में बताया गया कि प्रदेश में संचालित निजी मेडिकल कॉलेजों में खाली पद लगभग शून्य हैं. वहीं, राज्य सरकार और स्वायत्तशासी संस्थाओं की ओर से संचालित मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में पद खाली चल रहे हैं.

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इस पर अदालत के ध्यान में लाया गया कि मेडिकल कॉलेज खोलने की अनुमति देते समय संस्थानों में आवश्यक संकायों की संख्या, सीटों की संख्या को ध्यान में रखते हुए ही निर्धारित की जाती है. इससे साफ पता चलता है कि अगर किसी मेडिकल कॉलेज में आवश्यक संख्या में शिक्षण संकाय नहीं है तो वहां शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने खाली पदों को भरने की जानकारी देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. इस पर अदालत ने दो सप्ताह में नियुक्तियों का रोडमैप पेश करने को कहा है.

जनहित याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार के अधीन प्रदेश में चलने वाले सरकारी मेडिकल कॉलेज, निजी और स्वायत्तशासी संस्थाओं की ओर से चलाए जा रहे मेडिकल कॉलेजों में बड़ी संख्या में शिक्षक और अन्य कर्मचारियों के पद खाली चल रहे हैं. इसके चलते मेडिकल शिक्षा प्रभावित हो रही है.

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