इस नेता को हिमाचल का प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती थी कांग्रेस, फिर क्या हुआ?
कांग्रेस अभी तक अपने प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई. कई नेताओं का नाम स में दौड़ा, लेकिन अभी तस्वीर साफ नहीं हुई है.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team
Published : October 3, 2025 at 7:05 PM IST
|Updated : October 3, 2025 at 7:13 PM IST
मंडी: कांग्रेस लंबे समय से प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय नहीं कर पा रही है. तकरीबन एक साल पूरा होने के बाद भी कांग्रेस अपने अध्यक्ष का नाम तय नहीं कर पाई है. सीएम सुक्खू समेत कई नेता हाईकमान से अध्यक्ष पद को लेकर मंत्रणा कर चुके हैं. कई नेताओं का नाम भी इस रेस में दौड़ा, लेकिन कुर्सी तक कोई नहीं पहुंच पाया. वहीं, मुकेश अग्निहोत्री का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए मीडिया के बीच चर्चा का विषय रहा.
अब डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि 'मैं हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने का इच्छुक नहीं हूं और इस बारे में पार्टी हाईकमान को भी अवगत करवा दिया है. मुकेश अग्निहोत्री ने माना कि मेरे समक्ष पार्टी हाईकमान ने प्रदेशाध्यक्ष बनने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अपनी पत्नी के देहांत के बाद परिवार में उत्पन्न हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पार्टी हाईकमान से इस तरह की कोई भी जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया है. अब मेरे पास बेटी और परिवार की जिम्मेदारियां हैं, जिसके चलते मैं ऐसी स्थिति में नहीं हूं कि इस तरह का दायित्व संभाल सकूं.'
वहीं, मंडी दौरे के दौरान डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 'पूर्व की भाजपा सरकार के समय जल जीवन मिशन के पैसों से 120 करोड़ के रेस्ट हाउस बना दिए गए. केंद्र सरकार इन पैसों को मौजूदा समय में मिलने वाली धनराशि से काट रही है. केंद्र का कहना है कि पैसा पानी उपलब्ध करवाने के लिए दिया गया था न कि रेस्ट हाउस बनाने के लिए, जबकि प्रदेश सरकार कह रही है कि ये कारनामा बीजेपी की सरकार के समय में हुआ है इसलिए इसे पैसों में कटौती न की जाए. केंद्र सरकार से जेजेएम के तहत 1200 करोड़ की धनराशि लेने को है, लेकिन इसे अभी रोक दिया गया है. देश भर में जेजेएम के तहत हुई गड़बड़ियों की जांच चल रही है और उसी के तहत इस राशि को रोका गया है. प्रदेश में ठेकेदारों की जो भी अदायगियां शेष हैं वो इसी योजना के तहत हैं, जबकि प्रदेश सरकार की अपने स्तर पर कोई देनदारी देने को नहीं है.'
शहरी क्षेत्रों के पुराने बिल माफ करेगी सरकार
डिप्टी सीएम ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में पानी के जो पेंडिंग बिल हैं उन्हें न लेने का आदेश विभाग को दिया गया है. इस बारे में शहरी विकास विभाग के साथ भी मंत्रणा चल रही है. भविष्य में इस व्यवस्था को कैसे सुचारू किया जा सकता है, उस दिशा में कार्य किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी फिलहाल बिल न लेने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि बिलों का ज्यादा मसला नहीं है इससे विभाग को वर्ष भर में 40 करोड़ की ही आय प्राप्त होती है. केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के बिलों को पंचायतों के हवाले करने को कह रही है. पंचायतें ही अब बिल देंगी और उसकी कलेक्शन भी करेंगी. केंद्र ने इस योजना को लागू करके सारी फंडिंग रोक दी है. प्रदेश सरकार अब इस पर कार्य कर रही है.
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