वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बनारस को 3900 करोड़ रुपये की सौगात दी है. 2019 में प्रधानमंत्री ने बनारस को लगभग 16 करोड़ रुपये की लागत से 1000 से ज्यादा हेरिटेज लाइट की सौगात दी थी, जो बनारस की सुंदरता में चार चांद लग रहा था, लेकिन महज सात साल के अंदर ही यह स्ट्रीट लाइट कबाड़ में तब्दील हो गई है.
खराब हो रही स्ट्रीट लाइट्स को शहर के अलग-अलग इलाकों से निकलकर नगर निगम में इकट्ठा किया जा रहा है, ताकि इनकी नीलामी हो सके. अभी तक 100 से ज्यादा स्ट्रीट लाइट खराब हो चुकी हैं. जबकि बाकी का सर्वे किया जा रहा है. हालत यह हैं जो स्ट्रीट लाइट लगी हैं वह भी किसी काम की नहीं है. जबकि प्रशासन ने दावा किया था कि ये लाइट 25 साल तक खराब नहीं होंगी.
2019 में लगाई गई थी लाइट : दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में वाराणसी में स्मार्ट सिटी योजना के तहत हेरिटेज स्ट्रीट लाइट को लगवाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. पीएम मोदी ने खुद इसका उद्घाटन किया था और शहर के मणिकर्णिका, दशाश्वमेध, कचहरी कबीरचौरा, चेतगंज, भेलूपुर और गंगा किनारे के लगभग सभी मोहल्ले गलियों सड़कों पर हेरिटेज पोल्स और स्ट्रीट लाइट लगाने का काम हुआ था.
लगभग एक हेरिटेज पोल्स की कीमत 40000 और स्ट्रीट लाइट के साथ लगभग 70 से 75000 इसकी लागत आई थी. कुल मिलाकर लगभग 16 करोड़ रुपये की लागत में 1000 स्ट्रीट लाइट पूरे शहर में लगाई गई थी.
नगर निगम नीलाम करने की तैयारी में : अभी तक लगभग 100 स्ट्रीट लाइट 250 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक प्लेट और अन्य कई आइटम नगर निगम ने खराब घोषित करते हुए नीलाम करने की तैयारी शुरू कर दी है. नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि जो भी स्ट्रीट लाइट लगी थी वह 5 साल के देखरेख के साथ कार्यकारी कंपनी ने लगाई थी. अब उनका कांटेक्ट खत्म हो गया. इसको नगर निगम देख रहा है, इसमें जो भी इक्विपमेंट लगे थे. उनका मिलना मुश्किल हो रहा है. जिसकी वजह से उनकी जगह नई स्ट्रीट लाइट लगाई जाएगी.
पार्षद बोले- 6 महीने में ही बंद हो गई लाइट : वहीं इस मामले को लगातार मिनी सदन में उठाने वाले पार्षद इस लाइट की क्वालिटी और लगाए जाने की योजना पर ही सवाल उठा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के पार्षद अवनीश यादव का कहना है कि यह लाइट लगाई ही क्यों गई थी. हेरिटेज वाले इलाकों में इसे लगाकर सुंदरता दिखाने का काम किया गया, लेकिन 6 महीने बाद ही लाइट बंद होना शुरू हो गई थी.
हम पार्षद हैं और हमें सबसे ज्यादा परेशानी होती है. रात में अंधेरे होने पर लोग फोन कर लाइट सही कराने की बात कहते हैं. हम कई बार नगर निगम से अपील कर चुके हैं, लेकिन हमारी कोई सुनता ही नहीं है.
वहीं भाजपा के पार्षद श्रवण कुमार गुप्ता का कहना है की शुरुआत में जब स्ट्रीट लाइट लगी थी तब इसका पांच सालों तक देखरेख करने के लिए कंपनी से टाईअप था, लेकिन अब यह कौन देख रहा है हमें भी नहीं पता. हम तो शिकायत करते हैं और सुनवाई नहीं होती. बड़ी जद्दोजेहद के बाद अपने इलाके की कुछ स्ट्रीट लाइट कुंभ के दौरान सही करवाई, लेकिन अधिकांश लाइट अभी भी बंद पड़ी हैं.
2019 में 100 जगहों पर लगाई गई थीं लाइट
- प्रधानमंत्री ने वाराणसी में विभिन्न स्थानों पर 15.55 करोड़ की लागत से हेरिटेज स्ट्रीट लाइट्स लगवाई थी.
- 2019 में इस परियोजना का प्रभार केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के पास था.
- हेरिटेज स्ट्रीट लाइट्स कास्ट आयरन से बनाई गई हैं और इनमें पारंपरिक डिजाइन है.
- दावा था कि स्ट्रीट लाइट्स में एलईडी बल्ब लगे हैं, जो 25 साल तक खराब नहीं होंगे.
- 1000 लाइटों को वाराणसी में 100 स्थानों पर लगाया गया है.
- इसमें दशाश्वमेध घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर और घाट जैसे प्रमुख स्थल शामिल हैं.