देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून की विभिन्न नदियों, नाले और खालों में हुए अतिक्रमण को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशू, प्रमुख सचिव सिंचाई डॉ राजेश कुमार, सचिव शहरी विकास नीतीश कुमार झा व सचिव राजस्व एसएन पांडे वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए.
सभी अधिकारियों ने कोर्ट ने शपथ पत्र पेश कर कहा गया है कि बिंदाल नदी में किए गए अतिक्रमण को 30 जून तक हटा दिया जाएगा. कोर्ट ने देहरादून क्षेत्र में नदी-नालों में बिना मानचित्र स्वीकृति के किए जा रहे अवैध निर्माण पर तुरंत प्रभाव से रोकने के निर्देश दिए. इसके साथ ही राज्य सरकार से 21 अप्रैल तक देहरादून के विकासनगर में प्रशासन द्वारा अतिक्रमण पर की गई ध्वस्तीकरण की कार्रवाही पर विस्तृत रिपोर्ट पेश के करने को कहा है. साथ ही कोर्ट ने चिन्हित मानचित्र को कोर्ट में पेश करने को कहा है.
मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 21 अप्रैल की तिथि नियत की है. मंगलवार को हुई सुनवाई में सचिव शहरी विकास ने राज्य सरकार की ओर से हलफनामा देकर कहा कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है. कोर्ट के आदेश के अनुसार ही पूर्व में एक कमेटी गठित कर सर्वे किया गया और अतिक्रमण को चिन्हित किया गया. अब उसे नोटिस देकर हटाने की कार्रवाई चल रही है. अब कोर्ट उस अनुपालन रिपोर्ट का अवलोकन कर अगली तिथि को सुनवाई करेगा.
मामले के अनुसार अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर कहा कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है.
जबकि दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहा अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया. तीसरी जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमि पर अतिक्रमण किया है.
पढ़ें---