जयपुर: राजस्थान के कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अब छात्रों को आपदा प्रबंधन का पाठ पढ़ाया जाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत आपदा प्रबंधन को छात्रों के बीच व्यावहारिक बनाने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में कॉलेज एजुकेशन के विभिन्न पाठ्यक्रमों में आपदा प्रबंधन को शामिल करने के लिए मंथन किया जाएगा. इसके साथ ही भारतीय ज्ञान प्रणाली को भी पाठ्यक्रम में जगह देने की कवायद के तहत प्रदेश भर की यूनिवर्सिटीज और कॉलेज के प्रमुख बुधवार को जयपुर में जुटेंगे.
प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम उषा) योजना के तहत कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय, सेवा भारती और राष्ट्रीय सेवा योजना मिलकर पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन और भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने पर मंथन करेंगे. इसे लेकर प्रदेश भर के विश्वविद्यालय और कॉलेज के मुखिया जयपुर के ओटीएस सभागार में जुटेंगे.
इस संबंध में कॉलेज शिक्षा आयुक्त डॉ ओमप्रकाश बैरवा ने बताया कि जीवन रक्षा के दृष्टिकोण से शिक्षा व्यवस्था में आपदा प्रबंधन की आवश्यकता पर मंथन किया जाएगा. उसके बाद यूनिवर्सिटी अपने डिग्री कोर्सेज, यूजी-पीजी के कोर्सेज में किस तरह से इसे समाहित करें, इस पर बल दिया जाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय ज्ञान प्रणाली को समाहित करने पर भी जोर दिया जा रहा है, इसलिए गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज के अलावा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के अध्यक्ष, कुलपति और नोडल ऑफिसर को भी बुलाया गया है. सभी यूनिवर्सिटी एनईपी 2020 के क्रियान्वयन के तहत अपने पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को जोड़े.
निष्कर्षों को लागू कराने का होगा प्रयास: उन्होंने स्पष्ट किया कि जब यूनिवर्सिटीज, कॉलेज और शिक्षाविद एक मंच पर आएंगे, तो इससे आपदा प्रबंधन और भारतीय ज्ञान प्रणाली जैसे विषय का विस्तार से मंथन हो पाएगा. साथ ही इस पर आगे किस तरह से काम करना है, इसकी दिशा भी तय हो जाएगी. वहीं, जो भी निष्कर्ष निकलेगा उसे राज्य सरकार के स्तर से भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रदेश के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे़, उपमुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा, आरएसएस के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले भी मौजूद रहेंगे. वहीं वर्ष 2021-22, 2022-23, 2023-24 में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वालों को सेवा सम्मान से सम्मानित किया जाएगा.