हजारीबाग: खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा खुद बंदे से पूछे, बता तेरी रजा क्या है... यह पंक्ति विलुप्त जनजाति बिरहोर की दो बेटियों पर खूब जम रही है. किरण ने 409 अंक (करीब 80%) और चानवा ने 332 अंक (करीब 66%) लाकर न सिर्फ प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की, बल्कि अपने समुदाय के लिए एक नई राह की शुरुआत भी की.
चौपारण प्रखंड के वनांचल में बसा एक छोटे से गांव जमुनियातरी की विलुप्त आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की दो बेटियों किरण कुमारी और चनवा कुमारी ने वो कर दिखाया है, जो पहले कभी नहीं हुआ. मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल कर इस जनजाति की दो बेटियों ने यह साबित कर दिया है कि अगर मेहनत और ईमानदारी से पढ़ाई की जाए, तो कामयाबी भी कदम चूमती है. बेहद गरीबी और जनजातीय व्यवहार में जीने वाली दोनों बेटियों की कामयाबी पर जिला प्रशासन से लेकर हर आम-खास शुभकामनाएं दे रहा है. संभवत: वह हजारीबाग की पहली बिरहोर हैं, जिन्होंने प्रथम स्थान हासिल कर सफलता हासिल की है. हजारीबाग उपायुक्त अब उन्हें ब्रांड एंबेसडर के रूप में बनाने जा रहे हैं.
इन बच्चियों की कामयाबी में एक शिक्षिका का भी बड़ा योगदान है. बिरहोर बेटियों में एक की शादी मैट्रिक परीक्षा से पहले ही होने वाली थी. ऐसे में शिक्षिका ने माता-पिता और लड़की को समझाया. नतीजा यह हुआ कि उसकी शादी रुक गई. आज वह बेटी बिरहोर समाज ही नहीं हजारीबाग के लिए भी गौरव बनकर उभरी है. शिक्षिका का कहना है कि दोनों बच्चिंया कस्तूरबा गांधी में पढ़ती थीं. उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया है.
चानवा बिरहोर बड़ी होकर डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहती हैं. वहीं किरण बिरहोर को सीमा की रक्षा करना पसंद है. वह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती हैं और अपने जनजाति का नाम रोशन करना चाहती हैं. दोनों इस बात से खुश हैं कि बिरहोर समाज ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन भी उनकी सफलता का जश्न मना रहा है. दोनों ने भरोसा दिलाया कि आने वाले समय में वे और अधिक मेहनत करेंगी और अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगी.
ये सफलता कोई आंकड़े नहीं, बल्कि उम्मीद, संघर्ष और बदलाव की नई कहानी है. चौपारण की दो बिरहोर बेटियों ने मैट्रिक परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया है.
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