नई दिल्ली/नोएडा: यमुना प्राधिकरण में वर्ष 2019 में हुए 23.92 करोड़ के हाथरस जमीन अधिग्रहण घोटाले में नोएडा पुलिस ने तत्कालीन तहसीलदार अजीत परेश और तत्कालीन ओएसडी वीरपाल सिंह के खिलाफ न्यायालय में बुधवार को आरोपपत्र दाखिल कर दिया है. दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. अजीत परेश वर्तमान में वाराणसी में मुख्य राजस्व अधिकारी हैं और वीरपाल सिंह सेवानिवृत हो गए हैं.
16 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र: इस मामले में पुलिस अब तक पांच अधिकारी समेत कुल 16 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है. जिन दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र अब दाखिल हुआ है, उनके रिश्तेदारों की भूमिका भी घोटाले में सामने आई है. वीरपाल सिंह ने अपने पांच रिश्तेदारों को जमीन इस मकसद से खरीदवाई थी, ताकि घोटाला कर करोड़ों रुपये कमाया जा सके. इसी साल पुलिस ने मामले में हिमालय इंफ्राटेक के निदेशक विवेक जैन को गिरफ्तार किया था. 2019 में जिन 29 लोगों के खिलाफ बीटा टू थाने में केस दर्ज हुआ था उनमें यमुना विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता, एसीईओ सतीश कुमार, ओएसडी वीपी सिंह प्रमुख थे.
आरोप पत्र में पुलिस ने इस बात का जिक्र किया है कि जब यमुना विकास प्राधिकरण हाथरस जिले की जमीन को विकसित करने के लिए खरीद रहा था, तब प्राधिकरण के अधिकारियों ने मिलीभगत कर अधिग्रहण से पहले अपने परिचितों व रिश्तेदारों के माध्यम से वहां की जमीन किसानों से खरीदवाई. इसमें तत्कालीन तहसीलदार अजीत परेश और ओएसडी वीरपाल सिंह की भूमिका थी. इन लोगों ने जमीन काश्तकारों से नहीं खरीदी. पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि इस मामले में प्राधिकरण के अधिकारी व बिल्डर कंपनी के लोग मिले हुए थे. इससे शासन को करोड़ों का नुकसान हुआ. इस मामले की जांच धीरे धीरे धीमी हो गई थी. बाद में इस मामले की जांच एसीपी प्रथम प्रवीण सिंह को दी गई. एसीपी की विवेचना के बाद पुलिस की टीम ने अजीत परेशन व वीरपाल सिंह के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया है. पुलिस ने इस मामले में जल्द ही कुछ अन्य गिरफ्तारी करने की भी बात कही है.
तत्कालीन ओएसडी ने ऐसे किया फर्जीवाड़ा: पुलिस की विवेचना में तत्कालीन ओएसडी वीरपाल सिंह के छह रिश्तेदारों व करीबियों पर भी जमीन खरीद बिक्री के आरोप लगे हैं. चार्जशीट में पुलिस ने इस पर विस्तार से जानकारी दी है. वीरपाल सिंह ने अपने भांजे निर्दोष चौधरी, समधी मदनपाल सिंह, दामाद नीरज तोमर, समधी के बेटे अजीत सिंह, साले संजीव और नौकर सत्येंद्र के नाम से जमीन खरीदी थी. कई अन्य के नाम भी सामने आए हैं. पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि जिस समय यमुना प्राधिकरण की तरफ से हाथरस जिले की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा था, उस वक्त योजना के मुताबिक 5 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता थी लेकिन आरोपियों ने अधिक कमाई के लालच में 14.5 हेक्टेयर जमीन किसानों से औने पौने दाम में खरीद ली. इसके बाद प्राधिकरण ने बीच वाले लोगों को इसी जमीन की कीमत कुछ दिनों के बाद ही तीन गुना तक बढ़ा कर दिया.
मथुरा के जमीन घोटाले में भी शामिल: हाथरस जमीन घोटाले से पहले इसी तरह का घोटाला मथुरा में भी हुआ था. वहां भी इसी तर्ज पर अधिकारियों के करीबी लोगों ने 57 हेक्टेयर जमीन की खरीद की थी. इस मामले में भी हाथरस जमीन घोटाले के आरोपी शामिल थे.
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