फरीदाबाद: हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने जनता को बड़ी राहत दी है. ऐसे में जमीन की रजिस्ट्री महंगी नहीं होगी, यानि कि हरियाणा में अब नया कलेक्टर रेट लागू नहीं होगा. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राजस्व विभाग के प्रस्ताव की स्वीकृति को देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. इस कारण हरियाणा में इस साल (2025-2026) बढ़ने वाला कलेक्टर रेट नहीं बढ़ेगा. यानि कि प्रदेश में पहले वाला करेक्टर रेट लागू रहेगा.
सीएम ने लगा दी रोक: दरअसल, कलेक्टर रेट हर साल अप्रैल में लागू होता है. पूरे वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ठीक पहले इसे संशोधन किया जाता है. नया वित्त वर्ष लागू होने के बाद कलेक्टर रेट को भी लागू किया जाता है. इसीलिए अधिकारियों ने कलेक्टर रेट बढ़ाने को लेकर मार्च तक खूब मेहनत भी की थी. अलग-अलग जिलों से रिपोर्ट मंगवाई. इसके हिसाब से कलेक्टर रेट बढ़ाने को लेकर राजस्व विभाग के पास फाइल भेजी गई थी, लेकिन अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नए कलेक्टर रेट पर रोक लगा दी है. कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी के लिए कई जिलों में खुद ही 10 से 25 फीसदी की वृद्धि की सिफारिश को लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिए थे. इन दरों को साइट पर अपलोड करके सार्वजनिक आपत्तियां भी आमंत्रित करने की तैयारी कर ली गई थी.
मौजूदा रजिस्ट्रेशन फीस:
20 से 25 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए 20000 रुपए
40 से 50 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए 25000 रुपए
50 से 60 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए 30000 रुपए
60 से 70 लाख रुपए तक की प्रॉपर्टी के लिए 35000 रुपये
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट: ऐसे में अगर नया करेक्टर रेट लागू होता तो 10 से 25 फीसद की वृद्धि होती. प्रॉपर्टी के जानकार प्रदीप मिश्रा ने कलेक्टर रेट को लेकर बताया, "किसी भी जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर कलेक्टर रेट का काफी अहम रोल होता है. अलग-अलग जगह पर वहां के मार्केट रिसर्च हालात मौजूदा स्थिति के बाद ही कमेटी उस इलाके की जमीन की एक रिपोर्ट तैयार करती है, जिसके बाद उस रिपोर्ट को राजस्व विभाग के पास भेजती है. बाद में वह फाइल सरकार के पास भेजा जाता है. उस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार फैसला लेती है कि उस जमीन की खरीद बिक्री, रजिस्ट्री, नाम ट्रांसफर करना इत्यादि को लेकर सरकार एक रेट तय करती है. इसके बाद रेट तय होने के बाद तय रेट से कम में जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है."
समय-समय पर बदलता रहता है रेट: प्रॉपर्टी के जानकार प्रदीप मिश्रा ने आगे बताया कि, "जमीन के कलेक्टर रेट किसी भी शहर, किसी भी जिले में उसका स्थानीय प्रशासन सर्वे करके तय करता है. यह अलग-अलग जिले में, अलग-अलग शहर में, अलग-अलग इलाकों में जमीन की वैल्यू बाजार की कीमत के आधार पर ही तय किया जाता है. अलग-अलग जिलों का अलग-अलग कलेक्टर रेट होता है. कलेक्टर रेट किसी भी जिले में जमीन की न्यूनतम कीमत है. जिस पर कोई प्रॉपर्टी खरीददार को बेची जा सकती है या फिर खरीदी जा सकती है. जमीन का रेट बाजार के आधार पर समय-समय पर बदलता रहता है. ऐसे में प्रदेश के साथ-साथ फरीदाबाद के लोगों को भी सरकार द्वारा बड़ी राहत मिली है, क्योंकि दिल्ली से सटे होने की वजह से फरीदाबाद में जमीन के रेट हाई होते जा रहे हैं. ऐसे में अगर कलेक्टर रेट को लागू किया जाता तो जनता को और भी समस्या आती. प्लॉट महंगे होते, रजिस्ट्री महंगी होती, जो लोगों के बजट से बाहर होता है." ऐसे में अब अगले आदेश तक पुराने कलेक्टर रेट ही लागू रहेगा.
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