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हिसार की हिमपुत्री रीना भट्टी ने एवरेस्ट-ल्होत्से फतह कर बनाया रिकॉर्ड, मांगी सरकारी सहायता - HARYANA MOUNTAINEER REENA BHATTI

Haryana Mountaineer Reena Bhatti: हिसार की रीना भट्टी ने हरियाणा सरकार से ए-ग्रेड नौकरी और आर्थिक मदद की अपील की है.

Haryana Mountaineer Reena Bhatti
Haryana Mountaineer Reena Bhatti (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 18, 2025 at 7:40 AM IST

3 Min Read

हिसार: महिला पर्वतारोही रीना भट्टी ने हरियाणा सरकार से ए-ग्रेड सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है, ताकि वह अपनी पर्वतारोहण यात्रा को और आगे बढ़ा सकें. हिसार के बालक गांव में जन्मी रीना भट्टी एक ट्रैक्टर मिस्त्री की बेटी हैं. रीना ने 2024 में माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) और माउंट ल्होत्से (8,516 मीटर) को मात्र 20.5 घंटे में फतह कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. ये उपलब्धि उन्हें भारत की सबसे तेज महिला पर्वतारोही बनाती है.

विश्व स्तर की उपलब्धियां और तिरंगे का सम्मान: पिछले पांच वर्षों में रीना भट्टी ने 20 से अधिक पर्वत चोटियों पर तिरंगा फहराया है, जिसमें यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर) भी शामिल है. 15 अगस्त 2022 को उन्होंने माउंट एल्ब्रुस को 24 घंटे में दोनों दिशाओं से फतह कर भारत की पहली महिला होने का गौरव हासिल किया. इसके अलावा, रीना ने किर्गिस्तान की स्नो लेपर्ड पीक – पीक लेनिन (7,134 मीटर), नेपाल की माउंट आमा दबलम (6,812 मीटर), और लद्दाख की माउंट कांग यात्से (6,270 मीटर) व माउंट जो जोंगो (6,240 मीटर) जैसी तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण चोटियों को भी फतह किया.

Haryana Mountaineer Reena Bhatti
2023 में उनकी पहली एवरेस्ट चढ़ाई तकनीकी और मौसमी कठिनाइयों के कारण असफल रही (Etv Bharat)

रीना ने न केवल पर्वतारोहण में कीर्तिमान स्थापित किए, बल्कि सामाजिक और शारीरिक बाधाओं को भी तोड़ा. उन्होंने “Depression Against Running” नामक विश्व की सबसे लंबी रिले दौड़ में भाग लिया और ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में 10,000 पुश-अप्स पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया. उनकी ये उपलब्धियां न केवल व्यक्तिगत बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हैं.

सरकार से अपील: कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री धारक रीना ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि पर्वतारोहण जैसे महंगे और जोखिम भरे खेल में आर्थिक तंगी सबसे बड़ी चुनौती रही. 2023 में उनकी पहली एवरेस्ट चढ़ाई तकनीकी और मौसमी कठिनाइयों के कारण असफल रही, जब वह चोटी से मात्र 50 मीटर पहले लौटने को मजबूर हुईं. लेकिन हार न मानते हुए, उन्होंने 2024 में न केवल एवरेस्ट बल्कि ल्होत्से को भी रिकॉर्ड समय में फतह किया.

Haryana Mountaineer Reena Bhatti
रीना ने 2024 में माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) और माउंट ल्होत्से (8,516 मीटर) को मात्र 20.5 घंटे में फतह कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. (Etv Bharat)

रीना ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और खेल मंत्री को संबोधित करते हुए कहा "मैंने आर्थिक, सामाजिक और प्राकृतिक बाधाओं को पार कर देश का नाम रोशन किया है. मेरी उपलब्धियां केवल मेरी नहीं, बल्कि हर उस बेटी की प्रेरणा हैं जो बड़े सपने देखती है. सरकार से मेरा अनुरोध है कि मुझे ए-ग्रेड नौकरी और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, ताकि मैं भविष्य में और चोटियां फतह कर सकूं."

सामाजिक बदलाव की प्रेरणा: रीना का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को साहसिक कार्यों में प्रोत्साहन की कमी है. परंपरागत सोच और लैंगिक भेदभाव के कारण कई प्रतिभाशाली बेटियां अपने सपनों को पूरा नहीं कर पातीं. उन्होंने कहा "एवरेस्ट पर चढ़ाई ने मुझे सिखाया कि सपने जेंडर नहीं, हौसला देखते हैं. अगर सरकार और समाज ऐसी बेटियों को समर्थन दे, तो हम न केवल पर्वत, बल्कि हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू सकते हैं."

ये भी पढ़ें- IPL की तर्ज पर रोलर हॉकी प्रीमियर लीग, रोलर स्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की शुरुआत, 8 टीमें दिखा रही दमखम - ROLLER HOCKEY PREMIER LEAGUE

हिसार: महिला पर्वतारोही रीना भट्टी ने हरियाणा सरकार से ए-ग्रेड सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की गुहार लगाई है, ताकि वह अपनी पर्वतारोहण यात्रा को और आगे बढ़ा सकें. हिसार के बालक गांव में जन्मी रीना भट्टी एक ट्रैक्टर मिस्त्री की बेटी हैं. रीना ने 2024 में माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) और माउंट ल्होत्से (8,516 मीटर) को मात्र 20.5 घंटे में फतह कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. ये उपलब्धि उन्हें भारत की सबसे तेज महिला पर्वतारोही बनाती है.

विश्व स्तर की उपलब्धियां और तिरंगे का सम्मान: पिछले पांच वर्षों में रीना भट्टी ने 20 से अधिक पर्वत चोटियों पर तिरंगा फहराया है, जिसमें यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर) भी शामिल है. 15 अगस्त 2022 को उन्होंने माउंट एल्ब्रुस को 24 घंटे में दोनों दिशाओं से फतह कर भारत की पहली महिला होने का गौरव हासिल किया. इसके अलावा, रीना ने किर्गिस्तान की स्नो लेपर्ड पीक – पीक लेनिन (7,134 मीटर), नेपाल की माउंट आमा दबलम (6,812 मीटर), और लद्दाख की माउंट कांग यात्से (6,270 मीटर) व माउंट जो जोंगो (6,240 मीटर) जैसी तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण चोटियों को भी फतह किया.

Haryana Mountaineer Reena Bhatti
2023 में उनकी पहली एवरेस्ट चढ़ाई तकनीकी और मौसमी कठिनाइयों के कारण असफल रही (Etv Bharat)

रीना ने न केवल पर्वतारोहण में कीर्तिमान स्थापित किए, बल्कि सामाजिक और शारीरिक बाधाओं को भी तोड़ा. उन्होंने “Depression Against Running” नामक विश्व की सबसे लंबी रिले दौड़ में भाग लिया और ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड में 10,000 पुश-अप्स पूरे करने का रिकॉर्ड बनाया. उनकी ये उपलब्धियां न केवल व्यक्तिगत बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हैं.

सरकार से अपील: कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री धारक रीना ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि पर्वतारोहण जैसे महंगे और जोखिम भरे खेल में आर्थिक तंगी सबसे बड़ी चुनौती रही. 2023 में उनकी पहली एवरेस्ट चढ़ाई तकनीकी और मौसमी कठिनाइयों के कारण असफल रही, जब वह चोटी से मात्र 50 मीटर पहले लौटने को मजबूर हुईं. लेकिन हार न मानते हुए, उन्होंने 2024 में न केवल एवरेस्ट बल्कि ल्होत्से को भी रिकॉर्ड समय में फतह किया.

Haryana Mountaineer Reena Bhatti
रीना ने 2024 में माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर) और माउंट ल्होत्से (8,516 मीटर) को मात्र 20.5 घंटे में फतह कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. (Etv Bharat)

रीना ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और खेल मंत्री को संबोधित करते हुए कहा "मैंने आर्थिक, सामाजिक और प्राकृतिक बाधाओं को पार कर देश का नाम रोशन किया है. मेरी उपलब्धियां केवल मेरी नहीं, बल्कि हर उस बेटी की प्रेरणा हैं जो बड़े सपने देखती है. सरकार से मेरा अनुरोध है कि मुझे ए-ग्रेड नौकरी और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए, ताकि मैं भविष्य में और चोटियां फतह कर सकूं."

सामाजिक बदलाव की प्रेरणा: रीना का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को साहसिक कार्यों में प्रोत्साहन की कमी है. परंपरागत सोच और लैंगिक भेदभाव के कारण कई प्रतिभाशाली बेटियां अपने सपनों को पूरा नहीं कर पातीं. उन्होंने कहा "एवरेस्ट पर चढ़ाई ने मुझे सिखाया कि सपने जेंडर नहीं, हौसला देखते हैं. अगर सरकार और समाज ऐसी बेटियों को समर्थन दे, तो हम न केवल पर्वत, बल्कि हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू सकते हैं."

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