करनालः हरियाणा में किसानों की गेहूं की फसल पक कर तैयार हो चुकी है जिसकी कटाई कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी. गेहूं कटाई के बाद धान रोपाई में करीब दो से ढाई महीने का समय बीच में रह जाता है. ऐसे में किसान भाई गेहूं कटाई के बाद धान रोपाई से पहले एक अन्य फसल भी ले सकते हैं. किसान गेहूं की कटाई के बाद मूंग की खेती कर सकते हैं, जो बुआई के बाद 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. मार्केट और मंडी में भाव भी काफी अच्छा मिलता है. मूंग की खेती पर कृषि विभाग की ओर से विशेष अनुदान दिया जा रहा है.
मूंग के बीज पर 75 फीसदी अनुदानः जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि जो भी भाई गेहूं कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए हरियाणा सरकार और कृषि विभाग के द्वारा 25 फीसदी लागत पर मूंग का बीज दिया जा रहा है. इच्छुक किसान इसका लाभ ले सकते हैं.
तीन एकड़ खेती के लिए बीज पर अनुदानः जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि जो भी किसान भाई ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं. वह इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. एक किसान को अधिकतम तीन एकड़ तक की खेती के लिए बीज अनुदान पर दिया जाएगा. एक एकड़ में 10 किलो मूंग का बीज डाला जाता है. ऐसे में एक किसान को 30 किलोग्राम तक मूंग का बीज अनुदान पर विभाग के द्वारा दिया जाएगा.
विभागीय पोर्टल पर करें पंजीकरणः जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जो भी किसान भाई बीज लेने के इच्छुक हैं और ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं. वह विभागीय पोर्टल agriharyana.gov.in पर जाकर पंजीकरण करवा सकते हैं या खुद भी पंजीकरण कर सकते हैं. इसके साथ-साथ उसको मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर भी पंजीकरण करना होगा. जो किसान पंजीकरण करेंगे उसी को ही हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्रों से अनुदान पर भेज दिया जाएगा.
20 अप्रैल तक करें पंजीकरणः जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि विभाग मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ओटीपी भेजकर किसानों की वास्तविकता का सत्यापन किया जाएगा. ओटीपी सत्यापन के बाद ही किसान बीज पर अनुदान ले सकते हैं. किसान इसके लिए 20 अप्रैल तक अपना पंजीकरण करवा सकते हैं. जो भी किसान भाई बीज अनुदान पर लेते हैं. उनकी फसल की कटाई से पहले विभाग की टीम के द्वारा उनके खेत में जाकर फसल का सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद ही योजनाओं का लाभ दिया जाएगा.
हरियाणा सरकार मूंग बीज पर दे रही है 75 प्रतिशत का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन - SUBSIDY ON CULTIVATION OF MOONG
दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से अनुदान पर मूंग बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.


Published : March 26, 2025 at 10:53 PM IST
करनालः हरियाणा में किसानों की गेहूं की फसल पक कर तैयार हो चुकी है जिसकी कटाई कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी. गेहूं कटाई के बाद धान रोपाई में करीब दो से ढाई महीने का समय बीच में रह जाता है. ऐसे में किसान भाई गेहूं कटाई के बाद धान रोपाई से पहले एक अन्य फसल भी ले सकते हैं. किसान गेहूं की कटाई के बाद मूंग की खेती कर सकते हैं, जो बुआई के बाद 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है. मार्केट और मंडी में भाव भी काफी अच्छा मिलता है. मूंग की खेती पर कृषि विभाग की ओर से विशेष अनुदान दिया जा रहा है.
मूंग के बीज पर 75 फीसदी अनुदानः जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि जो भी भाई गेहूं कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए हरियाणा सरकार और कृषि विभाग के द्वारा 25 फीसदी लागत पर मूंग का बीज दिया जा रहा है. इच्छुक किसान इसका लाभ ले सकते हैं.
तीन एकड़ खेती के लिए बीज पर अनुदानः जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि जो भी किसान भाई ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं. वह इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. एक किसान को अधिकतम तीन एकड़ तक की खेती के लिए बीज अनुदान पर दिया जाएगा. एक एकड़ में 10 किलो मूंग का बीज डाला जाता है. ऐसे में एक किसान को 30 किलोग्राम तक मूंग का बीज अनुदान पर विभाग के द्वारा दिया जाएगा.
विभागीय पोर्टल पर करें पंजीकरणः जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जो भी किसान भाई बीज लेने के इच्छुक हैं और ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं. वह विभागीय पोर्टल agriharyana.gov.in पर जाकर पंजीकरण करवा सकते हैं या खुद भी पंजीकरण कर सकते हैं. इसके साथ-साथ उसको मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर भी पंजीकरण करना होगा. जो किसान पंजीकरण करेंगे उसी को ही हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्रों से अनुदान पर भेज दिया जाएगा.
20 अप्रैल तक करें पंजीकरणः जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि विभाग मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ओटीपी भेजकर किसानों की वास्तविकता का सत्यापन किया जाएगा. ओटीपी सत्यापन के बाद ही किसान बीज पर अनुदान ले सकते हैं. किसान इसके लिए 20 अप्रैल तक अपना पंजीकरण करवा सकते हैं. जो भी किसान भाई बीज अनुदान पर लेते हैं. उनकी फसल की कटाई से पहले विभाग की टीम के द्वारा उनके खेत में जाकर फसल का सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद ही योजनाओं का लाभ दिया जाएगा.