हरिद्वार: इस बार चैत्र नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी को लेकर आमजन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अष्टमी और नवमी इस बार कब और किस तरह से मनाई जाए, इसको लेकर लोग एक-दूसरे से सवाल पूछते नजर आ रहे हैं. हमने हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य से बात की. उन्होंने हर शंका का समाधान किया.
अष्टमी का कन्फ्यूजन खत्म: सनातन हिंदू धर्म में देवी की आराधना में चैत्र नवरात्र का बहुत महत्व है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्र का व्रत रखा जाता है. देवी मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है. नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन देवी मां की विशेष पूजा की जाती है और अष्टमी का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि आदि शक्ति मां भवानी की पूजा से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. आपको बता दें कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च रविवार से शुरू होकर 6 अप्रैल रविवार को राम नवमी के दिन संपन्न होगी. इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक दिन पड़ने के चलते अष्टमी तिथि को लेकर लोगों में भम्र है. पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य से जानते हैं दुर्गा अष्टमी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य ने बताया कि-
इस बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 4 अप्रैल शुक्रवार को रात 8 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और 5 अप्रैल शनिवार को शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. जिसके अनुसार 5 अप्रैल शनिवार को चैत्र नवरात्र की दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी.
-पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य, ज्योतिषाचार्य-
अष्टमी पर दुर्लभ शिववास योग: इसी के साथ उन्होंने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्र की दुर्गा अष्टमी यानी 5 अप्रैल को दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है. शिववास योग निशा काल में है. इसके साथ ही दुर्गा अष्टमी पर सुकर्मा योग का भी संयोग बन रहा है और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है. इन शुभ योग में मां दुर्गा की पूजा अर्चना से जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी ओर सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
क्या है दुर्गाष्टमी का महत्व क्या है: पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य ने बताया कि दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है. परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ता है और क्लेश दूर होता है. दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करने से मनुष्य को आरोग्य की प्राप्ति होती है. वहीं, देवी महागौरी अपने भक्तों में शक्ति और सकारात्मक का संचार करती हैं.
क्या है दुर्गाष्टमी की पूजा विधि: पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य ने बताया कि दुर्गा अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और मां दुर्गा का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा स्थान को साफ करें और मां को फल फूल, धूप बत्ती और घी का दीपक जलाएं. दुर्गा सप्तशती और चालीसा का पाठ करें. अंत में मां की आरती करें जिसके बाद कन्याओं को भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होगी.
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