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हनुमानगढ़ के युवा की अनूठी पहल, प्रकृति सेवा के संकल्प से जुड़े लोग, पक्षियों को मिल रहा आशियाना - PLEDGE TO SERVE NATURE

हनुमानगढ़ के युवा प्रशांत सोनी ने समाज सेवा को अपना मिशन बना लिया है. आजकल वे पक्षियों के लिए पक्षीगृह बांटने में लगे हैं.

Social worker Prashant Soni
जिला कलेक्टर कानाराम को पक्षीगृह भेंट करते हुए (ETV Bharat Hanumangarh)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 14, 2025 at 6:14 PM IST

3 Min Read

हनुमानगढ़: जिस उम्र में युवाओं की दुनिया मौज-मस्ती, सोशल मीडिया और सेल्फी तक सिमटी होती है, उस उम्र में 20 साल के प्रशांत सोनी समाज सेवा को अपना मिशन बना चुके हैं. पौधरोपण हो, रक्तदान शिविर हो या फिर लुप्त होती गौरैया को बचाने का अभियान, प्रशांत अपने 'दा ईगल फाउंडेशन' और उसकी टीम के साथ सबसे आगे दिखाई देती है.

'ओ री चिरैया… कहां तुम चली गई !' मुहिम का आगाज: प्रशांत के नेतृत्व में 'दा ईगल फाउंडेशन' ने एक विशेष अभियान शुरू किया, जिसका मकसद लुप्त होती गौरैया और अन्य पक्षियों को बचाना है. बढ़ती आबादी, सीमेंट की इमारतें और मोबाइल टावरों से भरे शहरों में अब पक्षियों के घोंसले बनाने की जगह भी नहीं बची, ऐसे में प्रशांत ने पंजाब से विशेष रूप से बनवाए गए 300 पक्षी आशियानों को जगह-जगह लगवाना शुरू किया है, ताकि नन्हे पंखों को फिर से अपना घर मिल सके. प्रशांत कहते हैं, हमने उनके लिए जगह नहीं छोड़ी, अब वो इतिहास न बन जाएं इसके लिए कुछ करना ही होगा.

दा ईगल फाउंडेशन' की अनूठी पहल. (ETV Bharat Hanumangarh)

पढ़ें: विश्व गौरेया दिवस : नन्ही चिरैया को अंगना में लाने की अनूठी पहल, देश के हर कोने तक पहुंचाए खुद के बनाए घोंसले

बदलाव की शुरुआत जिला कलेक्ट्रेट से: अभियान की शुरुआत हनुमानगढ़ जिला कलेक्ट्रेट परिसर से की गई, जहां ADM प्रसादी लाल मीणा ने पहला पक्षीगृह लगाया. इसके बाद जिला कलेक्टर कानाराम, CO मीनाक्षी, विधायक गणेशराज बंसल और पूर्व सभापति सुमित रिनवा समेत कई प्रशासनिक और सामाजिक प्रतिनिधियों को ये पक्षी गृह भेंट किए गए. सभी ने संस्था की इस पहल की खुले दिल से सराहना की और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया.

Social worker Prashant Soni
नगरपरिषद जक्शन में पक्षी गृह लगाते हुए संस्था सदस्य (ETV Bharat Hanumangarh)

पक्षियों के लिए खास डिजाइन : ये पक्षी गृह साधारण लकड़ी के डिब्बे नहीं हैं. इनमें अंडे देने के लिए अलग कक्ष, सामान्य आवास, हवा के लिए खिड़की और सूरज की तपन से बचाने वाली संरचना शामिल है. गर्मियों के मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए ये घर छोटे पक्षियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं. ‘दा ईगल फाउंडेशन’ के प्रशांत कहते हैं कि यह कहानी उनकी नहीं, बल्कि पूरी युवा टीम की जीवंत मिसाल है. यादविंद्र सिंह, नासिर खान, वाजिद खान, अर्जुन, अमरीक सिंह, लक्ष्मण राजपुरोहित और भरत गुप्ता जैसे साथी तन, मन और धन से हमेशा सेवा में लगे रहते हैं. हर सदस्य की भूमिका तय है, कोई पक्षी गृह बनाता है, कोई दाना-पानी की व्यवस्था करता है, तो लोगों को जागरूक करता है. प्रशांत बताते हैं कि संस्था के अधिकतर खर्चे पॉकेट मनी और स्थानीय लोगों के सहयोग से पूरे किए जाते हैं. कभी जरूरत पड़े तो वे खुद अपने निजी खर्चों से भी मदद करते हैं.

distributing readymade nests
विधायक गणेश राज बंसल को पक्षीगृह भेंट करते हुए (ETV Bharat Hanumangarh)

अलग-अलग जिलों में फैल रहा है अभियान: वर्तमान में 'दा ईगल फाउंडेशन' हनुमानगढ़ के साथ-साथ जयपुर, चूरू और बीकानेर में भी सक्रिय है. प्रशांत का सपना है कि आने वाले समय में राजस्थान के हर जिले में एक टीम हो, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद और समाजिक जागरूकता के लिए काम करे. पूर्व सभापति सुमित रिनवा कहते हैं, इस उम्र में इतना बड़ा सोच और इतनी संवेदनशीलता बहुत कम देखने को मिलती है. प्रशांत और उनकी टीम का काम वाकई में प्रेरणास्पद है. नागरिक रितेश पुरोहित और पुलिसकर्मी विष्णु भी इस मुहिम को शहर की जरूरत बताते हैं.

हनुमानगढ़: जिस उम्र में युवाओं की दुनिया मौज-मस्ती, सोशल मीडिया और सेल्फी तक सिमटी होती है, उस उम्र में 20 साल के प्रशांत सोनी समाज सेवा को अपना मिशन बना चुके हैं. पौधरोपण हो, रक्तदान शिविर हो या फिर लुप्त होती गौरैया को बचाने का अभियान, प्रशांत अपने 'दा ईगल फाउंडेशन' और उसकी टीम के साथ सबसे आगे दिखाई देती है.

'ओ री चिरैया… कहां तुम चली गई !' मुहिम का आगाज: प्रशांत के नेतृत्व में 'दा ईगल फाउंडेशन' ने एक विशेष अभियान शुरू किया, जिसका मकसद लुप्त होती गौरैया और अन्य पक्षियों को बचाना है. बढ़ती आबादी, सीमेंट की इमारतें और मोबाइल टावरों से भरे शहरों में अब पक्षियों के घोंसले बनाने की जगह भी नहीं बची, ऐसे में प्रशांत ने पंजाब से विशेष रूप से बनवाए गए 300 पक्षी आशियानों को जगह-जगह लगवाना शुरू किया है, ताकि नन्हे पंखों को फिर से अपना घर मिल सके. प्रशांत कहते हैं, हमने उनके लिए जगह नहीं छोड़ी, अब वो इतिहास न बन जाएं इसके लिए कुछ करना ही होगा.

दा ईगल फाउंडेशन' की अनूठी पहल. (ETV Bharat Hanumangarh)

पढ़ें: विश्व गौरेया दिवस : नन्ही चिरैया को अंगना में लाने की अनूठी पहल, देश के हर कोने तक पहुंचाए खुद के बनाए घोंसले

बदलाव की शुरुआत जिला कलेक्ट्रेट से: अभियान की शुरुआत हनुमानगढ़ जिला कलेक्ट्रेट परिसर से की गई, जहां ADM प्रसादी लाल मीणा ने पहला पक्षीगृह लगाया. इसके बाद जिला कलेक्टर कानाराम, CO मीनाक्षी, विधायक गणेशराज बंसल और पूर्व सभापति सुमित रिनवा समेत कई प्रशासनिक और सामाजिक प्रतिनिधियों को ये पक्षी गृह भेंट किए गए. सभी ने संस्था की इस पहल की खुले दिल से सराहना की और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया.

Social worker Prashant Soni
नगरपरिषद जक्शन में पक्षी गृह लगाते हुए संस्था सदस्य (ETV Bharat Hanumangarh)

पक्षियों के लिए खास डिजाइन : ये पक्षी गृह साधारण लकड़ी के डिब्बे नहीं हैं. इनमें अंडे देने के लिए अलग कक्ष, सामान्य आवास, हवा के लिए खिड़की और सूरज की तपन से बचाने वाली संरचना शामिल है. गर्मियों के मौसम को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए ये घर छोटे पक्षियों के लिए बिल्कुल उपयुक्त हैं. ‘दा ईगल फाउंडेशन’ के प्रशांत कहते हैं कि यह कहानी उनकी नहीं, बल्कि पूरी युवा टीम की जीवंत मिसाल है. यादविंद्र सिंह, नासिर खान, वाजिद खान, अर्जुन, अमरीक सिंह, लक्ष्मण राजपुरोहित और भरत गुप्ता जैसे साथी तन, मन और धन से हमेशा सेवा में लगे रहते हैं. हर सदस्य की भूमिका तय है, कोई पक्षी गृह बनाता है, कोई दाना-पानी की व्यवस्था करता है, तो लोगों को जागरूक करता है. प्रशांत बताते हैं कि संस्था के अधिकतर खर्चे पॉकेट मनी और स्थानीय लोगों के सहयोग से पूरे किए जाते हैं. कभी जरूरत पड़े तो वे खुद अपने निजी खर्चों से भी मदद करते हैं.

distributing readymade nests
विधायक गणेश राज बंसल को पक्षीगृह भेंट करते हुए (ETV Bharat Hanumangarh)

अलग-अलग जिलों में फैल रहा है अभियान: वर्तमान में 'दा ईगल फाउंडेशन' हनुमानगढ़ के साथ-साथ जयपुर, चूरू और बीकानेर में भी सक्रिय है. प्रशांत का सपना है कि आने वाले समय में राजस्थान के हर जिले में एक टीम हो, जो न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद और समाजिक जागरूकता के लिए काम करे. पूर्व सभापति सुमित रिनवा कहते हैं, इस उम्र में इतना बड़ा सोच और इतनी संवेदनशीलता बहुत कम देखने को मिलती है. प्रशांत और उनकी टीम का काम वाकई में प्रेरणास्पद है. नागरिक रितेश पुरोहित और पुलिसकर्मी विष्णु भी इस मुहिम को शहर की जरूरत बताते हैं.

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