अजमेर: धार्मिक पर्यटन नगरी अजमेर में भगवान हनुमान के चार अद्भुत मंदिर हैं. इनमें हनुमानजी की प्रतिमाओं के मुख अलग-अलग दिशाओं में हैं. शहर के बीच स्थित चारों मंदिर मराठाकालीन बताए जा रहे हैं. लोगों की माने तो चारों मंदिर सदियों से जन आस्था के बड़े केंद्र हैं. हनुमान जन्मोत्सव पर जानते हैं इन चार मंदिरों की महिमा, जहां संकटमोचन हनुमान भक्तों के हर कष्ट हरते हैं.
आगरा गेट शिव सागर मंदिर में भगवान पंचमुखी हनुमान मंदिर है. भगवान हनुमान का पंचमुख स्वरूप काफी विशिष्ट है. श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण मूर्छित कर पाताल में ले गया था. जहां दोनों की बली माता को अर्पित करने के लिए पूजा की जा रही थी, तब भगवान हनुमान के पसीने से उत्पन्न मकरध्वज को बांधकर पाताल लोक में भगवान हनुमान ने प्रवेश किया था. जहां भगवान हनुमान ने पंचमुखी रूप लेकर अहिरावण का अंत कर भगवान श्री राम और लक्ष्मण को पुनः धरती पर लाए थे.
उत्तर मुखी है पंचमुखी बालाजी: पंडित प्रकाशचंद शर्मा बताते हैं कि पंचमुखी हनुमान मंदिर मराठाकालीन है. यहां भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. मंदिर में पंचमुखी हनुमान की सुबह शाम आरती होती है, लेकिन हनुमान जन्मोत्सव पर दोपहर 12 बजे विशेष आरती होगी. सुबह से देर रात तक पंचमुखी के दर्शनों के लिए भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. हनुमान जन्मोत्सव को लेकर मंदिर में विशेष सजावट की जा रही है. पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा का चोला कर श्रृंगार किया जा रहा है. भगवान पंचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा उत्तरमुखी है.

पश्चिममुखी है आगरा गेट बालाजी: पंचमुखी हनुमान मंदिर से चंद कदम दूर आगरा गेट के समीप प्राचीन बालाजी का मंदिर है. पुजारी अनूप शर्मा बताते हैं कि 65 बरस से मंदिर में उनका परिवार सेवा करता आ रहा है. शर्मा बताते हैं कि बालाजी का मंदिर परकोटे में था. आगरा गेट के बिल्कुल समीप होने के कारण यहां पर बड़ा बहीखाता रखा रहता था. समीप बड़ा दीपक जलता था. आगरा गेट से बाहर जाने और भीतर आने वाले लोगों का नाम और पता उस बहीखाते में लिखा जाता था. शर्मा ने बताया कि वक्त के साथ आगरा गेट जर्जर हुआ तो उसे हटाना पड़ा. चौहान वंश के राजा भी मंदिर में दर्शनों के लिए आते थे. बालाजी के मंदिर का उल्लेख हरविलास शारदा ने अपनी पुस्तक में भी किया है, जो उन्होंने 100 बरस पहले लिखी थी. उन्होंने बताया कि मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष आरती दोपहर 12 बजे होगी. इस मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा का मुख पश्चिम दिशा की ओर है.

पूर्व मुखी है शिवबाग स्थित सगाई वाले बालाजी: आगरा गेट बालाजी मंदिर से 500 मीटर दूर शिव बाग में अर्थ चंद्रेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मराठाकालीन बालाजी का मंदिर है. यहां हनुमानजी को सगाई वाले बालाजी के नाम से जाना जाता है. यहां मान्यता है कि कुंवारे युवक और युवतियों को बालाजी सुयोग्य वर और वधू का आशीर्वाद देते हैं. यही वजह है कि मंगलवार और शनिवार को श्रद्धा वालों की भीड़ में ज्यादातर कुंवारे युवक-युवतियों भी मंदिर में देखे जा सकते हैं. मान्यता है कि सात मंगलवार या सात शनिवार को बालाजी को गुड़-चने का भोग लगाकर एक पान का बीड़ा अर्पित करने से कुंवारों को हमसफर जल्द मिल जाता है. अजमेर जिले से ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों से भी यहां लोग अपने और अपने परिचितों के कुंवारे युवक युवतियों के लिए आशीर्वाद मांगने आते हैं. यहां बालाजी की प्रतिमा का मुख पूर्व दिशा में है. हनुमान जन्मोत्सव पर यहां विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु बालाजी के दर्शनों के लिए आते हैं.

दक्षिणमुखी है कहार मंदिर में बालाजी: क्लॉक टावर के समीप बालाजी का मंदिर साढ़े तीन सौ वर्ष से अधिक पुराना है. कहार समाज के लोगों ने मिलकर बालाजी मंदिर की स्थापना की थी. पुजारी पंडित योगेश शर्मा के पूर्वज यहां सेवा करते आए. पंडित शर्मा बताते हैं कि मंदिर में बालाजी की चौकी मंगलवार व शनिवार को लगती है, जहां जादू टोने या भूत प्रेत या अन्य व्याधियों से त्रस्त लोगों को बालाजी राहत देते है. इसके अलावा व्यापार, संतान और अन्य मनोकामनाएं भी बालाजी पूर्ण करते हैं. उन्होंने बताया कि हनुमान जन्मोत्सव पर बालाजी के मंदिर में विशेष आयोजन सुबह से शाम तक होते हैं. बालाजी में लोगों की गहरी आस्था है यही वजह है की बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष भर बालाजी की प्रतिमा तक किसी भी श्रद्धालु को जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन हनुमान जन्मोत्सव पर आने वाले श्रद्धालुओं को बालाजी की प्रतिमा तक जाने का अवसर मिलता है. श्रद्धालु अपने हाथों से बालाजी का अभिषेक करते हैं. यहां बालाजी का मुख दक्षिण दिशा में है हनुमान जन्मोत्सव पर अजमेर में प्रसिद्ध सभी बालाजी के मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया जाएगा. कई मंदिरों में बालाजी की दोपहर 12 बजे महाआरती के बाद केक भी काटा जाएगा.
