अलवर: देश में रामभक्त हनुमानजी के कई मंदिर है, जो अनोखी विशेषताएं के लिए अलग पहचान रखते हैं. ऐसा ही मंदिर अलवर में अरावली की वादियों में है. इसकी खासियत है कि हनुमानजी की प्रतिमा के हाथ में सुदर्शन चक्र है, जबकि आमतौर पर अन्य हनुमान मंदिरों में प्रतिमा के हाथ में गदा रहती है. मंदिर राजाओं के जमाने का है. हालांकि 15 वर्ष पहले इसका जीणोद्धार किया गया था. यह मंदिर सरिस्का की बफर रेंज के अधीन व बाला किला मार्ग के बीच है.
मंदिर के महंत अनिल कुमार शास्त्री ने बताया कि मंदिर का नाम चक्रधारी हनुमान मंदिर इसलिए पड़ा क्योंकि प्रतिष्ठित प्रतिमा के हाथ में कृष्ण का सुदर्शन चक्र लिए हनुमानजी विराजित हैं. मंदिर में विराजित हनुमान प्रतिमा करीब 800 साल पुरानी राजाओं के समय की बताई जाती है. यह चेतन प्रतिमा है. मंदिर में मंगलवार व शनिवार को ज्यादा भक्त पहुंचते हैं. मंदिर सरिस्का की बफर रेंज के अधीन है, जहां प्रतापबंध वन चौकी से किले की ओर जाने वाले लोगों को टिकट लेकर जाने की अनुमति है, लेकिन चक्रधारी हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं को निःशुल्क एंट्री दी जाती है.
महंत शास्त्री ने बताया कि ऐसी हनुमान प्रतिमा देश में संभवतया कहीं ओर नहीं मिलेगी. माना जाता है कि हनुमान पहाड़ी पर विराजमान होकर अलवर शहर की रक्षा करते हैं. महंत अनिल ने बताया की शास्त्रों में वर्णन है कि समुद्र मंथन के दौरान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र को अहंकार हो गया था. इसे द्वापर युग में राम भक्त हनुमान ने तोड़ा. इसके बाद श्रीकृष्ण ने हनुमान को यह सुदर्शन चक्र दिया. जब घोर कलयुग आएगा तब हनुमान सुदर्शन चक्र चलाकर बुराइयों का नाश करेंगे. मान्यता के चलते भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं.
अंधेरे में नहीं मिलता प्रवेश: महंत ने बताया कि सरिस्का की बफर रेंज के अधीन वन क्षेत्र में बसे होने के कारण चक्रधारी हनुमान मंदिर में अंधेरे में जाने की अनुमति नहीं मिलती. मंदिर में भक्त शाम 5:30 बजे तक दर्शन के लिए पहुंचते हैं. साथ ही मंदिर में सवामणि व भंडारा भी भक्तों की ओर से कराया जाता है.

प्राचीन मंदिर का कराया जीर्णोद्वार: महंत ने बताया कि राजा महाराजाओं के जमाने का चक्रधारी हनुमान मंदिर को जीर्णोद्वार की आवश्यकता के चलते करीब 15 साल पहले यहां कार्य कराया गया. इसमें मंदिर परिसर में हनुमान के गर्भगृह में शीश महल बनाया गया. हनुमान के साथ यहां रामदरबार, राधा कृष्ण, गणेश सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं. मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.अलवर शहर में बसा चक्रधारी हनुमान मंदिर राजाशाही जमाने के प्राचीन मंदिरों में स्थान रखता है.
निकाली शोभायात्रा: महंत ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में एक दिन पूर्व शुक्रवार को 500 ध्वजों को शोभायात्रा निकाली गई. इसमें प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा भी शामिल हुए.