बीकानेर. चैत्र पूर्णिमा को भगवान श्रीराम के परम भक्त अनन्य भक्त और माता अंजनी के लाल रुद्रावतार भगवान हनुमान का जन्मोत्सव है. आज हनुमान मंदिरों में कई विशेष आयोजन होंगे और दोपहर में महापूजा और महाआरती होगी. इस पृथ्वी पर हनुमानजी अष्ट चिरंजीवी में एक हैं. आज ही के दिन उनका जन्म हुआ था. प्रभु श्रीराम के कार्य को सफल करने के लिए रुद्र अवतार यानी कि भगवान शिव के अवतार के रूप में हनुमान जी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था.
अष्ट चिरंजीवी में से एक : मान्यता है कि इस पृथ्वी पर अष्ट चिरंजीवी यानी की आठ चिरंजीवियों में से सबसे पहले हनुमान जी हैं. जो अमर हैं और आज भी पृथ्वी पर वास कर रहे हैं. मान्यता है कि कहीं भी अखंड रामायण पाठ और सुंदरकांड के पाठ होते हैं वहां हनुमान जी जरूर उपस्थित होते हैं. इसलिए हनुमान जयंती नहीं बल्कि हनुमान जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है.
सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ : वैसे तो हर मंगलवार, शनिवार और पूर्णिमा के दिन और नित्य हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से भगवान हनुमान जी प्रसन्न होते हैं, लेकिन आज जन्मोत्सव की मौके पर विशेष रूप से सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. शनि की वक्र दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति को हनुमान जी की आराधना सुफल देती है. इसलिए खासतौर से आज हनुमान चालीसा सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व है.
श्रृंगार और पोशाक : आज हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर हनुमान जी की प्रतिमा पर पोशाक करनी चाहिए और विशेष श्रृंगार से प्रभु को प्रसन्न करना चाहिए. हनुमान जी की आराधना करते वक्त प्रभु श्री राम की स्तुति करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. हनुमान जी को चूरमा भोग में लगाना चाहिए और प्रसाद वितरण करना चाहिए.
इन चौपाइयों का करें स्मरण
दीनदयाल बिरिदु संभारी
हरहु नाथ मम संकट भारी
कवन सो काज कठिन जग माहि
जो नहीं होय तात तुम पाही
कोन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसे नहीं जात है टारो
बेगी हरो हनुमान महाप्रभु
जो कछु संकट होय हमारो
इन मंत्रों का करें स्मरण :-
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि
तन्नो हनुमान प्रचोदयात्।
ॐ हं हनुमते नम: मंत्र का 108 बार जप करें