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450 साल पुराना है सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर, चढ़ाया गया था 2700 किलो रोट का भोग - HANUMAN JANMOTSAV 2025

हनुमान जन्मोत्सव 2025 के मौके पर जानिए सीकर के सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर की रोचक कहानी. बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है नाम.

Devipura Balaji Temple in Sikar
सीकर का सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर (ETV Bharat Sikar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 12, 2025 at 6:32 AM IST

Updated : April 12, 2025 at 9:44 AM IST

4 Min Read

सीकर: जिला मुख्यालय पर बालाजी महाराज का एक चमत्कारिक मंदिर मौजूद है. इस मंदिर को सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी के नाम से जाना जाता है. यह करीब 450 साल पुराना मंदिर है. हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर यहां हर साल कई विशेष आयोजन होते हैं.

मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि सीकर के राजा देवी सिंह ने इस मंदिर को स्थापना की थी. साल 2023 में इस मंदिर में बालाजी को 2700 किलो रोट का भोग लगाया गया था, जो अब तक सबसे बड़ा महाभोग था. इस महाभोग को बनाने के लिए जेसीबी और क्रेन की मदद ली गई थी. इसको लेकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी इस मंदिर का नाम दर्ज है.

सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर की कहानी, सुनिए... (ETV Bharat Sikar)

मंदिर से जुड़ी कहानी : सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी के नौवें महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 450 साल पहले इस जगह पर भगवान राम का मंदिर हुआ करता था. मंदिर में स्थापित वर्तमान बालाजी की प्रतिमा को 350 साल पहले जयपुर से गाजे-बाजे के साथ बैलगाड़ी में रखकर दूसरी जगह पर ले जाया जा रहा था. इसी दौरान देवीपुरा के जंगल में रात हो गई तो भगवान राम के मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा को रखा गया और रात को लोगों ने आराम किया. इसके बाद जब सुबह हुई और वापस जाने के लिए भगवान राम के पास रखी हनुमान जी की मूर्ति को लोगों ने उठाया तो वह वहीं जम गई.

पांच लोगों के जोर लगाने के बाद भी मूर्ति हिली तक नहीं. तभी, मूर्ति में से आवाज आई, "मैं मेरे आराध्य भगवान श्री राम के पास ही रहना चाहता हूं. मुझे यहीं पर स्थापित कर दो." इसके बाद लोगों ने इसकी सूचना राजा देवी सिंह को दी गई. उसके बाद राजा ने स्वयं के खर्चे से संपूर्ण विधि-विधान के साथ बालाजी महाराज की प्रतिमा को मंदिर के अंदर स्थापित किया.

पढ़ें : मेहंदीपुर बालाजी के प्रसाद को लेकर अफवाह या हकीकत ? जानिए इसके पीछे की कहानी - MEHANDIPUR BALAJI

बालाजी की निकाली थी चांदी की आंखें, आए थे आंसू : महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 1977 के अंदर चोरों ने मंदिर के अंदर घुसकर बालाजी महाराज की चांदी की आंखें निकाल कर ले गए थे. इसके बाद लगातार बालाजी महाराज की प्रतिमा से आंसू निकले थे. चोरों को पकड़ने के बाद जब संपूर्ण विधि-विधान के साथ वापस बालाजी महाराज को वही चांदी की आंखें लगाई गईं, तब उनकी आंखों से आंसू निकलने बंद हो गए. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आकर सच्चे मन से अरदास करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रत्येक मंगलवार को इस मंदिर में रामायण के पाठ होते हैं.

Hanuman Jayanti Special
बालाजी महाराज की अष्टधातु से बनी प्रतिमा (ETV Bharat Sikar)

प्रसाद के रूप में चढ़ाया गया 2700 किलो रोट का भोग : महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 2023 में बालाजी महाराज को प्रसन्न करने के लिए 2700 किलो रोड का भोग लगाया गया था. इसे बनाने के लिए हजारों कारीगर लगे थे. इसके अलावा जेसीबी और क्रेन का भी उपयोग किया गया था. बालाजी महाराज का भोग लगाने के बाद करीब 25 हजार भक्तों को यह प्रसाद वितरण किया गया था. इस अनोखे कारनामे के कारण इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है. इस दिन मंदिर के अंदर ही पंचमुखी बालाजी महाराज की अष्टधातु से बनी प्रतिमा स्थापित की गई थी.

हनुमान जन्मोत्सव पर होते हैं विशेष आयोजन : आपको बता दें कि सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष पर कई विशेष आयोजन होते हैं. 7 दिन पहले ही मंदिर में तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इस दिन देश के प्रसिद्ध सिंगर यहां आकर भजनों की प्रस्तुति देते हैं. महंत के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव के दिन सीकर के प्रत्येक घर से मंदिर में बालाजी के दर्शन करने के लिए भक्त आते हैं. इस दिन प्रवासी लोग भी मंदिर में आकर बालाजी महाराज से सुख समृद्धि की कामना करते हैं.

सीकर: जिला मुख्यालय पर बालाजी महाराज का एक चमत्कारिक मंदिर मौजूद है. इस मंदिर को सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी के नाम से जाना जाता है. यह करीब 450 साल पुराना मंदिर है. हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर यहां हर साल कई विशेष आयोजन होते हैं.

मंदिर के महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि सीकर के राजा देवी सिंह ने इस मंदिर को स्थापना की थी. साल 2023 में इस मंदिर में बालाजी को 2700 किलो रोट का भोग लगाया गया था, जो अब तक सबसे बड़ा महाभोग था. इस महाभोग को बनाने के लिए जेसीबी और क्रेन की मदद ली गई थी. इसको लेकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी इस मंदिर का नाम दर्ज है.

सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर की कहानी, सुनिए... (ETV Bharat Sikar)

मंदिर से जुड़ी कहानी : सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी के नौवें महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 450 साल पहले इस जगह पर भगवान राम का मंदिर हुआ करता था. मंदिर में स्थापित वर्तमान बालाजी की प्रतिमा को 350 साल पहले जयपुर से गाजे-बाजे के साथ बैलगाड़ी में रखकर दूसरी जगह पर ले जाया जा रहा था. इसी दौरान देवीपुरा के जंगल में रात हो गई तो भगवान राम के मंदिर में भगवान हनुमान की प्रतिमा को रखा गया और रात को लोगों ने आराम किया. इसके बाद जब सुबह हुई और वापस जाने के लिए भगवान राम के पास रखी हनुमान जी की मूर्ति को लोगों ने उठाया तो वह वहीं जम गई.

पांच लोगों के जोर लगाने के बाद भी मूर्ति हिली तक नहीं. तभी, मूर्ति में से आवाज आई, "मैं मेरे आराध्य भगवान श्री राम के पास ही रहना चाहता हूं. मुझे यहीं पर स्थापित कर दो." इसके बाद लोगों ने इसकी सूचना राजा देवी सिंह को दी गई. उसके बाद राजा ने स्वयं के खर्चे से संपूर्ण विधि-विधान के साथ बालाजी महाराज की प्रतिमा को मंदिर के अंदर स्थापित किया.

पढ़ें : मेहंदीपुर बालाजी के प्रसाद को लेकर अफवाह या हकीकत ? जानिए इसके पीछे की कहानी - MEHANDIPUR BALAJI

बालाजी की निकाली थी चांदी की आंखें, आए थे आंसू : महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 1977 के अंदर चोरों ने मंदिर के अंदर घुसकर बालाजी महाराज की चांदी की आंखें निकाल कर ले गए थे. इसके बाद लगातार बालाजी महाराज की प्रतिमा से आंसू निकले थे. चोरों को पकड़ने के बाद जब संपूर्ण विधि-विधान के साथ वापस बालाजी महाराज को वही चांदी की आंखें लगाई गईं, तब उनकी आंखों से आंसू निकलने बंद हो गए. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आकर सच्चे मन से अरदास करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. प्रत्येक मंगलवार को इस मंदिर में रामायण के पाठ होते हैं.

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बालाजी महाराज की अष्टधातु से बनी प्रतिमा (ETV Bharat Sikar)

प्रसाद के रूप में चढ़ाया गया 2700 किलो रोट का भोग : महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि 2023 में बालाजी महाराज को प्रसन्न करने के लिए 2700 किलो रोड का भोग लगाया गया था. इसे बनाने के लिए हजारों कारीगर लगे थे. इसके अलावा जेसीबी और क्रेन का भी उपयोग किया गया था. बालाजी महाराज का भोग लगाने के बाद करीब 25 हजार भक्तों को यह प्रसाद वितरण किया गया था. इस अनोखे कारनामे के कारण इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है. इस दिन मंदिर के अंदर ही पंचमुखी बालाजी महाराज की अष्टधातु से बनी प्रतिमा स्थापित की गई थी.

हनुमान जन्मोत्सव पर होते हैं विशेष आयोजन : आपको बता दें कि सिद्धपीठ देवीपुरा बालाजी मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष पर कई विशेष आयोजन होते हैं. 7 दिन पहले ही मंदिर में तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इस दिन देश के प्रसिद्ध सिंगर यहां आकर भजनों की प्रस्तुति देते हैं. महंत के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव के दिन सीकर के प्रत्येक घर से मंदिर में बालाजी के दर्शन करने के लिए भक्त आते हैं. इस दिन प्रवासी लोग भी मंदिर में आकर बालाजी महाराज से सुख समृद्धि की कामना करते हैं.

Last Updated : April 12, 2025 at 9:44 AM IST
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