जयपुर: प्रदेश में एक बार फिर से गुर्जर समाज आंदोलन की राह पर है. इसके लिए गुर्जर नेता विजय बैंसला ने पीलूपुरा में गुर्जर समाज की महापंचायत बुलाई है. रविवार को पीलूपुरा में होने वाली महापंचायत से पहले शनिवार को दौसा के गाजीपुर स्थित देवनारायण मंदिर में गुर्जर समाज की बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में विजय बैसला पहुंचने वाले थे. उन्होंने कहा कि वे सरकार को मांग पत्र भेजने के लिए गाजीपुर जा रहे हैं, लेकिन सरकार से वार्ता नहीं करेंगे. वहीं महापंचायत की सूचना पर गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम भी गाजीपुर पहुंचे. उन्होंने कहा कि समझौता पिछली सरकार से हुआ था. यदि समझौते की पालना नहीं हुई है, तो प्रतिनिधियों को सरकार से वार्ता करनी चाहिए.
गृह राज्यमंत्री से बैंसला ने बनाई दूरी: विजय बैंसला के आने की सूचना पर देवनारायण मंदिर में गुर्जर समाज के लोग एकत्रित हुए. लेकिन मंत्री जवाहर सिंह बेढम के गाजीपुर आने की सूचना के बाद विजय बैंसला ने मीटिंग से दूरी बना ली. इसी बीच बेढम महुआ पहुंचे और कुछ देर तक इंतजार किया. लेकिन जब बैंसला देवनारायण मंदिर नहीं पहुंचे, तो वे खुद ही समाज के लोगों के बीच पहुंच गए. इस दौरान उन्होंने समाज के लोगों के द्वारा दिए गए मांग पत्र को लिया और कहा कि सरकार हमेशा गुर्जर समाज की मांगों के साथ रही है.
समझौता पिछली सरकार से हुआ: मंत्री ने कहा कि जो भी समझौता हुआ था, वह पिछली सरकार से हुआ था. समझौते की पालना यदि नहीं हुई है, तो संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को सरकार से वार्ता करनी चाहिए. इस तरह लोगों को धूप में परेशान नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आप लोग महापंचायत के लिए पीले चावल बांट रहे हो, लेकिन ये पीले चावल मैं आपको सरकार से वार्ता के लिए भी दे रहा हूं.
सरकार ने हाल में लिए 17 मुकदमे वापस: उन्होंने कहा कि 17 मुकदमे हाल ही में भाजपा सरकार के कार्यकाल में वापस लिए गए हैं. वहीं कुछ मुकदमों के लिए कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी गई है. उन्होंने कहा कि जब से राजस्थान में भाजपा की सरकार आई है, तब से संघर्ष समिति का कोई भी प्रतिनिधि ना तो मुख्यमंत्री से और ना ही मुझसे मिला. मांगों से जुड़ा कोई भी मांग पत्र संघर्ष समिति की ओर से सरकार को नहीं सौंपा गया. जैसे ही गृह राज्य मंत्री ने गाजीपुर में समाज के प्रतिनिधि से मांग पत्र लिया, तो उन्होंने कहा कि इन सभी मांगों को लेकर अफसरों से चर्चा करेंगे और विधि सम्मत सभी मांगे मानी जाएंगी. फिर भी समाज की कोई मांग है, तो वह टेबल पर आकर रखे.