फर्रुखाबाद : 7 अप्रैल. दोपहर के 1 बजे. शहर से पांच किमी. दूर रामनगर कुटरा गांव है. यहां झोपड़ी के अंदर चारपाई पर सो रहे पांच महीने के मासूम को खूंखार कुत्तों ने काट कर मार दिया. मासूम के शरीर पर 50 से ज्यादा जख्म मिले.
जिस समय यह घटना हुई बच्चे की मां घर से 200 मीटर दूर पानी लेने गई थी. पिता किसी काम से बाहर गया था. घर में दरवाजा नहीं है. बिजली नहीं है. परिवार 17 साल से गांव में रह रहा है. लेकिन कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिली. जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन डाली तो गई है, लेकिन टोंटी नहीं लगी है.
मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन? : अब सवाल यह उठता है कि पांच महीने के मासूम की मौत का जिम्मेदार कौन होगा? शासन प्रशासन या फिर खुद परिवार. जो सिस्टम की मार झेलते हुए 17 साल से यहां रह रहे हैं.
प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र होने के बाद भी इन्हें अब तक घर नहीं मिला. हालांकि बच्चे की मौत के बाद प्रशासन जाग गया है. डीएम का कहना है कि पीड़ित परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना का पात्र है, उसे आवास मिलेगा.
गांव में 50-60 घर, किसी के पास पक्की छत नहीं : ईटीवी भारत की टीम रामनगर कुटरा गांव पहुंची. गांव में एंट्री करते ही बेखौफ घूमते कुत्ते मिले. एक हैंडपंप पर 15 परिवार के लोग पानी भरते मिले. पूछने पर पता चला गांव में करीब 50 से 60 घर है, जिसमें 400 की आबादी रहती है. किसी के पास पक्की छत नहीं है.
पानी लेने के लिए दो हैंडपंप लगे हैं, जिससे पूरे गांव के लोगों का काम चलता है. ग्रामीणों ने बताया, यहां कुत्तों का आतंक है. कुत्तों से बचने के लिए हाथ में लाठी-डंडे लेकर झुंड में निकलना पड़ता है.

मां बोली- मेरे सामने बेटे को मार डाला : ईटीवी भारत की टीम मृतक बच्चा धीरज के घर पहुंची. दहलीज पर मां-पिता उदास बैठे थे. मां शिखा ने बताया, मैं बच्चे को चारपाई पर लिटाकर 200 मीटर दूर पानी भरने गई थी. घर में दरवाजा नहीं है, कुत्ते अंदर पहुंच गए और बेटे को नोंचने लगे. अचानकर तेज रोने की आवाज सुनी तो भागकर झोपड़ी में पहुंची. तभी एक कुत्ते ने मुझ पर भी हमला कर दिया.
मैं चीखने-चिल्लाने लगी. गांव के लोग भी आ गए. लाठी-डंडा मारा तो जाकर कुत्ते भागे. सभी जंगली कुत्ते थे. काफी खुंखार थे. हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में काफी पहले आवेदन किया था. अगर आवास मिल गया होता तो आज मेरा लाल जिंदा होता.
पानी के चक्कर में बेटे की चली गई जान : पिता राजू ने बताया, मेरा छोटा बच्चा सो रहा था. हम काम करने गए थे. मेरी पत्नी घर से बाहर पानी भरने गई. घर में कुत्ते घुस गए और बच्चे को काटकर जख्मी कर दिया. जब तक लोग बचाने पहुंचे तब तक काफी जख्मी कर दिया था.
रोते हुए राजू ने कहा, अगर हमारे घर में नल होता तो मेरे बच्चा मेरी गोद में खेल रहा होता. पानी के लिए हर घर जल योजना के तहत पाइपलाइन तो लगाई गई है, लेकिन एक साल से ज्यादा हो गया, पानी की एक बूंद नहीं आई. हर दिन की घर से 200 मीटर दूर लगे हैंडपंप से पानी लेने जाना पड़ता है.

पन्नी तान कर रहना पड़ता है : राजू ने बताया, गांव में करीब 20 से 30 कुत्ते हैं. जंगली कुत्ते भी गांव में चले आते हैं. 17 साल से झोपड़ी में रह रहे हैं. गेट तक नहीं है. इसलिए कुत्ते घर के अंदर घुस आए. झोपड़ी में 6 बच्चे भी साथ रहते हैं. जब बरसात होती है तो पन्नी तान कर रहना पड़ता है.
ग्रामीण मीना, मधु, गीत, रन्नो और मानसिंह ने बताया कि इस घटना के बाद से गांव में दहशत है. लोग अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ रहे हैं. कहीं जाना होता है तो बड़े लोग बच्चों के साथ जाते हैं. अब तो बच्चों को स्कूल भेजने में भी डर लगता है. कई लोग डर से अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं भेज रहे हैं. कुछ बच्चे जा रहे हैं तो कोई ना कोई छोड़ने और लेने जाता है.
17 साल से अंधेरे में जीवन : ग्रामीणों ने बताया, गांव में 17 साल से लाइट नहीं आई है. पक्की सड़क तक नहीं है. अधिकतर कच्चे मकान हैं. कुछ ही लोगों के यहां नल है. सरकारी हैंडपंप से ही पानी भरना पड़ता है. कई बार ग्राम प्रधान और उच्च अधिकारियों से समस्याओं के बारे में बताया गया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला. अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है.
जानिए प्रधान ने क्या कहा : बता दें की फर्रुखाबाद जिले में 7 ब्लॉक हैं, जिसमें 580 ग्राम पंचायत आती हैं. इनमें दो आकांक्षीय ब्लॉक भी शामिल हैं. कुटरा ग्राम पंचायत के प्रधान अजय कुमार ने बताया कि रामनगर कुटरा गांव में रह रहे लोग गंगा किनारे बसे सुंदरपुर, कछुआ खेड़ा गांव से आकर बसे हैं. इन गांवों में हर साल बाढ़ आने के कारण ये लोग रामनगर कुटरा में आकर बस गए. सभी ग्रामीणों के राशन कार्ड बने हुए हैं. सभी को राशन भी मिल रहा है. करीब तीन सरकारी आवास बन चुके हैं.
प्रधान ने बताया, गांव के अंदर की सड़क बनवा दी गई है. सोलर लाइट लगाई गई है. सरकारी शौचालय का भी लाभ इन लोगों को मिल चुका है. जब इन लोगों ने जमीन खरीदी थी तब निकलने के लिए रास्ता नहीं था. यह समस्या अभी भी बनी हुई है. जल जीवन मिशन की शिकायत की है लेकिन अभी तक कोई रिस्पांस नहीं मिला है.

गर्मी में खुंखार हो जाते हैं कुत्ते : पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. धीरज शर्मा ने बताया कि गर्मियों में कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं. कुत्तों में पसीना निकालने की ग्रंथियां नहीं होती हैं. तापमान बढ़ता है तो आवारा कुत्ते भूख की वजह से हमलावर हो जाते हैं. वह हमेशा सॉफ्ट टारगेट चुनते हैं. इसलिए वह बच्चों और मासूमों पर अटैक करते हैं. कुत्ते जंगली प्रवृत्ति के होते हैं.
डीएम बोले- पीड़ित को मिलेगा आवास : जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि दुखद घटना है. गांव एक्सटेंडेड आबादी के रूप में डेवलप हो रहा है. मकान की पात्रता के लिए बीडीओ को जांच करने के लिए भेजा था. पीड़ित प्रधानमंत्री आवास पाने का पात्र है. गांव में हर घर नल योजना का काम जल्द पूरा हो जाएगा.
एक्सटेंडेड आबादी होने के कारण अभी कई मजरों में विद्युत नहीं पहुंच पाया है. इसी माह एक बैठक हुई थी. सर्वे किया जा रहा है. जल्द ही सारी व्यवस्था कर दी जाएगी. कुत्तों को लेकर सतर्कता बहुत जरूरी है. पशु चिकित्सा अधिकारी, बीडीओ, प्रधान और संबंधित अधिकारी को दिशा निर्देश दे दिए हैं.