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जैसलमेर के रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में पहली बार हुआ गोडावण के चूजे का जन्म - RAMDEVRA BREEDING CENTER

रामदेवरा के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में पहली बार एक गोडावण का चूजा जन्मा है. इससे पहले सम सेंटर पर भी चूजे ने जन्म दिया है.

Ramdevra Breeding Center
गोडावण के चूजे. (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : April 8, 2025 at 8:32 PM IST

3 Min Read

जैसलमेर: जिले के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर से लगातार खुशखबरी मिल रही है. अब रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर से भी पहली खुशखबरी आई है. रामदेवरा के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में पहली बार एक गोडावण का चूजा जन्मा है. यह राजस्थान के राज्य पक्षी द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत जैसलमेर के रामदेवरा स्थित ब्रीडिंग सेंटर में 6 अप्रैल को इस साल का पहला गोडावण का चूजा जन्मा. इससे वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. यह इस वर्ष का सातवां चूजा है, जो रामदेवरा और सम ब्रीडिंग सेंटरों में जन्मा है. रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में नर गोडावण सलखा और मादा गोडावण जेरी के बीच 11 मार्च को मेटिंग हुई थी. इसके बाद 15 मार्च को मादा गोडावण जेरी ने अंडा दिया, और 6 अप्रैल को उस अंडे से चूजा जन्मा.

डीएफओ ब्रजमोहन गुप्ता ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaisalmer)

रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर सन् 2022 में स्थापित हुआ था. यहां जन्मा यह पहला चूजा है. यह सफलता गोडावण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अब सम और रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर मिलाकर गोडावण की कुल संख्या 51 हो चुकी है. इससे पहले सम के ब्रीडिंग सेंटर में 6 चूजे जन्म ले चुके हैं, जिससे यह संख्या अब 51 तक पहुंच गई है.

पढ़ें: गोडावण संरक्षण में मिली बड़ी सफलता: सम प्रजनन केंद्र में तीन चूजों ने लिया जन्म

डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ ब्रजमोहन गुप्ता ने बताया कि राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण को बचाने के प्रयासों में यह एक महत्वपूर्ण सफलता है. गोडावण के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न प्रयासों में प्रोजेक्ट जीआईबी को एक अहम कदम माना जा रहा है. इस परियोजना के तहत गोडावण के प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और उनके प्रजनन को बढ़ावा देना मुख्य उद्देश्य है, जिससे गोडावण की आबादी में वृद्धि हो सके. इस सफलता से यह साबित होता है कि यदि सही प्रयास किए जाएं, तो विलुप्ति के कगार पर खड़े प्रजातियों को बचाया जा सकता है.

सात साल में प्रोजेक्ट हुआ सफल: उन्होंने बताया कि साल 2018 में केंद्र सरकार, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (देहरादून) और राज्य सरकार ने मिलकर प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत काम शुरू किया था. जब यह परियोजना शुरू हुई थी, तब इसकी सफलता को लेकर संदेह था, लेकिन पिछले सात सालों में सकारात्मक प्रयासों के माध्यम से इस प्रोजेक्ट ने सफलता प्राप्त की. वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत जिस तेजी से सफलता मिल रही है, वह दिन दूर नहीं जब हमें खुले में गोडावण देखने को मिलेंगे. अब भविष्य में गोडावण प्रजाति के फिर से बढ़ने की उम्मीद बंध गई है.

जैसलमेर: जिले के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर से लगातार खुशखबरी मिल रही है. अब रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर से भी पहली खुशखबरी आई है. रामदेवरा के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में पहली बार एक गोडावण का चूजा जन्मा है. यह राजस्थान के राज्य पक्षी द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत जैसलमेर के रामदेवरा स्थित ब्रीडिंग सेंटर में 6 अप्रैल को इस साल का पहला गोडावण का चूजा जन्मा. इससे वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. यह इस वर्ष का सातवां चूजा है, जो रामदेवरा और सम ब्रीडिंग सेंटरों में जन्मा है. रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में नर गोडावण सलखा और मादा गोडावण जेरी के बीच 11 मार्च को मेटिंग हुई थी. इसके बाद 15 मार्च को मादा गोडावण जेरी ने अंडा दिया, और 6 अप्रैल को उस अंडे से चूजा जन्मा.

डीएफओ ब्रजमोहन गुप्ता ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Jaisalmer)

रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर सन् 2022 में स्थापित हुआ था. यहां जन्मा यह पहला चूजा है. यह सफलता गोडावण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अब सम और रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर मिलाकर गोडावण की कुल संख्या 51 हो चुकी है. इससे पहले सम के ब्रीडिंग सेंटर में 6 चूजे जन्म ले चुके हैं, जिससे यह संख्या अब 51 तक पहुंच गई है.

पढ़ें: गोडावण संरक्षण में मिली बड़ी सफलता: सम प्रजनन केंद्र में तीन चूजों ने लिया जन्म

डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ ब्रजमोहन गुप्ता ने बताया कि राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण को बचाने के प्रयासों में यह एक महत्वपूर्ण सफलता है. गोडावण के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न प्रयासों में प्रोजेक्ट जीआईबी को एक अहम कदम माना जा रहा है. इस परियोजना के तहत गोडावण के प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और उनके प्रजनन को बढ़ावा देना मुख्य उद्देश्य है, जिससे गोडावण की आबादी में वृद्धि हो सके. इस सफलता से यह साबित होता है कि यदि सही प्रयास किए जाएं, तो विलुप्ति के कगार पर खड़े प्रजातियों को बचाया जा सकता है.

सात साल में प्रोजेक्ट हुआ सफल: उन्होंने बताया कि साल 2018 में केंद्र सरकार, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (देहरादून) और राज्य सरकार ने मिलकर प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत काम शुरू किया था. जब यह परियोजना शुरू हुई थी, तब इसकी सफलता को लेकर संदेह था, लेकिन पिछले सात सालों में सकारात्मक प्रयासों के माध्यम से इस प्रोजेक्ट ने सफलता प्राप्त की. वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत जिस तेजी से सफलता मिल रही है, वह दिन दूर नहीं जब हमें खुले में गोडावण देखने को मिलेंगे. अब भविष्य में गोडावण प्रजाति के फिर से बढ़ने की उम्मीद बंध गई है.

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