जैसलमेर: जिले से जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक सफलता की खबर सामने आई है. सुदासरी गोडावण संरक्षण केंद्र के वैज्ञानिकों ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानि गोडावण के कृत्रिम प्रजनन में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. गोडावण जैसे संकटग्रस्त पक्षी की कृत्रिम विधि से सफलतापूर्वक प्रजनन कर नया जीवन दिया है. प्रोजेक्ट जीआईबी (Great Indian Bustard) के तहत यह दूसरा चूजा है, जो कृत्रिम गर्भाधान से जन्मा है.
डीएनपी के डीएफओ ब्रजमोहन गुप्ता ने बताया कि सुदासरी संरक्षण केंद्र में इस बार मादा गोडावण 'टोनी' को 16 मार्च को कृत्रिम रूप से गर्भधारण कराया गया था. गर्भधारण के बाद टोनी ने एक स्वस्थ अंडा दिया, जिससे हाल ही में चूजा निकला है. यह इस सीजन का 8वां चूजा है और खास बात यह है कि यह प्राकृतिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तकनीक से जन्मा है.
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गोडावण के अस्तित्व को नया जीवन: गौरतलब है कि राज्य पक्षी गोडावण विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुका था. ऐसे में यह वैज्ञानिक सफलता न केवल इस पक्षी के संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि अन्य संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए भी प्रेरणा बनेगी. इस सफलता ने गोडावण के अस्तित्व को नया जीवन दिया है और इसे बचाने की वैश्विक कोशिशों में भारत को अग्रणी बना दिया है. डीएफओ गुप्ता ने कहा कि जैसलमेर अब केवल रेत और किलों का शहर नहीं, बल्कि गोडावण के नवजीवन का प्रतीक भी बन चुका है.